World Autism Awareness Day 2023: एक्सपर्ट से जानिए ऑटिज्म के लक्षण क्या हैं?
World Autism Awareness Day 2023: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के रूप में घोषित किया ताकि ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सके।
Written by Atul Modi|Updated : April 1, 2023 7:01 AM IST
ऑटिज्म स्पेक्टर्म डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर की एक रेंज है जिसमें मरीज सोशल फंक्शन अलग रूप से करता है और उसका संवाद स्थापित करने का तरीका भी अलग हो जाता है। व्यक्ति इसमें दूसरे इंसानों के साथ ढंग से इंटरेक्ट भी नहीं कर पाता है। अगर किसी व्यक्ति को ऑटिज्म हो जाता है तो यह उसके कॉग्निटिव, इमोशनल, सोशल और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति को सोशल स्किल्स नहीं आती हैं और उसे समाज में रहने और लोगों से इंटरेक्ट करते समय भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति उम्र से बड़े होने के बाद भी बच्चे ही रहते हैं इसलिए इन्हें हर चीज सिखाने का तरीका अलग होता है। आइए जान लेते हैं ऑटिज्म के लक्षणों के बारे में।
ऑटिज्म के लक्षण - (Symptoms of Autism in Hindi)
ऑटिज्म स्पेक्टर्म डिसऑर्डर (ASD) से पीड़ित लोगों के लिए यह दोनों स्किल्स ही काफी मुश्किल हो जाती हैं। जो बच्चा इस डिसऑर्डर से जूझ रहा होगा वह निम्न इंटरकेशन स्किल्स में रिस्पॉन्ड नहीं करेगा :
आंखों से आंखें न मिलाना या फिर इसे अवॉयड करना।
बच्चा 9 महीने की उम्र तक भी जब अपना नाम सुन कर रेस्पोंड न करे।
9 महीने की उम्र का होने के बाद भी जब बच्चा किसी तरह के फेशियल एक्सप्रेशन जैसे गुस्सा, नाराज होना या खुश होना आदि जैसे लक्षण न दर्शाए।
जब वह एक साल का होने तक भी काफी साधारण गेम न खेल पाए।
एक साल का होने तक बच्चा जब एक भी तरह का गेस्चर जैसे गुड बाय आदि न करे।
आपको वह डेढ़ साल का होने के बाद भी किसी चीज में इंटरेस्ट लेकर उसकी ओर इशारा करके न दिखाए।
दो साल का होने के बाद भी उसे यह समझ न आए कि आप गुस्सा हैं या दुखी हैं।।
3 साल का होने के बाद भी बच्चा दूसरों के साथ खेलने में शामिल न हो या फिर दूसरे बच्चों को नोटिस न करे।
चार साल का होने के बाद भी बच्चा जब सुपर हीरो या टीचर आदि की एक्टिंग न करने लगे।
किसी एक चीज को बार बार रिपीट करना
ASD से जूझ रहे बच्चों की कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो आपको काफी असामान्य लग सकती हैं। इसके लक्षण निम्न हैं :
बच्चा एक लाइन में खिलौनों को अरेंज करता है और जब आप उसे हटाते हैं तो वह नाराज होता है।
किसी एक वाक्य या लाइन को बार बार रिपीट करना।।
खिलौनों से हर बार की तरह एक जैसे खेलना।
किसी चीजों के हिस्सों पर ज्यादा फोकस करना जैसे गाड़ी के पहिया आदि।
हर रोज एक तरह के रूटीन का ही पालन करना।
छोटी छोटी बातों पर नाराज होना।।
हाथों को बजाना या फिर गोल गोल घूमते रहना।।
जिस तरह से चीजों से स्मेल या आवाज आती है उन पर अलग ढंग से रिएक्ट करना।
बच्चे को भाषा उस समय तक न सीख पाना जब तक नॉर्मल बच्चा सीख जाता है।
मूवमेंट स्किल्स सीखने में भी ज्यादा समय लगना।
किसी चीज को याद करने की स्किल्स का डिले होना।
हाइपर एक्टिव या इंपल्सिव हो जाना।
सीजर जैसे डिसऑर्डर का सामना करना।
कुछ ज्यादा ही एंजाइटी या फिर स्ट्रेस होना या फिर ज्यादा मात्रा में चिंता करना।
या तो बिलकुल डर न लगना या फिर हद से ज्यादा डर लगना।
निष्कर्ष
ऐसे बच्चों को अधिक प्यार और दुलार की जरूरत होती है। इन्हें हर चीज सिखाने का और यहां तक की पढ़ाने का तरीका भी अलग होता है। इसलिए आपको काफी संयम बरतना होगा और ऐसे बच्चे की देखभाल नॉर्मल के मुकाबले थोड़ी ज्यादा करनी होगी और चाइल्ड साइकोलोजिस्ट या पेडिअट्रिशन को कंसल्ट करे।
(Inputs: Dr. Meena J, Senior Consultant (Pediatrics And Neonatology) at Aakash Healthcare)
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