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किसिंग डिजीज या मोनोन्यूक्लिओसिस जिसको आम भाषा में मोनो कहा जाता है, के कारण फैलने वाले रोगों को कहा जाता है। यह एपस्टीन-बार नामक वायरस के कारण होता है, जो लार से फैलता है। इस वायरस को आप चुंबन के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इस बीमारी का नाम किसिंग डिजीज है। मोनोन्यूक्लिओसिस वाले किसी व्यक्ति के साथ एक गिलास या एक बर्तन में खाना खाने से भी आप वायरस के संपर्क में आ सकते हैं। लेकिन मोनोन्यूक्लिओसिस सामान्य सर्दी की तरह फैलने वाला रोग नहीं है।
आमतौर पर किसिंग डिजीज कोई खतरनाक बीमारी नहीं है। लेकिन इसक लक्षण तब तक बहुत खराब हो सकते हैं जब तक आप ठीक होना शुरू नहीं करते। इसलिए इसका इलाज शुरू करवाना काफी जरूरी होता है। अगर समय से इलाज शुरू नहीं करवाते हैं तो इसके कारण मोनोन्यूक्लिओसिस के फैलने से मुश्किल हो सकती हैं। एक संक्रमित व्यक्ति कई दिनो तक सामान्य हर रोज़ की तरह काम नहीं कर सकता है। संक्रमण के लक्षण हल्के से लेकर खतरनाक हो सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, मोनोन्यूक्लिओसिस से जुड़े संकेत और लक्षण निम्नलिखित हैं:
थकान होनी, गला का खराब होना, तेज बुखार होना, गर्दन और इसके आस पास में सूजन लिम्फ नोड्स, सूजे हुए टॉन्सिल, सिर में दर्द, स्किन के ऊपर लाल चकत्ते, मुलायम, स्प्लीन का सूज जाना आदि इसके लक्षणों में शामिल है।
विशेषज्ञों के अनुसार, लोग आमतौर पर स्कूल के शुरुआती दिनो के बच्चों और फिर युवा अवस्था के आसपास ईबीवी प्राप्त करते हैं। इसी उम्र के दौरान छोटे बच्चे में अक्सर इन्फेक्शन होते हैं। लेकिन किशोरों और उनके 20 के दशक में लोगों को परेशानी वाले लक्षणों के साथ मोनो होने का सबसे अधिक होने का खतरा रहता है। लेकिन कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में मोनो से संक्रमित हो सकता है।
यदि आपको किसिंग की डिजीज है, तो इस बात का पता करें कि आप किसी और को किस ना करे क्योंकि लार के आदान-प्रदान से किसिंग डिजीज फैल सकती है। इसके अलावा, अपने भोजन, बर्तन, गिलास और बर्तन किसी और के साथ शेयर ना करें, ऐसा कम से कम कई दिनों तक जब तक आपका बुखार अच्छी तरह से उतर नहीं जाता है तब तक करें, और यदि संभव हो तो अधिक से अधिक समय तक। वायरस के फैलाव को रोकने के लिए हर रोज अच्छी तरह से अपने हाथ धोएं।
यदि आप ऊपर बताए गए लक्षणों में से किसी का भी अपने अंदर देखते हैं तो इलाज और दवा के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरुर ले। इसके अलावा जितना हो सके उतना आराम करें और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लिक्विड पदार्थ पिएं। ज्यादातर लोग दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों को कई हफ्तों तक थकान महसूस हो सकती है। बहुत कम मामलों में, यह लक्षण छह महीने या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं।
निष्कर्ष
यह बीमारी ज्यादा खतरनाक तो नहीं होती है लेकिन फिर भी इसे ऐसे ही नजर अंदाज करना ठीक नहीं होगा क्योंकि ऐसा करने से भविष्य में आपकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। इसलिए आप को समय से अपना इलाज करवा लेना चाहिए और जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक इसके परहेज जरूर करें नहीं तो आप की वजह से और लोगों को भी यह बीमारी हो सकती है। इसके लिए पूरी सावधानी बरतनी न भूलें और खुद के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखें।
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