किडनी में गंदगी जमा होने के संकेत क्या है और उसकी सफाई कैसे करें
Kidney Detox in Hindi: खराब खानपान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से किडनी में गंदगी जमा हो सकती है। किडनी में जमा गंदगी से संकेतों को पहचानकर समय पर इसका उपाय करना जरूरी है।
गुर्दे सामान्य रूप से काम न कर पाने की स्थिति को किडनी रोग कहा जाता है, जिसमें मरीज को पेशाब कम आना, थकान व जी मिचलाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। किडनी रोग कई अलग-अलग कारणों से हो सकते है और इनका जल्द से जल्द इलाज कराना बेहद जरूरी होता है।
गुर्दे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक हैं और ये विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने, ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने और शरीर में एसिड के स्तर को सामान्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, जब गुर्दे सामान्य रूप से काम न कर पाएं तो इस स्थिति को गुर्दे की बीमारी (Kidney Disease in Hindi) कहा जाता है। किडनी के रोग आमतौर पर किसी प्रकार के संक्रमण, मानसिक या भावनात्मक समस्याओं और स्व प्रतिरक्षित रोगों के कारण हो सकते हैं। गुर्दे की बीमारी के इलाज में डॉक्टर रोग की गंभीरता के अनुसार ही दवाएं, आहार, डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट आदि पर विचार करते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट मरीज को भविष्य में होने वाली जटिलताओं से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है। किडनी फेलियर के सामान्य लक्षणों में आमतौर पर पेट दर्द, पीठ दर्द, जी मिचलाना, भूख न लगना, सूजन, शरीर में क्रिएटिनिन और प्रोटीन की मात्रा में बढ़ना और स्वस्थ महसूस ना होना आदि शामिल है। साथ ही पेशाब बंद होना भी किडनी फेलियर का एक सामान्य संकेत हो सकता है। पेशाब बंद होने से शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं और कई गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु हो सकती है या वह कोमा में जा सकता है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी जाती है।
किडनी डिजीज के आमतौर पर दो प्रकार होते हैं, जिनके बारे में निम्न बताया गया है -
एक्यूट किडनी डिजीज - इसे एक्यूट किडनी फेलियर (Acute Kidney Failure) भी कहा जाता है, इसमें गुर्दे की कार्य प्रणाली काम करना बंद कर देती है या बहुत ही कम काम कर पाती है।
क्रोनिक किडनी डिजीज - यह व्यक्ति की उम्र के अनुसार होने वाला किडनी का रोग है, जिसमें धीरे-धीरे किडनी में क्षति होती है। हालांकि, कई बार इसके शुरुआती चरणों में किसी प्रकार का लक्षण दिखाई नहीं देता है। क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं, जो इस प्रकार हैं -
गुर्दे की बीमारी के कारण आमतौर पर रोग के प्रकार पर ही निर्भर करते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है
एक्यूट किडनी डिजीज के कारण
एक्यूट किडनी डिजीज में मरीज को जल्दी ही लक्षण महसूस होने लगते हैं, जबकि क्रोनिक किडनी डिजीज मे लक्षण विकसित होने में थोड़ा समय लग सकता है। इनके लक्षणों में आमतौर पर निम्न शामिल हैं -
एक्यूट किडनी डिजीज के लक्षण
एक्यूट किडनी डिजीज में आमतौर पर जो लक्षण विकसित होते हैं, उनके आधार पर ही डॉक्टर निदान करने के लिए कुछ टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। वहीं क्रोनिक किडनी डिजीज में कई बार शुरुआत में लक्षण महसूस नहीं होते हैं, हालांकि, यदि टेस्ट किए जाएं तो स्थिति का निदान किया जा सकता है। किडनी संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए आमतौर पर निम्न टेस्ट किए जाते हैं -
किडनी रोग का इलाज भी उसके प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है -
एक्यूट किडनी डिजीज का इलाज
एक्यूट किडनी फेलियर एक इमरजेंसी है और इसमें मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। एक्यूट किडनी डिजीज के इलाज का मुख्य लक्ष्य किडनी के कारण हो रही जटिलताओं को रोकना होता है। इसमे इलाज की मदद से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है, शरीर में द्रव बनने की प्रक्रिया को धीमा किया जाता है और शरीर में कैल्शियम के स्तर को सामान्य बनाया जाता है। कई बार डायलिसिस की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
क्रोनिक एक्यूट किडनी डिजीज का इलाज
दवाएं - यदि इस रोग से लक्षण विकसित नहीं हुए हैं, तो इसका इलाज करने के लिए मरीज को कुछ दवाएं दी जाती हैं और साथ ही उसके आहार में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। इसके इलाज में आमतौर पर एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (ACEi) और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (ARBs) आदि शामिल हैं।
डायलिसिस - यदि धीरे-धीरे किडनी की काम करने की क्षमता कम हो गई है और साथ ही अन्य लक्षण भी विकसित होने लगे हैं, तो ऐसे में डॉक्टर डायलिसिस पर भी विचार कर सकते हैं।
हमारे शरीर में किडनी कुछ इस प्रकार से बनी होती है कि 30 से 40 साल की उम्र के बाद उसकी फिल्टर करने की क्षमता कम होने लगती है। 30 के बाद हर 10 साल में किडनी की कार्यक्षमता भी लगभग 10 प्रतिशत कम हो जाती है। हालांकि, कुछ अच्छी आदतें अपनाकर किडनी संबंधी समस्याएं होने के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है -
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गुर्दे का दर्द (Kidney Pain) हमेशा ही दर्दनाक होता है ऐसे में जब भी आप अपने किडनी में दर्द महसूस करें तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें क्योंकि यह गंभीर बीमारियों के संकेत भी हो सकते हैं।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर ऐश्वर्या संतोष ने गोक्षुर का हर्बल वॉटर तैयार करने का तरीका बताया है जो किडनी स्टोन में बहुत फायदेमंद है, आइये जानते हैं कैसे?
डायबिटीज में सावधानियां बरतने से किडनी से जुड़ी बीमारियों का रिस्क काफी हद तक कम किया जा सकता है। समय से डायग्नोसिस, दवाइयों और लाइफस्टाइल से जुड़े बदलावों की मदद से किडनी की समस्याओं को मैनेज किया जा सकता है।(Risk of kidney disease in Diabetes)
बच्चों में भी किडनी इंफेक्शन या रोग होने की संभावना रहती है। 70-80 प्रतिशत किडनी प्रभावित नहीं होती, तब तक इससे संबंधित रोगों के लक्षण जल्दी सामने नजर नहीं आते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चों में होने वाले पेट दर्द, यूरिन में समस्या आदि को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
एम्स के एक नवीनतम अध्ययन ने पुष्टि की है कि फेफड़े और लीवर के अलावा, गंभीर कोविड-19 के साथ मृतक रोगियों में किडनी सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।
आयुर्वेद पर हो रहे अनुसंधान मौजूदा दौर में इसकी बढ़ती उपयोगिता पर मुहर लगा रहे हैं। फार्मास्युटिकल बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि आयुर्वेद फॉर्मूले गंभीर गुर्दा रोगों में असरदार हैं।
किडनी में दर्द कई कारणों से हो सकता है। इस दर्द को नजरअंदाज करने से किडनी से संबंधित गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। ऐसे में दर्द के कारणों, लक्षणों और इलाज के बारे में जानना जरूरी हो जाता है।
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एनबीआरआई और आईआईटीआर ने एक मूत्र रोग विशेषज्ञ सलिल टंडन के साथ मिलकर किडनी की पथरी (Kidney stone) को खत्म करने के लिए एक हर्बल दवा विकसित की है। नई दवा का नाम यूआरओ-05 है, जो किडनी से पथरी को हटाने के लिए नॉन-इन्वेंसिव विकल्प प्रदान करती है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल और कंट्रोलर डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा, "हमने एक नए ट्रेंड पर गौर फरमाया है कि नेगेटिव पाए गए मरीजों में अब सांस लेने में तकलीफ, तनाव, मधुमेह, दिल की बीमारी, किडनी व अग्नाशय में दिक्कत और शारीरिक थकान जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।"
क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या है इसलिए हो सकता है कि कुछ लोगों को यह आम स्वास्थ्य रोग लगता हो। लेकिन ऐसा सोचने वालों को बता दें कि हाइपरटेंशन एक बहत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे यदि समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया कि 61 से 85 वर्ष की आयु के 26% उच्च रक्तचाप वाले मरीजों और 85 वर्ष से अधिक आयु के 36% लोगों में क्रिएटिनिन की अनियमितता देखी गई है। देश की विश्वसनीय डायग्नोस्टिक्स श्रृंखला में से एक एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स का कहना है कि अन्य लोगों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर के मरीज किडनी संबंधी समस्या का शिकार जल्दी होते हैं।
किडनी स्टोन के लिए कारगर घरेलू उपचार
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किडनी स्टोन के लिए कारगर घरेलू उपचार
गुर्दे शरीर में मौजूद तरल पदार्थों को मैनेज करने और वेस्ट मैटिरियल को शरीर से बाहर निकालने का काम करते हैं। स्वस्थ किडनी हीमोग्लोबिन को फ़िल्टर कर उसे शुद्ध करती हैं और मूत्र के माध्यम से शरीर में मौजूद कचरे को बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होती हैं। हेल्दी चीजों के सेवन से किडनी को अच्छी तरह से काम करने में बल मिलता है और किडनी की बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
किडनी में पथरी और किडनी की बीमारी से बचने के लिए डेली डाइट में कुछ फूड शामिल करना चाहिए. अगर आप हेल्दी डाइट प्लान में इन फ्रूट और जूस को शामिल करते हैं तो किडनी की बीमारी से बच जाते हैं. क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) की परेशानी से भी आप इन फूड के सेवन से बच सकते हैं.
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