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रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए नियमित करें कश्यपासन, होंगे कई अन्य लाभ

रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए नियमित करें कश्यपासन, होंगे कई अन्य लाभ
कश्यपासन। © Shutterstock

कश्यपासन करने से रीढ़ की हड्डियां मजबूत होने के साथ ही पाचन-तंत्र में रक्त संचार तेज होने से पेट के अंग भी सक्रिय होते हैं।

Written by Editorial Team |Published : September 6, 2018 5:29 PM IST

रीढ़ की हड्डी में दर्द से परेशान हैं या इन्हें मजबूत करना चाहते हैं, तो कश्यपासन करें। कश्यपासन को अर्धबद्ध पद्म वशिष्ठासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने से कई लाभ होते हैं। खासकर रीढ़ की हड्डी को मजबूत करना चाहते हैं, तो इसका अभ्यास नियमित करना शुरू कर दें। इसे करने से शरीर के आंतरिक अंग सशक्त होते हैं।

कैसे करें कश्यपासन

दोनों पैरों को साथ-साथ रखते हुए खड़े हों। सांस भरते हुए शरीर का भार पंजों पर डालें और एड़ियों को ऊपर उठाएं। दोनों हाथों की उंगलियों से इंटरलॉक बनाकर हाथों को ऊपर ले जाएं और तानें। इस दौरान हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रहे। इस अवस्था में पेट को यथासंभव अंदर की ओर रखते हुए घुटने और जांघ की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचें। अब सांस छोड़ते हुए आगे झुकें और दोनों हथेलियों को जमीन पर टिका दें। फिर अपने पैरों को पीछे ले जाकर दाएं घूम जाएं और दायीं हथेली जमीन पर टिका दें ताकि पूरे शरीर का भार दाहिने हाथ पर आ जाए।

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अब सांस भरते हुए बाएं पैर का पंजा दाहिनी जंघा के ऊपर रखें यानी अर्धपद्मासन जैसा पोज बनाएं। कुछ पल बाद सांस छोड़ते हुए और बाएं हाथ को पीठ की तरफ से लाते हुए बाएं पैर के पंजे को पकड़ें। इस स्थिति में 5 से 10 बार धीमी-लंबी गहरी सांस लें और छोड़ें। जितनी देर संभव हो, इस स्थिति में रुकने के बाद, सांस बाहर निकालते हुए पंजे को छोड़ दें और बाएं पैर को सीधा कर लें, बाएं हाथ को बायीं जंघा पर रखें और धीरे-धीरे मूल अवस्था में लौट आएं। कुछ सेकेंड के विश्राम के बाद यही प्रक्रिया दूसरी तरफ से भी दोहराएं। पूरी प्रक्रिया के दौरान ध्यान नाभि पर रहे।

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ये हैं लाभ

- मन का भटकाव रुकता है और एकाग्रता बढ़ती है।

- पाचन-तंत्र में रक्त संचार तेज होने से पेट के अंग सक्रिय होते हैं।

- पीठ की जकड़न समाप्त होती है और रीढ़ और कमर लचीली बनती है।

- हाथों और पैरों की ताकत बढ़ती है।

- कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

- कंधे चौड़े होते हैं। घुटनों का लचीलापन बढ़ता है।

- शरीर के अन्य जोड़ों में भी लचीलापन बरकरार रहता है जिससे आप चलने-फिरने में स्वयं को हल्का और फिट महसूस करते हैं।

बरतें सावधानी

इस आसन को एक बार में दोनों ओर से एक-एक बार ही करें।

कलाई, कोहनी और कंधे के जोड़ों में कोई परेशानी हो, तो इसे न करें।

बेहतर होगा किसी योग प्रशिक्षक की निगरानी में ही यह आसन शुरू करें।