Don’t Miss Out on the Latest Updates.
Subscribe to Our Newsletter Today!
आमवाती (Rheumatic) की स्थिति प्राचीन काल से रही है और आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। अर्थराइटिस मॉर्बिडिटी, जीवन की खराब गुणवत्ता का कारण बनता है और व्यक्ति की उत्पादकता को प्रभावित करता है, जिससे आजीविका का नुकसान होता है और हमारे समाज में सामाजिक आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
अर्थराइटिस का अर्थ एक ऐसा रोग है जो जोड़ों में दर्दनाक सूजन और जकड़न पैदा करता है। अर्थराइटिस में ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA), सोरायटिक आर्थराइटिस, अंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, गाउट, सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस ऐसे कई अन्य शामिल हैं। दुनिया भर में रूमेटाइड अर्थराइटिस का प्रसार 1% है और भारत में प्रसार 0.75% है जो अकेले RA से प्रभावित 9 मिलियन से ऊपर है।
अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों में जोड़ों में दर्द और जकड़न शामिल है, खासकर सुबह के समय में। वजन घटने के साथ-साथ थकान और निम्न श्रेणी का बुखार भी मौजूद हो सकता है। अक्सर इन लक्षणों को विटामिन की कमी, हार्मोनल परिवर्तन (विशेषकर महिलाओं में) या यूरिक एसिड के स्तर में वृद्धि के रूप में गलत तरीके से निदान किया जाता है।
जैसा कि अधिकांश बीमारियों के साथ होता है, अर्थराइटिस का सबसे अच्छा इलाज तभी किया जा सकता है जब इसका शीघ्र निदान होता है। जॉइंट डिफॉर्मिटी जो RA के साथ असोसिएट किया जाता है, वह कई वर्षों में तभी घटित होता है जब रोग खराब तरीके से नियंत्रित होता है।
दुर्भाग्य से आज भी कई रोगियों का निदान देर से होता है। इसका कारण समाज में जागरूकता की कमी है। प्रारंभिक निदान के लिए ब्लड टेस्ट और X-Ray या MRI की तुलना में सटीक इतिहास और नैदानिक परीक्षण कई ज्यादा महत्वपूर्ण है। एक रह्यूमेटोलॉजिस्ट या डॉक्टर जो रह्यूमेटिक स्थितियों का इलाज करता है, वह इन स्थितियों का निदान करने और नैदानिक संकेतों एवं जांच परिणामों को समझाने के लिए सही व्यक्ति होगा।
पिछली शताब्दी से आर्थ्राइटिस के लिए उपचार काफी विकसित हुए हैं और नई दवाएं अब उपलब्ध हैं जो जॉइंट डॅमेज को रोकती हैं और इस प्रकार दीर्घकालिक विकलांगता की किसी भी संभावना को काफी कम कर देती हैं। हालांकि दवाएं तभी काम करेंगी जब सही निदान किया गया हो।
उपचार के विकल्प विविध हैं और रोगी की जरूरतों के आधार पर दवा का चुनाव व्यक्तिगत रूप से किया जाना चाहिए। यहां तक कि अगर फर्स्ट लाइन मेडिकेशन काम नहीं करती है, तो जेनेरिक और किफायती समाधान सहित अब अन्य विकल्प उपलब्ध हैं।
रह्यूमेटिक स्थितियों के उपचार में नई प्रगति ने स्टेरॉयड की आवश्यकता को काफी हद तक कम कर दिया है। इन दिनों स्टेरॉयड काफी कम प्रिस्क्राइब किए जाते हैं और जहां संभव हो वहां अवॉइड किए जाते हैं। हालांकि ऐसे उदाहरण हैं जहां रोगी अक्सर अनजाने में (उनकी जानकारी के बिना) या तो ओवर द काउंटर पर दी जाने वाली दवा में या वैकल्पिक उपचार के हिस्से के रूप में स्टेरॉयड लेते हैं।
दवाओं के अलावा नियमित रूप से व्यायाम करना भी जरूरी है। यह व्यायाम का कोई भी रूप हो सकता है जो आपकी शारीरिक क्षमता और कार्यक्षमता के लिए सबसे उपयुक्त हो। अनुसंधान बताते हैं कि नियमित व्यायाम जॉइंट इन्फ्लेमेशन को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक दवाओं की आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकता है। व्यायाम डायबिटीज़, हायपरटेंशन और मोटापे जैसी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को रोकने में मदद करता है और इस प्रकार समग्र स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करता है।
यद्यपि अर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन रोग को नियंत्रित करने के लिए उत्कृष्ट विकल्प हैं। डायबिटीज़, हाइपोथायरायडिज्म या हायपरटेंशन जैसी बीमारियों का भी कोई इलाज नहीं है। दवाएं रोग को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और रोगियों के बेहतर होने पर खुराक को समय के साथ कम किया जा सकता है। अक्सर रोगी समय के साथ स्वाभाविक रूप से बेहतर हो जाते हैं और दवाओं की कम खुराक पर अच्छी तरह से रहते हैं जिन्हें अक्सर "डिसीज़ रेमिशन" कहा जाता है।
(Inputs By:Dr. Aneesa Kapadia, Consultant Rheumatologist, Masina Hospital, Mumbai)