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इस वर्ष ''विश्व टीबी दिवस'' के अवसर पर आईएमए के ‘टीबी मुक्त देश’ अभियान ने भारत की महिला टीबी मरीजों पर केंद्रित एक प्रमुख जागरूकता पहल की शुरुआत की है। यह पाया गया है कि आज भी भारत की लाखों ऐसी महिलाएं हैं जो टीबी का उपचार कराना नहीं चाहती हैं या फिर वे बिना उपचार के ही रह जाती हैं। आधुनिक औषधि पर प्रैक्टिस करने वाले मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के राष्ट्रीय निकाय, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने महिलाओं को टीबी के लिए सही तरीके से संपूर्ण उपचार कराने के लिए जागरूक करने हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया।
टीबी विश्व का खतरनाक संक्रामक रोग बना हुआ है : डब्ल्यूएचओ
आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि एसोसिएशन द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि नेशनल प्रोग्राम में टीबी की रिपोर्ट की जाए, जिससे टीबी को नियंत्रित करने एवं इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के मार्ग की बाधाओं को प्रभावी तरीके से दूर करने में मदद मिलेगी और वर्ष 2025 तक भारत टीबी-मुक्त राष्ट्र बनाने का सपना पूरा हो सकेगा। आईएमए ने महिलाओं तक पहुंचने और टीबी को कलंक माने जाने की धारणा को तोड़ने में मदद करने हेतु उन्हें जागरूक बनाएगा।’’
संभव है टीबी का इलाज, पर उपचार को पूरा न करना टीबी उन्मूलन में है एक बड़ी समस्या
2025 तक समाप्त हो जाएगा टीबी नामक महामारी ?
भारत ने इस टीबी नामक महामारी को वर्ष 2025 तक समाप्त करने का फैसला लिया है, जो कि डब्ल्यूएचओ की वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त बनाने की डेडलाइन से 5 वर्ष पहले है। आईएमए भारत सरकार के साथ घनिष्ठतापूर्वक मिलकर काम कर रहा है और देश भर के मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए श्रृंखलाबद्ध टीबी प्रोग्राम्स आयोजित कर रहा है, ताकि भारत में सभी डॉक्टर्स द्वारा टीबी को अधिसूचित किया जाना सुनिश्चित किया जा सके।