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21 सितंबर को दुनिया भर में विश्व अल्जाइमर्स दिवस (World Alzheimer's Day) मनाया जाता है। यह दुनिया भर में बढ़ती जा रही एक खतरनाक बीमारी है। जिसमें मेमोरी आश्यचर्यजनक रूप से कम होती जाती है। अमूमन यह उम्र के साथ बढ़ने वाली बीमारी है। पर आजकल तनाव, खराब लाइफस्टाइल और अन्य आनुवांशिक कारणों के कारण किशोरों और बच्चों में भी इसकी दस्तक महसूस होने लगी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आप हर रोज 10 मिनट ध्यान यानी मेटिटेशन का अभ्यास करें, तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।
अल्जाइमर मस्तिष्क से संबंधित एक विकार है। इसमें ब्रेन फंक्शन प्रभावित होता है। इसमें मस्तिष्क के किसी एक खास हिस्से की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। जिससे व्यक्ति की याद्दाश्त धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। इसके कारण उसे अपने दैनिक कार्यों को करने में भी परेशानी होने लगती है। एक समय ऐसा भी आता है कि इससे ग्रस्त व्यक्ति अपना नाम तक भूलने लगता है।
यह किसी भी तरह से पागलपन या अन्य कोई समस्या नहीं है। यह मेमोरी के लॉस होने की बीमारी है। इससे ग्रस्त होने पर व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाता है। ऐसे में परिवार और दोस्तों के सहयोग की बहुत ज्यादा जरूरत है। इसी मुद्दे पर लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से दुनिया भर में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स दिवस मनाया जाता है।
बदलती जीवन शैली में तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जिसकी वजह से मेंटल हेल्थ बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है। सिर्फ बुजुर्गों ही नहीं नौकरीपेशा अधेड़ उम्र लोगों को भी मेमोरी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे बचने के लिए विशेषज्ञ ध्यान के अभ्यास की सलाह देते हैं। हर रोज कम से कम दस मिनट ध्यान यानी मेडिटेशन करने से तनाव से मुक्ति मिलती है।