इन दिनों बेडरूम गैजेट्स से भर गए हैं। टेलीविजन, लैपटॉप आदि तो थे ही अब मोबाइल भी आधी रात तक हाथों में रहता है। जिसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम है नींद में खलल। न्यू लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे ज्यादातर लेागों को अब नींद न आने की समस्या होने लगी है। यह समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि बिना नींद की गोली लिए उन्हें नींद ही नहीं आती है। अगर आपको भी नींद की गोलियों की आदत पड़ गई है तो यह आपकी सेहत के लिए जोखिम भरा हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे -
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क्यों नहीं आ रही नींद
शहरी लाइफस्टाइल, फास्टफूड का अत्यधिक इस्तेमाल, स्ट्रेस नींद ना आने के प्रमुख कारणों में से एक होते हैं। ये समस्या लोगों को इतना अधिक प्रभावित करती है कि लोग नींद की दावाइयों को लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। शुरुआती समय में तो ये गोलियां लोगों को सुकून देती हैं, पर लंबे वक्त के लिए इनका सेवन सेहत पर काफी बुरा असर डालता है।
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क्या कहता है शोध
नींद की गोलियों के दुष्परिणाम जानने के लिए लगातार शोध हो रहे हैं। इसी श्रृंखला में हाल ही में हुए शोध में यह सामने आया है कि लगातार नींद की गोलियों पर निर्भरता ब्लड प्रेशर बढ़ा देती है। स्पेन की एक यूनिवर्सिटी में हुए शोध के मुताबिक नियमित तौर पर नींद की गोलियों का सेवन करना बुढ़ापे में हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को और बढ़ा देता है।
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इस तरह किया गया शोध
इस स्टडी को करने के लिए शोधकर्ताओं ने तनाव और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त करीब 750 लोगों को शामिल किया। स्टडी के दौरान पाया गया कि करीब 156 लोगों ने एंटीहाइपरटेंसिव दवाइयों की संख्या में वृद्धि की। इससे नींद की अवधि या क्वालिटी और एंटीहाइपरटेन्सिव ड्रग के उपयोग में परिवर्तन के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद की गोलियों का सेवन भविष्य में उच्च रक्तचाप के इलाज की आवश्यकता और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की ओर संकेत करता है, जो उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
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