अब धीरे-धीरे मौसम में बदलाव दिखने लगा है। खासकर उत्तर भारत में तापमान में गिरावट के ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे में खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि बदलते मौसम में सर्दी जुकाम के साथ बुखार होना बहुत ही सामान्य है। इन दिनों डेंगू बुखार का खतरा ज्यादा है। अस्पतालों में डेंगू बुखार के पेशेंट बढ़ रहे हैं, ऐसे में आपको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर आपका बुखार कम नहीं हो रहा है और 5 से 7 दिन हो चुके हैं तो आपको तुरंत जांच कराने की आवश्यकता है, क्योंकि यह डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। डेंगू के और भी कई लक्षण हैं, आइए जानते हैं।
कई लोगों, विशेष रूप से बच्चों और किशोर, को डेंगू बुखार के हल्के मामलों में कोई संकेत या लक्षण अनुभव नहीं होते हैं। उनमें डेंगू वायरस के लक्षण तब दिखाई देते हैं जब वे आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से सात दिन बाद शुरू होते हैं। डेंगू में तेज बुखार होता है, लगभग 104 डिग्री। इसके अलावा भी कई लक्षण हैं, जैसे:
-सिरदर्द
-मांसपेशियों, हड्डी और जोड़ों में दर्द
-जी मिचलाना
-उल्टी
-आंखों के पीछे दर्द
ज्यादातर लोग एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। मगर कुछ मामलों में लक्षण बिगड़ जाते हैं और जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं। डेंगू में रक्त वाहिकाएं अक्सर क्षतिग्रस्त और लीक हो जाती हैं। रक्तप्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं (प्लेटलेट्स) की संख्या कम होने लगती हैं। यह डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार, गंभीर डेंगू या डेंगू शॉक सिंड्रोम के एक गंभीर रूप का कारण बन सकता है।
-गंभीर पेट दर्द
-लगातार उल्टी होना
-मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
-मूत्र, मल या उल्टी में खून आना
-त्वचा के नीचे रक्तस्राव, जो चोट लगने जैसा लग सकता है
-सांस लेने में कठिनाई
-ठंडा या चिपचिपी त्वचा
-थकान
-चिड़चिड़ापन या बेचैनी
जब बुखार तेज हो और दवा खाने के बाद भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वे आपको जांच कराने की सलाह दे सकते हैं। अगर जांच में डेंगू है तो आपको डॉक्टर के सुझाव को पालन करना होगा। इसमें लापरवाही न करें। दवाओं के साथ आप पपीते के पत्ते का रस, गिलोय का काढ़ा और बकरी का दूध पी सकते हैं।
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