कुछ लोगों की स्किन बहुत संवेदनशील होती है। गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा ऐसी ही त्वचा वाले लोगों को अधिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। देर तक धूप में रह कर काम करने से हीट रैशेज, फुंसियां आदि स्किन पर निकल आना, इन दिनों एक कॉमन प्रॉब्लम है।
चुभती गर्मी में फुंसियों के क्या कारण हैं?
गर्म और नमीयुक्त वातावरण, तंग या सख्त कपड़े, सिंथेटिक कपड़े, शारीरिक श्रम के कारण अधिक पसीना और तेज बुखार आदि गर्मियों में फुंसियों और हीट रैशेज के कारण होते हैं। ये दाने स्वेद ग्रंथि के अवरुद्ध हो जाने के कारण निकलते हैं जिस कारण त्वचा की परतों के अंदर ही पसीना रिस जाता है।
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हीट रैशेज का खतरा किसे अधिक होता है?
नवजात शिशु, जिसकी स्वेद ग्रंथियां अपरिपक्व रहती हैं और इसलिए उसे विशेष तौर पर चुभती गर्मी में परेशानी होती है। बीमार या अस्पताल में भर्ती मरीज, शारीरिक श्रम करने वाले मजदूर, सेना और पुलिस के जवानों को भी इस स्थिति का अधिक खतरा रहता है, क्योंकि उन्हें तेज गर्मी और तंग कपड़ों में काम करना पड़ता है।
हीट रैशेज के क्या लक्षण हैं?
हीट रैशेज के कारण खुजली के साथ त्वचा की रंगत बदल जाती है। कई बार इन छोटे-छोटे दानों में पानी भर आता है या पीठ, छाती और गर्दन के पिछले हिस्से जैसे बंद हिस्सों में फुंसियां निकल आती हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि इनमें पस नजर आता हो।
हीट रैश का इलाज क्या है?
कैलामाइन और मेंथल मिश्रित लोशन लगाने से त्वचा को बड़ी राहत मिलती है। लेनोलिन वाले लोशन या क्रीम लगाने से स्वेद ग्रंथियां अवरुद्ध नहीं हो पाती हैं। आपके डर्मेटोलॉजिस्ट कई बार आपको एंटी-इचिंग टैबलेट का सेवन करने के साथ-साथ मल्टी-एंटीइनफ्लेमेटरी क्रीम भी लगाने की सलाह दे सकते हैं।
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कुछ जरूरी सलाह
- ऐसी स्थिति से बचने के लिए सबसे अच्छा होगा कि गर्मी में बहुत ज्यादा घर से बाहर निकलने से बचें।
- जब तेज धूप रहे तो घर के ठंडे वातावरण में ही रहना बेहतर है।
- ढीले-ढाले सूती कपड़े ही पहनना चाहिए।
- गर्मियों के दौरान बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत करने से भी बचें।
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