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भारत तथा विकासशील देशों में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer)। गर्भाशय के निचले और बाहरी भाग (सर्विक्स) में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने की बात यह है कि अगर समय पर जांच हो और जरूरी सतर्कता बरती जाए तो इससे बचाव और इसका इलाज दोनों संभव हैं।
ये बात, दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) की वरिष्ठ सलाहकार - रेडिएशन ओंकोलॉजिस्ट एवं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंड जेनिटोयूरिनेरी सर्विसेज यूनिट की प्रमुख डॉ. स्वरूपा मित्रा ने कही है।
डॉ. स्वरूपा मित्रा ने बताया कि, ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कई अलग-अलग स्ट्रेन सर्वाइकल कैंसर का अहम कारण बनते हैं। आमतौर पर एचपीवी के संपर्क में आने पर महिलाओं का इम्यून सिस्टम वायरस से होने वाले नुकसान से बचाता है। कुछ महिलाओं में यह वायरस वर्षों तक बना रहता है, जिससे सर्विक्स की सतह की कुछ कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं में बदल जाती हैं। जांच और एचपीवी संक्रमण से बचाव करने वाली वैक्सीन के जरिये लोग सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर की जांच आमतौर पर पैप परीक्षण से शुरू होती है। यह परीक्षण सर्वाइकल कोशिकाओं में कैंसर के विकसित होने से पहले ही असामान्य परिवर्तनों का पता लगा सकता है। यह तेजी से होने वाली जांच है, जो आमतौर पर डॉक्टर की ओपीडी में होती है।
आरजीसीआईआरसी की गायनी ओंकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. अमिता नैथानी ने भी इसकी जल्दी जांच पर जोर दिया। साधारण पैप स्मीयर टेस्ट के जरिये इसकी जांच संभव है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के बारे में डॉ. अमिता नैथानी ने कहा, "80 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर एचपीवी वायरस के संक्रमण से होता है! इस वायरस की वैक्सीन भी उपलब्ध है। यह वैक्सीन 9 से 14 वर्ष की उम्र में 2 इंजेक्शन और 14 से 26 साल की उम्र में 3 इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है।" कैंसर के प्रकार (Cancer Types) और स्टेज के हिसाब से सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी (Chemotherapy) से इलाज किया जा सकता है।
सर्जिकल ओंकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. लीना डडवाल ने कहा कि जांच के जरिये कैंसर होने से पहले ही इसके लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। ऐसा होने से कैंसर को पनपने से रोकना संभव है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे आम है, लेकिन साथ ही यह कैंसर का ऐसा प्रकार भी है, जिससे बचना संभव है। विकसित देशों में इस कैंसर को लगभग खत्म करने में सफलता मिल चुकी है। इसके बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने की जरूरत है।
डॉ. डडवाल ने आगे कहा कि शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत के तीन साल बाद से पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए और हर तीन साल में जांच कराते रहना चाहिए। मासिक स्राव बढ़ जाना, मासिक के बीच में रक्तस्राव होना, गंदा स्राव होना सर्वाइकल कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण हैं।