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आपके कॉस्मेटिक्स हार्मोन्स के असंतुलन का कारण कैसे बनते हैं?

आपके कॉस्मेटिक्स हार्मोन्स के असंतुलन का कारण कैसे बनते हैं?
Eye makeup products may contain high levels of lead, which is a harmful heavy metal.

क्या आपको पता है कि आपके कॉस्मेटिक उत्पाद कितने खतरनाक हैं?

Written by Editorial Team |Published : August 4, 2017 12:59 PM IST

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी त्वचा की ताजगी कम होने लगती है, और ऐसी हर चीज जो हमारी त्वचा की बनावट को सम्भालने में मदद करती हैं हम उसका इस्तेमाल करते हैं। हम में से अधिकांश लोग ऐसा करते हैं फिर चाहें कोई पुरुष हो या महिला। ऐसा ही एक तरीका है कॉस्मेटिक्स जिन्हें हम  मेकअप में इस्तेमाल करते हैं। मेकअप न केवल हमें अच्छा दिखाता है और हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता है, बल्कि जेनोस्ट्रोजेन्स (xenoestrogens) हमें कुछ सामाजिक स्थितियों का सामना करने की भी हिम्मत देते हैं जैसे- विश्वसनीयता, पैसे कमाने की योग्यता, और प्रतिस्पर्धा।

जब डॉ. एलेक्स जोन्स और उनकी टीम ने एक अनुसंधान किया और जानने की कोशिश की कि कैसे मेकअप प्रभुत्व और प्रतिष्ठा से जुड़ी लोगों की धारणा को प्रभावित करता है। अनुसंधान के नतीजे देखकर वे आश्चर्यचकित हो गए। शोधकर्ताओं ने समझा कि जो महिलाएं मेकअप करती हैं, उन्हें दूसरी महिलाएं अधिक प्रभावशाली मानती हैं, जबकि पुरुष उन्हें अधिक प्रतिष्ठित मानते हैं। [1]

बात चाहे प्रभुत्व की हो या प्रतिष्ठा की, सबूत बताते हैं कि आकर्षक व्यक्तियों को विभिन्न सकारात्मक व्यक्तित्व अभिव्यक्तियों से जोड़कर देखा जाता है। कम आकर्षक व्यक्तियों की तुलना में उन्हें नौकरी जल्दी मिलने की सम्भावना अधिक होती है; इसी तरह आकर्षक व्यक्ति गंभीरता अपराधों में किसी के शामिल होने के बारे में फैसले को प्रभावित भी कर सकता है। संक्षेप में, आकर्षक लोग एक अनुकूल जीवन का नेतृत्व करते हैं।

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कॉस्मेटिक्स का हार्मोन्स पर अनूकूल प्रभाव

व्यक्तित्व के अलावा, मेकअप का भावनाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रसाधन सामग्री या कॉस्मेटिक्स सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाते हैं और इस तरह एंडोक्रिनोलॉजिकल सिस्टम (endocrinological system) को प्रभावित करते हैं। विभिन्न स्टडीज़ और अध्ययनों से पता चलता है कि कॉस्मेटिक्स तनाव बढ़ानेवाले हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकते हैं और कुछ हद तक रोगप्रतिरोधक प्रणाली को भी मज़बूत कर सकते हैं।[2]

उदाहरण के लिए, लैवेंडर या नींबू के तेल जैसी कुछ सुगंध हमारे मूड को सुधारने का काम कर सकती है। ऐसा भी पाया गया है कि नींबू का तेल सूंघना, मूड को सकारात्मक बनाता है और नॉरपेनेफ़्रिन रिलीज को बढ़ाता है जो हमारे मूड को सुधारने के अलावा ध्यान केंद्रित करने की हमारी क्षमता को भी बढ़ाता है। [3]

कॉस्मेटिक्स और एंडोक्रोनिक डिस्ट्रप्टर्स

हालांकि, कॉस्मेटिक्स से होनेवाले सभी हार्मोनल प्रभावों इतनी बड़ी चिंता का विषय नहीं हैं। हालांकि, सौंदर्य प्रसाधनों में उपस्थित जेनोस्ट्रोजेन्स (xenoestrogens) वजह से होनेवाला सबसे महत्वपूर्ण (जिसके बारे में सबसे ज्यादा अध्ययन किए गए हैं) हार्मोनल प्रभाव कैंसर, विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण होते हैं।

जेनोस्ट्रोजेन्स (xenoestrogens) ऐसे रसायन हैं जो अंतःस्रावी तंत्र या एंडोक्राइन सिस्टम (endocrine system) के कार्यों को बाधित करते हैं। जिनमें पुरुष और महिलाओं की प्रजनन संबंधी गड़बड़ियां, किशोरावस्था की जल्द शुरुआत, मोटापा, मधुमेह, ऑस्टियोपोरोसिस, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लीवर कैंसर, पार्किंसंस रोग जैसे तंत्रिका संबंधी विकार और प्रतिरोधक शक्ति या इम्यूनिटी से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती हैं। ।

अंतःस्रावी तंत्र या एंडोक्राइन सिस्टम (endocrine system) क्या है और ये रसायन अंतःस्रावी कार्यों को कैसे बाधित किया जाता है? अंतःस्रावी तंत्र, ग्रंथियों या ग्लैंड्स से बना है। इन ग्रंथियों से हार्मोन्स निकलते हैं, जो इन्हें विनियमित करते हैं –

·         शरीर का मेटाबॉलिज़्म (Body metabolism)

·         विकास

·         प्रजनन

·         तनाव और चोट के लिए प्रतिक्रिया

पैराबीन्स (parabens), फाल्लेट (phthalates), और एल्यूमीनियम लवण (aluminium salts) जैसे जेनोस्ट्रोजेन्स (xenoestrogens) अंतःस्रावी विघटनकारी या एंडोक्रोनिक डिस्ट्रप्टर्स (endocrine disruptors) हैं जिसके एस्ट्रोजेन जैसे होते हैं और ये प्राकृतिक एस्ट्रोजन के सामान्य मेटाबॉलिज़्म को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार या कैंसरकारक या कार्सिनोजेन्स (carcinogens) के रूप में कार्य करते हैं। प्राकृतिक एस्ट्रोजन पुरुषों और महिलाओं में, हड्डियों के विकास, रक्त के थक्के और प्रजनन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और जेनोस्ट्रोजेन्स हार्मोन के सामान्य कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बनते हैं।

उदाहरण के लिए, वैज्ञानिकों ने यह देखा है कि पैराबीन्स, एस्ट्रेडिय सिक्रेटिंग (estradiol secreting) और एरोमेटस (aromatase) गतिविधियों को बढ़ाकर मानव शरीर में ब्रेस्ट में कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने और बढ़ने में मदद करते हैं। [4]

पैराबीन्स बॉडी क्रीम, डियोडरेंट, सनस्क्रीन उत्पादों, लोशन, और शैम्पू जैसे सौंदर्य प्रसाधनों में रोगाणुरोधी या एंटी माइक्रोबीअल (antimicrobial) के रूप में उपयोग किया जाता है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इन रसायनों को तेजी से त्वचा के माध्यम से मानव शरीर में अवशोषित किया जाता है। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि, एकाध बार स्किनकेयर प्रॉडक्ट्स लगाने से भी ऐसे केमिकल्स का संचय होने लगता है और इन्हें काफी समय तक इस्तेमाल करने के परिणामस्वरूप ब्रेस्ट कैंसर या अन्य प्रकार के कैंसर होने का ख़तरा उत्पन्न होता है।

नियमों के अनुसार  क्या किया जाना चाहिए?

75-90 प्रतिशत सौंदर्य प्रसाधनों में पैराबीन्स होते  हैं, और इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सहित कई देशों ने पर्सनल केयर उत्पादों में पैराबीन्स के उपयोग के लिए कड़े नियम अपनाए हैं। यूरोपीयन कमिशन  (ईसी) ने अप्रैल 2014 से सभी सौंदर्य प्रसाधनों और पर्सनल केयर उत्पादों में 5 प्रकार के पैराबींस (आइसोपेंटिल पैराबीन्स, इज़ोबिटिल पैराबीन्स, फेनाइल पैराबींन, बेन्ज़ाइल पैराबीन्स और पेंटाइल पैराबीन्स) पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिकृत कॉस्मेटिक उत्पादों में पैराबीन्स की अधिकतम एकाग्रता का स्तर  एक प्रकार के  पैराबीन्स के लिए 0.4 प्रतिशत और विभिन्मिन प्रकार के पैराबीन्स  के लिए 0.8 प्रतिशत होना चाहिए।

इसी तरह, जनवरी 2015 में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (एएसईएएन) कॉस्मेटिक कमिटी (एसीसी) ने माउथवाश में 0.2 प्रतिशत और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों जैसे टूथपेस्ट, हैंड वॉश और फेस पाउडर में 0.3 प्रतिशत में ट्राईक्लोसन (Triclosan) की अधिकतर एकाग्रता की अनुमति दी । भारत में, सौंदर्य प्रसाधनों में प्रीज़र्वेटिव्स के रूप में ट्राईक्लोसन की अधिकतम अधिकृत एकाग्रता 0.3 प्रतिशत है।

जहां तक फाल्लेट (phthalates) की बात है, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने सौंदर्य प्रसाधन में डिब्यूटिल फाल्लेट (DBP), डी (2-एथिलेहेक्सिल) फाल्लेट (DEHP), बीआईएस (2-Methoxyethyl) आइसोपेंटिल फाल्लेट, (Isopentyl phthalate), और बेन्ज़ाइल बूटल फाल्लेट (Benzyl butyl phthalate) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। तो वहीं भारत में भी, सौंदर्य प्रसाधनों के कच्चे माल में इन फाल्लेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। [7]

अंत में हम यही कहेंगे कि, यह हम पर निर्भर है कि इन रसायनों का उपयोग करने वाले सौंदर्य प्रसाधनों से सावधान रहें और इसके बारे में जागरूक बने। लेबल को सावधानी से पढ़ें और इन अंतःस्रावी विघटनकारियों से दूर रहें।

संदर्भ-

1.  Mileva, V, Jones, A., Russell, R. & Little,A. Sex Differences in the Perceived Dominance and Prestige of Women With and Without Cosmetics. Perception. Vol 45, Issue 10, 2016. doi:1177/0301006616652053.

2.  Pössel, P, Ahrens, S and Hautzinger, M. Influence of cosmetics on emotional, autonomous, endocrinological, and immune reactions. International Journal of Cosmetic Science. 27: 343–349. doi:10.1111/j.1467-2494.2005.00295.x.

3.  Kiecolt-Glaser JK, Graham JE, Malarkey WB, Porter K, Lemeshow S, Glaser R. Olfactory Influences on Mood and Autonomic, Endocrine, and Immune Function. Psychoneuroendocrinology. 2008;33(3):328-339. doi:10.1016/j.psyneuen.2007.11.015.

4.  Wróbel A, Gregoraszczuk EL. Effects of single and repeated in vitro exposure of three forms of parabens, methyl-, butyl- and propylparabens on the proliferation and estradiol secretion in MCF‑7 and MCF‑10A cells. Pharmacol Rep. 2013; 65: 484-493.

5.  Konduracka E, Krzemieniecki K, Gajos G.Relationship between everyday use cosmetics and female breast cancer.Pol Arch Med Wewn.2014;124(5):264-9.

6.  Poole AC, Pischel L, Ley C, et al. Crossover Control Study of the Effect of Personal Care Products Containing Triclosan on the Microbiome. Krajmalnik-Brown R, ed. mSphere. 2016;1(3):e00056-15. doi:10.1128/mSphere.00056-15.

7.  [Toxic Link. Endocrine Disruptive Chemicals (EDCs) in Personal Care Products. http://toxicslink.org/docs/Endocrine-Disruptive-Chemicals-REPORT-2016.pdf

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अनुवादक-Sadhana Tiwari

चित्रस्रोत-Shutterstock.