• हिंदी

इन 5 कारणों से हो सकती है इंटरनल ब्लीडिंग

इन 5 कारणों से हो सकती है इंटरनल ब्लीडिंग

खतरनाक साबित हो सकती है Internal Bleeding!

Written by Editorial Team |Updated : January 5, 2017 8:38 AM IST

Read in English

अनुवादक – Shabnam Khan

ये तो आपने सुना ही होगा कि गिरने या सिर पर लगी तेज चोट के कारण इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है लेकिन इसके कुछ और कारण भी होते हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए। अगर आप ब्लड थिनर (खून पतला करने वाली दवाएं) ले रहे हैं और उसकी ज्यादा मात्रा हो जाती है तब भी आपको इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है। इसके अलावा आंतों का अंदरूनी इंफेक्शन या ब्रेन डैमेज भी इसके कारण हो सकते हैं। नवी मुंबई की अक्षज्योत क्लिनिक के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट और फिजिशियन डॉक्टर अक्षय चल्लानी ने इंटरनल ब्लीडिंग के सभी संभावित कारण बताए।

Also Read

More News

1) आंतों का इंफेक्शन हो सकता है आपको सुनने में अजीब लगे लेकिन आंतों का इंफेक्शन भी इंटरनर ब्लीडिंग की स्थिति पैदा कर सकता है। इसका संकेत स्टूल में आया ब्लड होता है। अगर इसके साथ आपको मतली या उल्टी, ऐंठन और बदहजमी भी हो रही है तो मुमकिन है कि आंतों में बहुत अधिक इनफ्लेमेशन हो। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, नहीं तो ये इंफेक्शन दूसरे अंगों में भी फैल सकता है।

2) ब्रेन डैमेज या ट्यूमर – सिर पर लगी कोई बड़ी चोट या ब्रेन ट्यूमर, दोनों के कारण इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है। इस तरह के मामलों में ब्लड वेसेल पर दबाव पड़ने के कारण वो फट पड़ते हैं और इंटरनल ब्लीडिंग हो जाती है।ब्रेन ट्यूमर के कारण कई सारे हार्मोन लीक कर सकते हैं जिससे ब्रेन में ओडेमा और ब्लीडिंग भी होती है। ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग का संकेत अनियंत्रित ब्लड प्रेशर होता है। इसलिए इस लक्षण को इग्नोर न करें।

3) हेमटोम (Hematoma) – जब इंटरनल ब्लीडिंग से ब्लड वेसेल के बाहर ब्लड क्लॉट बन जाता है तो इसे हेमटोम (Hematoma) कहता है। ये इंफेक्शन या बीमारी, सर्जरी के बाद या ब्रेन डैमेज के कारण हो सकता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसे ठीक करने के लिए सही कारण जानना जरूरी है।

4) ब्लड थिनर – बायपास सर्जरी या एंजियोग्राफी के बाद ब्लड थिनर (एक प्रकार की दवाई) दिया जाना आम है। लेकिन ये दवाई इंटरनल ब्लीडिंग कर सकती है।अगर आप ये दवाएं ले रहे हैं और आपको इंटरनल ब्लीडिंग के लक्षण जैसे कि स्टूल में ब्लड आना, धुंधला दिखना, थकान, बेहोशी आदि हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

5) हार्मोनल प्रॉब्लम – ये महिलाओं के साथ ज्यादा होता है। हार्मोनल लेवल में बहुत तेजी से बदलाव आने पर यूटेराइन ब्लीडिंग हो सकती है। ये खासतौर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में आए बदलाव के कारण होता है। ये आमतौर पर प्यूबर्टी और मीनोपॉज़ में होता है, जब हफ्तों-महीनों तक हार्मोन असंतुलित रहते हैं। महिलाओं को दूसरी गायनाकॉलोजिकल प्रॉब्लम के कारण भी इंटरनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ सकता है।

चित्र स्रोत - Shutterstock