Don’t Miss Out on the Latest Updates.
Subscribe to Our Newsletter Today!
भारत अगर हवा मानकों को पूरा करने के लिए अपने लक्ष्यों को सुधार लेता है तो 66 करोड़ लोगों की उम्र 3.2 साल और बढ़ जाएगी। यह जानकारी एक महत्वपूर्ण शोध से सामने आई है। इस शोध में कहा गया है कि भारतीय वायु गुणवत्ता मानकों की अनुकूलता से 210 करोड़ साल का जीवन बचाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के दल में शिकागो, हार्वर्ड और येल विश्वविद्यावय के भारतीय मूल के शोधकर्ता शामिल थे। उन्होंने शोध में पाया कि वायु प्रदूषण का जीवन काल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के उच्च वायु प्रदूषण को विश्व के कुछ सबसे खराब देशों की श्रेणी में रखा है।
शिकागो विश्वविद्यालय में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के निदेशक और मुख्य शोधकर्ता मिशेल ग्रीनस्टोन ने विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति में कहा, 'भारत का ध्यान अनिवार्य रूप से विकास की ओर है। विकास की पारंपरिक परिभाषा ने हालांकि बहुत लंबे समय के लिए स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के पड़ने वाले प्रभावों को नजरंदाज कर दिया है।' डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक, विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 शहर भारत के हैं। इन अनुमानों में दिल्ली को प्रदूषण के मामले में सबसे बुरा शहर बताया गया था। पढ़े- वायु प्रदूषण से बच्चों को हो रहीं है मस्तिष्क संबंधी बीमारियाँ
भारत में दुनिया के किसी भी स्थान की तुलना में पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण सबसे अधिक लोगों की मौत होती है। हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में एविडेंस फॉर पॉलिसी डिजाइन की निदेशक और सह शोधकर्ता रोहिणी पाण्डे ने जोर देते हुए कहा, 'वायु प्रदूषण के लिए 200 करोड़ साल से अधिक जीवन का भुगतान एक बड़ी कीमत है। भारत में यह क्षमता है कि वह कम लागत में प्रभावी तरीकों से इसमें परिवर्तन लाए, ताकि करोड़ों लोग लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकें।'
स्रोत: IANS Hindi
चित्र स्रोत: Getty images