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जब हम ज्ञान मुद्रा में योग करते हैं, तो हमारी बुद्धि तेज होती है इसलिए इस योग को करने के लिए ध्यान लगाना बहुत ही आवश्यक है ताकि इसका हमें अधिक फायदा हो। अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतीक होता है और तर्जनी उंगुली वायु तत्व की प्रतीक होती है। ज्योतिष के अनुसार, हमारा अंगूठा मंगल ग्रह का प्रतीक ओर तर्जनी अंगुली बृहस्पति का प्रतीक होता है। जब यह दोनों तत्व आपस में मिलने से वायु तत्व में वुद्धि होती है, जिससे कारण बृहस्पति का प्रभाव बढ़ता है। यही कारण है कि योग आसन करने से हमारी बुद्धि का विकास होता है।
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ज्ञान मुद्रा करने की विधि
- ज्ञान योग मुद्रा में आने से पहले साफ जगह पर सुखासन, पदासन या फिर वज्रासन में बैठ जाएं। पीठ सीधी रहे। यदि पीठ सीधी करके बैठने में दिक्कत हो, तो पीठ को किसी दीवार के सहारे टिका लें। सिर को बिल्कुल सीधा रखते हुए एकदम स्थिर रखें। आंखें बंद कर लें। पलकों में कोई हलचल न हो। अब ज्ञान मुद्रा लगाएं। इसमें अंगूठे के ऊपरी हिस्से को तर्जनी के ऊपरी हिस्से से मिलाएं और बाकी उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें। इस मुद्रा में अपनी हथेलियों को घुटनों पर रख लें। हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रहे। अब अपनी सांसों पर ध्यान दें। न अपनी तरफ से सांसों की गति घटाएं-बढ़ाएं और न ही कोई कुंभक लगाएं।
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- ज्ञान मुद्रा को आप खड़े होकर यानी ताड़ासन या फिर कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं लेकिन इसका अधिक फायदा हमें बैठ कर करने में ही मिलता है।
- इसको आप दिन में 30 मिनट तक कर सकते हैं। इससे आपको बहुत ही फायदा मिलता है। आप सुबह और शाम दोनों समय कर सकते हैं।
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ज्ञान मुद्रा करने के लाभ
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सावधानियां
भोजन करने एवं चाय, कॉफी पीने के तुरंत बाद कोई भी मुद्रा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। मुद्रा करते समय किसी प्रकार की असहजता या किसी प्रकार का कोई कष्ट हो तो मुद्रा बीच में हो छोड़ देनी चाहिए।