मौसमी बीमारियों से है बेहाल तो अपनाकर देखे यह 5 आयुर्वेदिक घरेलू उपचार
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जब शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट के आसपास हो तो उसे सामान्य शारीरिक तापमान माना जाता है। हालांकि, शरीर का सामान्य तापमान अन्य कई कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके द्वारा खाया गया भोजन, सोने का तरीका और आपके द्वारा की गई शारीरिक गतिविधियां आदि। हालांकि, जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता हो, तो इस स्थिति को बुखार (Fever in Hindi) कहा जाता है और इसका मेडिकल नाम पाइरेक्सिया (Pyrexia) है। बुखार आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है, जिनमें मुख्य रूप से वायरल संक्रमण और बैक्टीरियल संक्रमण शामिल हैं। बुखार वास्तव में कोई बीमारी नहीं होती है, बल्कि किसी अंदरूनी स्वास्थ्य समस्या का लक्षण होता है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune system) संक्रमण बैक्टीरिया या अन्य किसी रोगाणु से लड़ने के लिए अधिक मेहनत करती है, तो उसकी प्रतिक्रिया के रूप में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। नवजात शिशुओं में बुखार के लगभग 10 फीसद मामले गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होते हैं।
(What is Fever in Hindi) मानव शरीर का सामान्य तापमान 97 से 99 डिग्री फारेनहाइट होता है और इससे अधिक बढ़ जाने की स्थिति को बुखार यानि फीवर कहा जाता है। मेडिकल भाषा में इसे हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) और पायरेक्सिया (Pyrexia) के नाम से भी जाना जाता है। शरीर आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, फंगस व अन्य रोगजनकों से लड़ने के लिए शरीर का तापमान बढ़ाता है, जो कि सामान्य प्रक्रिया है।
हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। ऐसे में जब शरीर किसी प्रकार के संक्रमण या अन्य रोगजनकों के संपर्क में आता है, तो यह उससे लड़ने की प्रक्रिया के रूप में शरीर के तापमान को बढ़ा देता है। मेडिकल साइंस के अनुसार जब आपके शरीर का तापमान बढ़ता है, तो यह किसी संक्रमण या बीमारी का संकेत देता है।
बुखार के प्रकारों (Types of Fever) को इसकी गंभीरता के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। मेडिकल साइंस के अनुसार फीवर प्रमुख प्रकार निम्न हैं -
(Fever Symptoms in Hindi) शरीर का तापमान बढ़ना ही बुखार का सबसे प्रमुख लक्षण है और यह अन्य बीमारियों के लक्षणों के रूप में भी विकसित हो सकता है। हालांकि, बुखार के साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो आमतौर पर उसका कारण बनने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर निर्भर करते हैं -
(Fever Causes) बुखार तब होता है, जब हाइपोथैलेमस शरीर के सामान्य तापमान को बढ़ा देता है। ऐसी कई स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं, जिनके कारण हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान को बढ़ाने लग जाता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं में निम्न शामिल हैं -
(Prevention of Fever) बुखार से बचाव करने के उसका कारण बनने वाली स्थितियों की रोकथाम करना बेहद जरूरी है। जैसा कि आप जानते हैं अधिकतर मामलों में बुखार बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होता है, जिसकी रोकथाम निम्न की मदद से की जा सकती है -
(Diagnosis of Fever in Hindi) बुखार का निदान करने के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिस दौरान आपके शरीर के तापमान की जांच की जाती है और साथ ही लक्षणों से संबंधित कुछ सवाल पूछे जाते हैं। वैसे तो डॉक्टर शरीर के तापमान की जांच मरीज को छू कर ही पता लगा लेते हैं, हालांकि, बुखार की स्टेज का पता करने के लिए थर्मामीटर नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। थर्मामीटर आमतौर पर तीन प्रकार का होता है -
(Fever Treatment in Hindi) बुखार का इलाज प्रमुख रूप से उसकी गंभीरता व अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। अधिकतर मामलों में शरीर के तापमान को एसिटामिनोफेन दवाओं (जैसे पेरासिटामोल) के साथ कम कर दिया जाता है। हालांकि, ऐसे में बुखार फिर से भी हो सकता है, इसलिए उसके अंदरूनी कारण का इलाज करना बेहद जरूरी होता है।
ज्यादातर मामलों में बुखार बैक्टीरियल, वायरल व फंगल संक्रमण के कारण होता है, जिनका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल व एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यदि बुखार के साथ अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या भी हो गई है, तो उनके अनुसार ही अन्य दवाएं भी दी जाती हैं जिनमें आमतौर पर पेन किलर व सूजन रोधी दवाएं शामिल हैं।
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बुखार होने पर पहले कोशिश करें कि उसे स्पंज बाथ दें या गुनगुने पानी से नहलाएं। आप कोल्ड कॉम्प्रेस भी ट्राई कर सकते हैं। इसके बाद भी अगर बच्चा गर्म है, तो उसे पेरासिटामोल ड्रॉप या सिरप से मदद मिल सकती है।
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