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बुखार (Fever)

जब शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट के आसपास हो तो उसे सामान्य शारीरिक तापमान माना जाता है। हालांकि, शरीर का सामान्य तापमान अन्य कई कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके द्वारा खाया गया भोजन, सोने का तरीका और आपके द्वारा की गई शारीरिक गतिविधियां आदि। हालांकि, जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता हो, तो इस स्थिति को बुखार (Fever in Hindi) कहा जाता है और इसका मेडिकल नाम पाइरेक्सिया (Pyrexia) है। बुखार आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है, जिनमें मुख्य रूप से वायरल संक्रमण और बैक्टीरियल संक्रमण शामिल हैं। बुखार वास्तव में कोई बीमारी नहीं होती है, बल्कि किसी अंदरूनी स्वास्थ्य समस्या का लक्षण होता है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune system) संक्रमण बैक्टीरिया या अन्य किसी रोगाणु से लड़ने के लिए अधिक मेहनत करती है, तो उसकी प्रतिक्रिया के रूप में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। नवजात शिशुओं में बुखार के लगभग 10 फीसद मामले गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होते हैं।

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बुखार क्या है

(What is Fever in Hindi) मानव शरीर का सामान्य तापमान 97 से 99 डिग्री फारेनहाइट होता है और इससे अधिक बढ़ जाने की स्थिति को बुखार यानि फीवर कहा जाता है। मेडिकल भाषा में इसे हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) और पायरेक्सिया (Pyrexia) के नाम से भी जाना जाता है। शरीर आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, फंगस व अन्य रोगजनकों से लड़ने के लिए शरीर का तापमान बढ़ाता है, जो कि सामान्य प्रक्रिया है।

हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। ऐसे में जब शरीर किसी प्रकार के संक्रमण या अन्य रोगजनकों के संपर्क में आता है, तो यह उससे लड़ने की प्रक्रिया के रूप में शरीर के तापमान को बढ़ा देता है। मेडिकल साइंस के अनुसार जब आपके शरीर का तापमान बढ़ता है, तो यह किसी संक्रमण या बीमारी का संकेत देता है।

बुखार के प्रकार

बुखार के प्रकारों (Types of Fever) को इसकी गंभीरता के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। मेडिकल साइंस के अनुसार फीवर प्रमुख प्रकार निम्न हैं -


  • लो ग्रेड फीवर - यह बुखार की सबसे आम प्रकार है, जिसमें शरीर का तापमान 100 से 101 डिग्री फारेनहाइट तक रहता है।

  • हाई ग्रेड फीवर - यदि शरीर का तापमान 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट है, तो स्थिति को हाई ग्रेड फीवर की श्रेणी में रखा जाता है।

  • डेंजरस ग्रेड फीवर - यह बुखार का सबसे घातक प्रकार है, जिसमें शरीर का तापमान 104 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाता है। यह आमतौर पर किसी अंदरूनी गंभीर बीमारी का संकेत देता है।


हालांकि, बुखार की प्रकृति के अनुसार उसे अन्य कई प्रकारों में बांटा गया है, जिनमें आमतौर पर निम्न शामिल हैं -

  • सस्टेंड फीवर - बुखार का यह प्रकार लंबे समय तक रहता है और इसमें शरीर का तापमान लगातार बढ़ा ही रहता है

  • रेमिटेंट फीवर - इसमें शरीर का तापमान बार-बार कम व ज्यादा होता रहता है।

  • इंटरमिटेंट फीवर - यह बुखार बार-बार आता है, जिसमें शरीर का तापमान कभी सामान्य हो जाता है, तो कभी बढ़ जाता है।

बुखार के लक्षण

(Fever Symptoms in Hindi) शरीर का तापमान बढ़ना ही बुखार का सबसे प्रमुख लक्षण है और यह अन्य बीमारियों के लक्षणों के रूप में भी विकसित हो सकता है। हालांकि, बुखार के साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो आमतौर पर उसका कारण बनने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर निर्भर करते हैं -


  • शरीर कांपना

  • ठंड लगना

  • बदन दर्द होना

  • सिर में दर्द होना

  • पसीने आना

  • खांसी होना

  • नाक बहना

  • कम भूख लगना

  • शरीर में पानी की कमी होना

  • मांसपेशियों में ऐंठन

  • दर्द सहन करने की क्षमता कम हो जाना

  • ऊर्जा में कमी होना (कमजोरी महसूस होना)

  • उनींदापन

  • ध्यान केंद्रित न कर पाना

  • बुरे सपने आना

  • दौरे पड़ना


यदि आपके शरीर का तापमान बढ़ रहा है या फिर आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो आपको बिल्कुल भी देरी न करते हुए जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि तेज बुखार के साथ उपरोक्त में से कोई लक्षण होना किसी गंभीर समस्या का संकेत दे सकता है।

बुखार के कारण

(Fever Causes) बुखार तब होता है, जब हाइपोथैलेमस शरीर के सामान्य तापमान को बढ़ा देता है। ऐसी कई स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं, जिनके कारण हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान को बढ़ाने लग जाता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं में निम्न शामिल हैं -


  • जुकाम, फ्लू, निमोनिया व अन्य प्रकार के संक्रमण

  • कुछ प्रकार के टीकाकरण जैसे डिप्थीरिया, टेटनस व कोविड-19

  • बच्चों के दांत आना

  • सूजन व लालिमा से संबंधित रोग जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस व क्रोन रोग

  • रक्त के थक्के जमना

  • गंभीर रूप से सनबर्न (त्वचा धूप से जलना) हो जाना

  • फेफड़ों से संबंधित रोग होना

  • कुछ प्रकार के कैंसर जैसे हॉज्किंग डिजीज

  • लू लगना

  • शरीर में पानी की कमी होना

  • नशीले पदार्थ लेना (या उन्हें छोड़ने के बाद होने वाली बेचैनी के साथ भी बुखार हो सकता है)


इसके अन्य बीमारियों के इलाज के लिए ली जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में भी बुखार हो सकता है। इन दवाओं में प्रमुख रूप से फेनीटोइन (Phenytoin), क्विनिडाइन (Quinidine) और एंटी-ट्यूबरकुलर (Antitubercular) शामिल हैं।

इसके प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना, साफ-सफाई न रखना, प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाएं (Immunosuppressants) खाना, वृद्धावस्था व बचपन आदि कई कारक हो सकते हैं, जो बुखार होने के खतरे को बढ़ा देते हैं।

बुखार की रोकथाम

(Prevention of Fever) बुखार से बचाव करने के उसका कारण बनने वाली स्थितियों की रोकथाम करना बेहद जरूरी है। जैसा कि आप जानते हैं अधिकतर मामलों में बुखार बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होता है, जिसकी रोकथाम निम्न की मदद से की जा सकती है -


  • भोजन करने, टॉयलेट का इस्तेमाल करने और बाहर से घर पर आने के बाद अपने हाथ साबुन के साथ अच्छे से धोएं

  • यदि आप बाहर हैं और बार-बार हाथ नहीं धो सकते हैं, तो ऐसे में अपने साथ एक हैंड सैनिटाइजर रखें

  • बार-बार मुंह, नाक आंख या कानों को छूने की आदत छोड़ दें, ऐसा करने से बैक्टीरिया व अन्य रोगजनक आपके शरीर में घुस सकते हैं

  • खांसते व छींकते समय अपने मुंह को रुमाल या कपड़े से ढक लें। यदि आपके पास कोई कपड़ा या रुमाल नहीं है, तो कोहनी में छींकें।

  • किसी संक्रमित व्यक्ति या जिसे बुखार आ रहा है, उनसे संपर्क न बनाएं। यदि मिलना जरूरी है, तो मास्क लगाएं और उचित दूरी रखें।

  • समय रहते सभी टीकाकरण करवाएं और समय-समय पर डॉक्टर से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें

  • पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य व पेय पदार्थों को सेवन करें और भोजन को पका कर ही खाएं ताकि फूड पॉइजनिंग का खतरा कम रहे। खाने को ढक कर ही रखें

  • यदि आप कोई विदेश यात्रा पर जा रहे हैं, तो उससे पहले सभी जरूरी टीकाकरण करवा लें

बुखार का निदान

(Diagnosis of Fever in Hindi) बुखार का निदान करने के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिस दौरान आपके शरीर के तापमान की जांच की जाती है और साथ ही लक्षणों से संबंधित कुछ सवाल पूछे जाते हैं। वैसे तो डॉक्टर शरीर के तापमान की जांच मरीज को छू कर ही पता लगा लेते हैं, हालांकि, बुखार की स्टेज का पता करने के लिए थर्मामीटर नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। थर्मामीटर आमतौर पर तीन प्रकार का होता है -


  • डिजीटल थर्मामीटर

  • टेम्पोरल थर्मामीटर

  • टेम्पोरल आर्टरी थर्मामीटर


इसके अलावा बुखार के कारण का पता लगाने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • ब्लड टेस्ट (सीबीसी)

  • यूरिन टेस्ट

  • एलर्जी टेस्ट

बुखार का इलाज

(Fever Treatment in Hindi) बुखार का इलाज प्रमुख रूप से उसकी गंभीरता व अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। अधिकतर मामलों में शरीर के तापमान को एसिटामिनोफेन दवाओं (जैसे पेरासिटामोल) के साथ कम कर दिया जाता है। हालांकि, ऐसे में बुखार फिर से भी हो सकता है, इसलिए उसके अंदरूनी कारण का इलाज करना बेहद जरूरी होता है।

ज्यादातर मामलों में बुखार बैक्टीरियल, वायरल व फंगल संक्रमण के कारण होता है, जिनका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल व एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यदि बुखार के साथ अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या भी हो गई है, तो उनके अनुसार ही अन्य दवाएं भी दी जाती हैं जिनमें आमतौर पर पेन किलर व सूजन रोधी दवाएं शामिल हैं।

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