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ज्यादा स्ट्रेस की वजह से कमजोर हो सकती है नजर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ाना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं।

By: Editorial Team   | | Published: June 21, 2018 6:51 pm
Tags: Depression problem  effects of stress  Eye  Eye sight  Healthy brain  Nicotine  Post Trauma Stress Disorder  Work stress  
stress

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जर्मनी में मैग्डेबर्ग की ओटो वॉन गुरिके यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा अध्ययन में यह पता चला है कि निरंतर तनाव और कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन और वास्कुलर डिरेगुलेशन के कारण नेत्रों और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोध दल ने यह भी पाया कि इंट्राओकुलर प्रेशर में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं जिससे और नुकसान होता है। Also Read - कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद 30 फीसदी लोगों को हुआ डिप्रेशन, स्वास्थ्य मंत्रालय के इन 4 गाइडलाइंस को अपनाएं



पुराने तनाव से एक लंबे समय तक भावनात्मक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके पास बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति तनाव होने पर अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है। Also Read - टॉक्सिक पॉजिटिविटी क्या है? जानें इसके साइड एफेक्ट्स और दूर करने के उपाय

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, “शरीर की तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली आमतौर पर आत्म-सीमित होती है। खतरे या तनाव के तहत, माना जाता है कि शरीर के हार्मोन का स्तर बढ़ता है और अनुमानित खतरा बीत जाने के बाद सामान्य हो जाता है, जैसे एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल के स्तर गिरते हैं, दिल की धड़कन की दर और रक्तचाप बेसलाइन स्तर पर वापस आते हैं, और अन्य सिस्टम अपनी नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करते हैं। हालांकि, निरंतर तनाव की स्थिति में, व्यक्ति लगातार हमले से महसूस कर सकता है और शरीर की लड़ाई प्रतिक्रिया चालू रहती है। तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली की दीर्घकालिक सक्रियता और बाद में कोर्टिसोल व अन्य तनाव हार्मोन के लिए ओवर एक्सपोजर, शरीर में लगभग सभी प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। इस प्रकार व्यक्ति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाता है।”

तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ाना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं।

तीव्र तनाव की प्रतिक्रिया किसी व्यक्ति के किसी दर्दनाक घटना के संपर्क में आने के शुरुआती महीने में हो सकती है। विकार में नकारात्मक मनोदशा, घुसपैठ, विघटन, बचाव और उत्तेजना के लक्षण शामिल हैं।

आईएसए नई दिल्ली शाखा के अध्यक्ष व सचिव डॉ. ओ पी यादव एवं डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कहा कि एएसडी का अनुभव करने वाले कुछ रोगियों को पोस्टट्रॉमेटिक तनाव विकार का अनुभव होता है, जिसका पता आघात के चार सप्ताह बाद ही चल पाता है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, “तनाव प्रबंधन में या तो हालात बदलना, व्याख्या बदलना या शरीर को योग के तरीके से वश में करना शामिल है, ताकि तनाव शरीर को प्रभावित न कर पाए। हर स्थिति के दो पहलू होते हैं। व्याख्या बदलने का अर्थ हालात के दूसरी तरफ देखना है। यह आधे गिलास पानी की तरह कुछ है, जिसे आधा खाली या आधा भरा माना जा सकता है। आध्यात्मिक चिकित्सा का अभ्यास करने का सबसे अच्छा तरीका विचारों, भाषण और कार्य में चुप्पी का अनुभव करना है।”

तनाव दूर करने के कुछ सुझाव 

  • कैफीन, शराब, और निकोटीन का सेवन कम करें। कैफीन और निकोटीन उत्तेजक होने से व्यक्ति में तनाव का स्तर बढ़ाते हंै।
  • दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। यह न केवल आपको फिट रखेगा, बल्कि तनाव को भी कम करेगा।
  • स्वस्थ भोजन और आहार, जैसे कि फल, सब्जियां और मल्टी-ग्रेन आदि लें। फलों और सब्जियों में उपलब्ध एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मुक्त कणों के उत्पादन को रोकने के लिए आवश्यक हैं।
  • अच्छी तरह से गहरी नींद लें। हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे सोएं। नींद की कमी तनाव को बढ़ा सकती है।अपना समय अच्छे से मैनेज करें और फालतू काम दूसरों को भी बांटें। सिस्टम को फिर से जीवंत करने के लिए कभी-कभी
  • ब्रेक लेना महत्वपूर्ण है। आपके सिर पर ज्यादा लोड होने से बहुत अधिक तनाव होने की संभावना है।

स्रोत: IANS Hindi.
चित्रस्रोत: Shutterstock.

Published : June 21, 2018 6:51 pm
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