यूवल मेलानोमा एक प्रकार का कैंसर है जो आंखों को प्रभावित करता है। भूरे रंग की आंखों वाले लोगों की तुलना में यह उन लोगों में अधिक आम है जिनके पास हरे, नीले या ग्रे रंग की आंखें हैं। इस तरह के नेत्र कैंसर का खतरा बहुत कम है। यह अमेरिका में हर साल लगभग 2,500 लोगों को प्रभावित करता है।
जिन लोगों की आंखें भूरी होती हैं वे ज्यादा सुरक्षित होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार भूरी आंखों वाले लोगों में मेलानिन अधिक होता है, शायद यह एक वजह है।
अलग अलग लोगों की आंखों का अलग अलग रंग (Eye Color And Health) होता है। कुछ लोगों की आंखों का रंग नीला होता है तो कुछ लोगों की आंखों का रंग हरा व ग्रे। भारत में ज्यादातर लोगों की आंखों का रंग भूरा या काला ही होता है। तो आइए जानते है आप की आंखों का रंग आप की सेहत के बारे में क्या कहता है?
2011 में हुई एक स्टडी कहती है कि जिन लोगों की स्किन का रंग साफ होता है और जिनकी आंखों का रंग नीला होता है उन्हे टाइप 1 डाइबिटीज होने का अधिक खतरा होता है।
शोध से पता चला है कि एक शोर भरे वातावरण में भूरी आंखों वाले लोगों के मुकाबले नीली व हरे रंग की आंखों वाले लोगों को सुनने की क्षमता खोने का अधिक रिस्क रहता है।
यदि आप की आंखें नीली हैं तो आप की शराब पीने की लत बढ़ती जाएगी और आप दूसरे लोगों के मुकाबले अधिक शराब पर निर्भर होने लगेंगे।
अध्ययन यह कहते हैं की जिन महिलाओं की आंखों का रंग गहरा होता है वह अधिक दर्द बर्दाश्त कर सकती हैं। वह हल्के रंग की आंखों वाली महिलाओं के मुकाबले दर्द में अधिक काम करने की क्षमता रखती हैं।
रिसर्च कहती है कि जिन लोगों की आंखे भूरी होती हैं वह खेल आदि में ज्यादा आगे तक जाते हैं और ऐसा अधिकतर बॉक्सिंग व फुटबॉल के केस में होता है। परन्तु यदि आप की आंखों का रंग नीला है तो आप गेंदबाजी, गोल्फ व बेसबॉल आदि में अपनी कला को अच्छे से प्रदर्शित कर सकते हैं।
यदि आप की आंखें भूरे या गहरे रंग की हैं तो आप को मोतियाबिंद होने की ज्यादा सम्भावना है। एक ऑस्ट्रेलियन स्टडीज का कहना है कि आंखों का शेड मोतियाबिंद की स्थिति का खतरा दोगुना कर सकता है।
शोध से यह भी पता चला है कि 5 में से किसी एक व्यक्ति की अलग साइज की पुतली होती है यानी कि एक बड़ी एक छोटी। ये बेमेल पुतलियां कभी-कभी नर्वस-सिस्टम समस्या, स्ट्रोक या संक्रमण जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हो सकती हैं।
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