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पीरियड्स के दर्द को ज्यादातर महिलाएं बहुत सामान्य तरह से लेती हैं। वे इसे प्रजनन की राह में आने वाले दर्द की शुरूआत भर मानती हैं, जिससे उन्हें हर महीना जूझना है। पर क्या आप जानती हैं पीरियड्स के दौरान सामान्य से ज्यादा होने वाला दर्द महिलाओं के लिए गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकता है। गर्भाशय के टिशू से जुड़ी इस खास बीमारी को एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है, जिससे प्रजनन क्षमता तक प्रभावित हो सकती है।
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लापरवाही भरा है रवैया
एंडोमेट्रियोसिस के प्रति लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर 10 में से एक महिला इस बीमारी से जूझ रही है, लेकिन उन्हें इस बात का पता तब तक नहीं चलता जब तक वे बेबी प्लान नहीं करतीं। एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया भर में करोड़ों महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं, लेकिन जागरूकता न होने से लोगों को पता नहीं चलता कि वे किसी बीमारी से ग्रस्त हैं।
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जानें एंडोमेट्रियोसिस के बारे में
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें यूटरस के अंदर पाया जाने वाला एक टिशू बढ़कर गर्भाशय यानी यूटरस के बाहर फैलने लगता है। यह टिशू अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के बाहरी हिस्सों में और अन्य आंतरिक हिस्सों में फैल सकता है। एंडोमेट्रियोसिस होने पर पीरियड्स के दौरान तेज दर्द हो सकता है। यह टिशू गर्भाशय के अंदर वाले टिश्यू जैसा ही होता है लेकिन पीरियड्स के दौरान यह बाहर नहीं निकल पाता है जिससे दर्द होता है। कभी-कभी यह टिश्यू निशान छोड़ देते हैं या द्रव से भरे अल्सर बनाते हैं।
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[caption id="attachment_658408" align="alignnone" width="655"] दरअसल, महिलाओं के प्रजनन अंग पर एंडोमेट्रियल ग्रोथ होने पर एग और स्पर्म के रास्ते में रूकावट आ जाती है। © Shutterstock.[/caption]
जानें इसके लक्षण
इसका सबसे पहला लक्षण पीरियड्स के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द होना है। टिशू किस जगह पर बढ़ रहा है, उसके अनुसार बैक पेन, यूरिन करने के दौरान दर्द होना, पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, अनियमित पीरियड्स, कब्ज, डायरिया, बार-बार पेशाब लगना, थकान, फिजिकल रिलेशनशिप बनाते समय या बाद में दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
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कुछ महिलाओं के मासिक धर्म शुरू होने से पहले या कुछ समय बाद होने के दौरान ही खास तरह के लक्षण नजर आते हैं। आंत्र समस्याएं जैसे समय-समय पर सूजन, शौच में दर्द, यूरीन में खून आना, गुदा से खून आना, कंधे का दर्द इत्यादि। इस बीमारी से ग्रस्त होने पर एक ही महीने में कई बार ब्लीडिंग हो सकती है, अकसर यह सामान्य से ज्यादा होती है।
बढ़ जाती है बांझपन की समस्या
इन्फर्टिलटी की समस्या से जूझ रहीं एक तिहाई महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस बीमारी से ग्रसित पाया गया। पर इस बात को भी ध्यान में रखें कि एंडोमेट्रियोसिस बीमारी होने का मतलब यह नहीं है कि आप प्रेगनेंट नहीं हो सकती हैं। दरअसल, महिलाओं के प्रजनन अंग पर एंडोमेट्रियल ग्रोथ होने पर एग और स्पर्म के रास्ते में रूकावट आ जाती है। यूटरस पर पड़े निशान एग को फर्टिलाइज करने की प्रक्रिया में परेशानी खड़ी करते हैं और गर्भधारण नहीं हो पाता है।
अनुवांशिक भी हो सकती है
एंडोमेट्रिओसिस लाइफस्टाइल से उपजी बीमारी नहीं है। पर अगर आपके परिवार में यह बीमारी किसी को है, तो आपको होने की संभावना बढ़ जाती है। अमूमन यह युवावस्था में 18 से 35 उम्र वर्ग की उम्र में होती है। एक सूचना के अनुसार देश 2 करोड़ महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती हैं।