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Cancer diagnosis test : कैंसर का नाम सुनते ही अक्सर हमारे दिमाग में एक भयावह छवि बनती है, इसकी वजह है इसका जटिल इलाज और इसकी गंभीरता। लेकिन अगर आप समय पर कैंसर का निदान कर लेते हैं, तो काफी हद तक कैंसर का इलाज करना संभव हो जाता है। इसलिए अगर आपको कैंसर होने का जोखिम है, तो समय-समय पर कुछ जरूरी टेस्ट जरूर कराएं। इस विषय पर न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर अजय शाहका कहना है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का अगर आप समय पर पता लगाना चाहते हैं, तो इसके कुछ टेस्ट (Test for Cancer) आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इसमें ब्रेस्ट कैंसर के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली स्क्रीनिंग विधि मैमोग्राम है, जो ब्रेस्ट के टिश्यूज की असामान्यताओं का पता लगाती है। वहीं, सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप टेस्ट महत्वपूर्ण माना जाता है, जो सर्वाइकल कोशिका में असामान्य परिवर्तनों की पहचान करने में आपकी मदद कर सकती है।
कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी महत्वपूर्ण होता है, इस टेस्ट के माध्यम से पॉलीप्स या ट्यूमर का पता लगाने के लिए कोलन की जांच की जाती है। पीएसए टेस्ट के माध्यम से ब्लड में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन स्तर को मापने में मदद करता है, जिससे प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा बायोप्सी में विस्तृत जांच के लिए टिश्यूज के सैंपल का प्रयोग किया जाता है, जिसके माध्यम से विभिन्न कैंसर का निदान करने में मदद मिल सकती है। आइए जानते हैं कैंसर की जांच के लिए कुछ जरूरी टेस्ट-
1. मैमोग्राम : यह टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए उपयोग किया जाता है। मैमोग्राम परीक्षण के माध्यम से ब्रेस्ट के टिश्यूज में होने वाली असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसमें ब्रेस्ट के टिश्यूज की एक्स-रे इमेजिंग शामिल होती है।
2. कोलोनोस्कोपी: कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों के लिए कोलन की जांच करने की एक प्रक्रिया है। अगर इस परीक्षण में कोलन में पॉलीप्स पाए जाते हैं, तो इससे इलाज के माध्यम से इसे हटाने की सलाह दी जाती है।
3. पीएसए परीक्षण : यह टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए जरूरी होता है। इस परीक्षण के माध्यम से ब्लड में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) के स्तर का पता लगाया जाता है।
4. बायोप्सी : इस परीक्षण को कराने की सलाह अक्सर कैंसर की पुष्टि करने के लिए दी दाती है। बायोप्सी में माइक्रोस्कोप के माध्यम से टिश्यूज का सैंपल लेकर जांच की जाती है।
5. सीटी स्कैन: एक कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन है, जिसे माध्यम से शरीर की विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल छवियां बनाती है। इन छवियों के आधार पर डॉक्टर कैंसर का पता लगाते हैं।
6. एमआरआई स्कैन : कई डॉक्टर आपको एमआरआई स्कैन लगाने की सलाह दे सकते हैं। यह अक्सर ब्रेन, ब्रेस्ट और मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली जैसे कोमल ऊतकों की इमेजिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
7. ब्लड टेस्ट : इस परीक्षण के जरिए ब्लड में ट्यूमर मार्करों या विशिष्ट पदार्थों की जांच की जाती है, जो कैंसर की उपस्थिति होने का संकेत देती है, उदाहरण के लिए डिम्बग्रंथि के कैंसर के लिए सीए।
8. स्किन की जांच : स्किन कैंसर होने की संभावना में डॉक्टर आपको इस परीक्षण की सलाह दे सकते हैं। इसमें स्किन एक्सपर्ट असामान्य मस्सों या त्वचा में बदलावों की पहचान करने के लिए स्किन की जांच करते हैं, जो स्किन कैंसर का संकेत हो सकते हैं।
9. पीईटी स्कैन: पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी स्कैन कैंसर कोशिकाओं की मेटाबॉलिज्म गतिविधि का पता लगाने में मददगार होते हैं।
10. एंडोस्कोपी: इस परीक्षण में पाचन तंत्र, श्वसन प्रणाली या अन्य क्षेत्रों में कैंसर के जांच करने के लिए कैमरे के एक लचीले ट्यूब का इस्तेमाल होता है।
ध्यान रखें कि कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको इन स्क्रिनिंग की सलाह दे सकते हैं। इन स्क्रीनिंग की सलाह व्यक्ति की आयु, स्थिति, उम्र, लिंग के आधार पर अलग-अलग दी जा सकती है।