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Home / Hindi / Diseases & Conditions / क्या मानसिक समस्याएं पुरुष-महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं?

क्या मानसिक समस्याएं पुरुष-महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं?

मानसिक समस्या आपकी प्रजनन क्षमता को भी काफी हद तक नुकसान पहुंचाती है। इससे पुरुष और महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ सकती है, जिससे मां-बाप बनने की समस्या हो सकती है। जानिए, इन्फर्टिलिटी की समस्या खत्म करने के टिप्स...

By: Anshumala   | Edited by: Anshumala   | | Updated: October 28, 2020 12:30 am
Tags: Clinical depression  Depression in men  Infertility problem  Mental disorders  Mental health  
Does mental health affect fertility in hindi
इन्फर्टिलिटी की समस्या खत्म करने के लिए टिप्स।© Shutterstock.

Mental Health and Infertility: कोरोना काल में आज अधिकतर लोग मानसिक रूप से परेशान हैं। कोई तनाव का शिकार हो रहा है, तो किसी को डिप्रेशन की समस्या हो रही है। लॉकडाउन हटने के बाद भी अधिकतर लोग घर में अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रहने को मजबूर हैं। जिस तरह तनाव, डिप्रेशन, एंग्जायटी, अकेलापन आदि मानसिक समस्याएं सेहत को किसी ना किसी रूप में नुकसान पहुंचाती हैं, ठीक उसी तरह मानसिक समस्या (Mental problems) आपकी प्रजनन क्षमता को भी काफी हद तक नुकसान पहुंचाती है। हालांकि, प्रजनन क्षमता पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रत्यक्ष प्रभाव को साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस विषय पर चिंता और चर्चा व्यापक रूप से देखी गई है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्तियों में मां-बाप (Childlessness) ना बन पाने की समस्या हो सकती है। Also Read - New Year 2021: अच्‍छी मेंटल हेल्‍थ के लिए फॉलो करें ये 4 आसान टिप्‍स, नहीं होगी डिप्रेशन या एंग्‍जाइटी जैसी कोई मानसिक बीमारी

जीवनशैली के कारण भी बढ़ रही हैं मानसिक समस्याएं

इंदिरा आईवीएफ के सीईओ, फर्टिलिटी एंड आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. क्षितिज मुर्डिया कहते हैं कि आज लोग जिस तरह से खराब जीवनशैली अपना रहे हैं, उसके कारण मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। अनहेल्दी खानपान, अधिक शराब के सेवन, ड्रग्स और धूम्रपान के साथ अन्य आदतें मोटापे का कारण बन सकती हैं। खराब जीवनशैली सामान्य हार्मोनल कार्य में बाधा के साथ-साथ इंसुलिन संवेदनशीलता को भी प्रभावित कर सकती हैं। ये कारक महिलाओं में देरी से ओव्यूलेशन, अनियमित पीरियड्स, पीसीओएस (PCOS) जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकते हैं और पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। Also Read - अरमान मलिक जैसी कई सेलिब्रिटीज़ ने लिया सोशल मीडिया से ब्रेक, जानें डिजिटल डिटॉक्स क्यों है हेल्दी माइंड के लिए ज़रूरी



कोरोना ने संतान की चाह रखने वाले दम्पतियों की समस्या को कैसे बढ़ाया है?

डॉ. क्षितिज मुर्डिया कहते हैं, वैश्विक स्तर पर लोगों के लिए कोविड-19 और इसके प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं। जब लोगों की सुरक्षा के लिए शुरू में लॉकडाउन लगाया गया था, तो संतान की इच्छा रखने वाले कई जोड़े जो प्रजनन उपचार से गुजर रहे थे या इस तरह के उपचार शुरू करने की योजना बना रहे थे, उन्हें सरकारी नियमों के कारण बीच में रुकना पड़ा। उपचार फिर से शुरू करने और उपचार में देरी को लेकर अनिश्चितता इन व्यक्तियों में मानसिक परेशानी के कारण (Mental Health and Infertility in hindi) के रूप में देखी गई है। Also Read - खुद को चोट पहुंचाने से पहले पढ़ लें ये 5 जरूरी बातें, फिर कभी नहीं देंगे खुद को दोष

हाल ही में कनाडा के रेजिना विश्वविद्यालय के जेनिफर गॉर्डन और एशले बाल्सोम द्वारा किया गया एक अध्ययन जो पीएलओएस वन में प्रकाशित हुआ है, में पता चला है कि निःसंतान दम्पतियों में से 86 प्रतिशत ने बताया कि निःसंतानता उपचार में देरी ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला और 52 प्रतिशत ने क्लिनिकली डिप्रेशन (Clinical Depression) के महत्वपूर्ण लक्षणों को महसूस करने के बारे में बताया।

क्या अधिक तनाव और चिंता निःसंतानता का कारण बन सकते हैं?

तनाव और चिंता के प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पर शोध किया गया है। कुछ शोध स्पष्ट रूप से बताते हैं कि उनका सह-संबंध नहीं है, जबकि कुछ ने पाया है कि तनाव और चिंता प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। अत्यधिक तनाव और चिंता से कॉर्टिसोल नामक “तनाव हार्मोन” का उत्पादन और स्राव बढ़ सकता है।

कोर्टिसोल टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है और इस तरह यह पुरुषों में शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करता है। महिलाओं में यह कम कामेच्छा, नींद पूरी नहीं होना, ओवरी के कार्य में दखल और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। ये स्वास्थ्य जटिलताएं आगे जाकर एक व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। 2018 में बोस्टन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने एक अध्ययन में पाया कि तनाव के उच्च स्तर का अनुभव करने वाली महिलाओं में गर्भधारण करने की दर कम थी। ऐसे अन्य शोध बताते हैं कि अल्फा-एमाइलेज नामक एक पदार्थ के लम्बे समय तक उच्च स्तर पर होने से निःसंतानता का खतरा बढ़ जाता है।

इन्फर्टिलिटी की समस्या खत्म करने के लिए टिप्स

बांझपन (Infertility) के लिए उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं। कुछ जीवनशैली से संबंधित बातें हैं, जिनका पालन करके इस चुनौती से बचा जा सकता है या इसे कम किया जा सकता है।

1 शरीर में हार्मोन के स्तर को बनाए रखने के लिए पोषण से भरपूर और संतुलित आहार का सेवन करें। फोलेट और जिंक जैसी उच्च एंटीऑक्सिडेंट सामग्री को आहार में शामिल करने से पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है। जंक फूड से दूर रहें, क्योंकि यह इंसुलिन संवेदनशीलता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याएं (How do you overcome infertility problems) हो सकती हैं।

2 अल्कोहल, तंबाकू, धूम्रपान और अत्यधिक कैफीन जैसे पदार्थों से बचना जरूरी है, क्योंकि ये किसी के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

3 नियमित व्यायाम और फिटनेस दिनचर्या मोटापे से लड़ने में मदद करती है और प्रजनन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। सही मात्रा में कसरत आपके हार्मोन और इंसुलिन संवेदनशीलता को विनियमित करने में मदद कर सकती है। कुछ मामलों में यह प्रजनन क्षमता को बढ़ा भी सकती है।

4 पर्याप्त मात्रा में नींद के साथ सकारात्मक और तनाव मुक्त जीवनशैली (Mental Health and Infertility) अपनाना जरूरी है। आपके शरीर को सक्रिय रखने और हार्मोन के स्तर को बनाए रखने में मदद करेगा।

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Published : October 27, 2020 5:38 pm | Updated:October 28, 2020 12:30 am
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