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Diabetes Mellitus and Infertility: महिलाओं में डायबिटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus) उनकी मासिक चक्र की सेहत और प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अनियंत्रित डायबिटीज मेलिटस, हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से गर्भाश्य रक्तस्राव का कारक माना जाता है। इसके साथ गर्भावस्था की तिमाही में गर्भपात होने का खतरा जुड़ा होता है और शुगर का असामान्य स्तर गर्भधारण में अवरोध पैदा कर सकता है। इसकी वजह से प्रजनन की दर निम्न या बांझपन की समस्या (Infertility in women) हो सकती है। कामिनेनी फर्टिलिटी सेंटर की कंसल्टेंट फर्टिलटी स्पेशलिस्ट डॉ. एम निहारिका का कहना है, डायबिटीज मेलिटस बीमारियों के एक समूह को बताता है और यह आपका शरीर ब्लड शुगर (ग्लूकोज) का इस्तेमाल किस तरह करता है, उसे प्रभावित करता है। डायबिटीज मेलिटस इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है, जिससे मासिक फॉलिकुलोजेनेसिस और ओव्यूलेशन बाधित होता है। इससे इनफर्टिलिटी (बांझपन) को बढ़ावा मिलता है। डायबिटीज के मेटाबॉलिक बदलावों से होने वाला तनाव अंडाणु की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकता है। डायबिटीज ज्यादातर अन्य मेटाबॉलिक विकारों जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप और कोरोनरी आर्टरी डिजीज से जुड़ा होता है।
डॉ. एम निहारिका ने कहा, 'पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (polycystic ovarian syndrome) से पीड़ित महिलाओं में आमतौर पर इंसुलिन प्रतिरोध और डायबिटीज मेलिटस देखे जाते हैं। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को ब्लड ग्लूकोज के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए तुरंत इलाज करवाना चाहिए, जो इसके कारण होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों को कम करता है और ओव्यूलेशन को सामान्य करके प्रजनन क्षमता में भी सुधार करता है।'
डॉ. निहारिका का कहना है कि डायबिटीज मेलिटस पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम पर डायबिटीज के प्रभाव के कारण कामेच्छा में कमी, स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction)और प्रतिगामी स्खलन (Retrograde Ejaculation) का कारण बनता है। डायबिटीज मेलिटस सूक्ष्म आणविक परिवर्तनों को प्रेरित करता है, जिसकी वजह से शुक्राणुओं के मापदंडो, जैसे शुक्राणुओं की संख्या में कमी, शुक्राणु की गतिशीलता में कमी और शुक्राणुओं की संरचना भी डायबिटीज के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। डायबिटीज मेलिटस वाले पुरुषों को ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने के लिए दवाओं के साथ उपचार भी किया जाना चाहिए। इससे मेटाबॉलिक असंतुलन भी ठीक हो जाता है।