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Early signs of heart related problems: भागदौड़ आजकल हर किसी का लाइफस्टाइल इतना बिजी हो गया है कि लोगों के पास अपनी सेहत का ठीक से ध्यान रखने का समय नहीं है। यही कारण है कि लोग डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और अन्य न जानें कितनी अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे हैं। ये सब बीमारियां खुद तो खतरनाक हैं ही साथ ही हार्ट अटैक जैसी जानलेवा बीमारियं के खतरे को भी बढ़ाती हैं। ऐसे में इसके बढ़ते खतरे को कम करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। तली-भुनी चीजों व फास्ट फूड से दूरी बनाने के साथ-साथ सप्ताह में कम-से-कम पाँच दिन तक आधे-आधे घंटे का एक्सरसाइज करना जरूरी है। हार्ट हॉस्पिटल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर राजन ठाकुर कहते हैं कि हम अपने लाइफस्टाइल में एक बेहतर बदलाव लाकर किसी भी बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं। लेकिन, आजकल यह एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है कि 40-50 वर्ष की आयु में भी लोगों को हार्ट अटैक आ रहा है। जबकि, पहले ऐसा नहीं होता था। ऐसे में आइए हार्ट हॉस्पिटल डॉक्टर राजन ठाकुर ने कुछ जरूरी जानकारियां हमारे साथ साझा की हैं।
डॉक्टर राजन ठाकुर का मानना है कि कुछ लोग सीने में दर्द होने पर खुद समझ लेते हैं कि यह गैस से जुड़ी कोई समस्या है। लेकिन सभी मामलों में ऐसा होना जरूरी नहीं है, क्योंकी हार्ट अटैक से जुड़ी बीमारियं को शुरुआती लक्षण भी सीने में दर्द ही होता है। यह कभी-कभी घातक साबित हो सकता है। अगर बार-बार सीने में दर्द की समस्या हो रही है, तो उसे गैस का कारण मानकर कभी भी खुद से दवा न लें। अगर अस्पताल नहीं जा सकते, तो कम-से-कम अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें। अस्पताल जाने में बिलकुल भी हिचकिचाहट न समझें, क्योंकि पूरी तरह से सावधान रहकर ही हार्ट अटैक जैसी समस्याओं की रोकथाम की जा सकती है।
डॉक्टर राजन के अनुसार 30 वर्ष से कम की आयु में सीने में दर्द होना अधिक चिंता वाली बात नहीं है। डॉक्टर से जांच कराएं और अगर यह गैस से जुड़ी बीमारी है, तो दवा से आराम हो जाएगा। हालांकि, इसके बाद भी अगर आराम न मिलें, तो फिर हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलकर कुछ शुरुआती हृदय रोग संबंधी जांच करा लें। जैसे ईसीजी व ट्रोपोनिन टेस्ट आदि। अगर इसकी रिपोर्ट ठीक है, तो फिर कोई चिंता वाली बात ही नहीं। वहीं, अगर किसी प्रकार की समस्या रिपोर्ट में दिख रही है, तो फिर डॉक्टर से सलाह लेकर सीटी एंजियोग्राफी करा लें। इससे दस मिनट में ही आपको रिजल्ट पता चल जाएगा।
40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सीने में बार-बार होने वाले दर्द को लेकर नियमित रूप से उन्हें दवा लेनी चाहिए। क्योंकि, दवा रिस्क फैक्टर को कंट्रोल करता है। साथ ही संयमित भोजन करने के अलावा उन्हें बहुत अधिक नमक, फैटी फ़ूड, चीनी से परहेज करना चाहिए। सप्ताह में कम-से-कम पाँच दिन तो आधे घंटे का एक्सरसाइज उन्हें करना ही चाहिए। इसके अलावा उन्हें धूम्रपान न करें। नाश्ते से पहले वे सेब, अमरूद जैसे फल खा सकते हैं। वहीं, वे हृदय संबंधी बीमारियों का पता लगाने के लिए ईसीजी, ट्रेडमिल, 2 डी ईको जैसी बेसिक जांच भी करा सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को डॉक्टर राजन विशेष सलाह देते हैं, क्योंकि वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कम होती है। गांव के अस्पताल व क्लिनिक में हार्ट स्पेशलिस्ट नहीं मिल पाते हैं और अगर ऐसे में किसी को सीने में दर्द या हार्ट से जुड़ा अन्य कोई लक्षण महसूस हो रहा है, तो टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में धीरे-धीरे टेलीमेडिसिन का प्रचलन बढ़ रहा है। कोविड महामारी के दौरान तो टेलीमेडिसिन का दायरा और भी बढ़ा है।
कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनके बारे में डॉक्टर राजन कहते हैं कि उन्हें भूलकर भी इग्नोर नहीं करना चाहिए। इसलिए, बिना नजरअंदाज किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि, अक्सर यह देखा जाता है कि बूढ़े, महिला या डायबिटीज मरीजों को छाती में दर्द नहीं होता है, लेकिन जब वे चलते हैं तो उनकी साँस फूलने लगती है, थक जाते हैं, उन्हें चलने का मन नहीं करता है। यह हृदय संबंधी बीमारियों का एक गंभीर संकेत है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
हार्ट के मरीजों या फिर जिन लोगों को हार्ट से जुड़ी बीमारी होने का खतरा है, उन्हें किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। बीमारी का इलाज कराने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और ठीक होने के बाद भी डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार फॉलो अप लेना चाहिए। डॉक्टर ने बताया कि फॉलो अप की मदद से ही उस बीमारी का हमारे स्वास्थ्य पर असर का का पता चलता है।