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दिवाली के दिन सुबह में क्यों किया जाता है अभ्यंग स्नान?

दिवाली के दिन सुबह में क्यों किया जाता है अभ्यंग स्नान?

दिवाली सर्दियों में आती है और तिल के तेल से मालिश की वजह से आपके शरीर को गर्मी प्राप्त होती है।

Written by Editorial Team |Updated : January 5, 2017 8:42 AM IST

हर दिवाली हमारे माता-पिता सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं। यह एक बहुत पुरानी परम्परा है जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है। लेकिन क्या आपको इस रिवाज़ का महत्व पता है? इस पवित्र स्नान में पूरे शरीर की मालिश की जाती है। यही नहीं देश के कुछ हिस्सों में आयुर्वेद के लिहाज से महत्वपूर्ण चीज़ों का एक साबुन बनाकर उससे नहाया जाता है। पश्चिम भारत में इस मिश्रण (जिसे उबटन कहा जाता है) को बनाने के लिए जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता है वहीं दक्षिण भारत में बेसन, तेल और चंदन पावडर के प्रयोग से तैयार किया जाता है अभ्यंग स्नान के लिए उबटन।

अभ्यंग स्नान के फायदे

लक्ष्मी पूजन या नरक चतुर्दशी के दिन होनेवाले पारम्परिक अभ्यंग स्नान आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। दिवाली के समय नहाने से पहले अपने शरीर की तिल के तेल से मालिश करनी पड़ती है। दिवाली सर्दियों में आती है और तिल के तेल से मालिश की वजह से आपके शरीर को गर्मी प्राप्त होती है। इससे आपके शरीर में पित्त का स्तर भी कम होता है। दिवाली के अलावा भी आप तिल के तेल से अपने शरीर की मालिश कीजिए, यह काफी फायदेमंद साबित होगा। लेकिन बार-बार या जल्दी-जल्दी मसाज करने से आपके शरीर में बहुत अधिक गर्मी हो जाएगी।

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इसी तरह तेल लगाने से त्वचा मॉश्चराइज़ होती है। प्राकृतिक दूषित तत्व और डेड स्किन को हटाकर त्वचा की सफाई होती है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। बाकी नैचुरल मॉश्चराइज़र्स की तुलना में तिल का तेल त्वचा में काफी गहराई तक जाता है जिससे आपकी त्वचा की कोमलता और रौनक बढ़ती है।

इससे रक्त का प्रवाह भी अच्छा होता है और गर्म तेल से सर की मालिश करने से तनाव दूर होता हौ और मन शांत होता है। अभ्यंग स्नान आपकी नसों को राहत पहुंचा कर आपके नर्वस सिस्टम को मांसपेशियों के तालमेल को बेहतर बनाता है। जिससे दिमाग से जुड़ी समस्याएं ख़त्म होती हैं। हल्की मालिश से मसल्स को आराम पहुंचता है और वे मज़बूत बनती हैं।

अभ्यंग स्नान की विधि

मान्यताओं के अनुसार नरक चतुदर्शी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसीलिए सुबह-सुबह उठकर स्नान करने से हमारे शरीर और सेहत से जुड़ी कमियां दूर होती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान करना गंगा स्नान के बराबर पुण्य दिलाता है। इस तरह किया जाता है अभ्यंग स्नान-

• दिवाली वाले दिन या नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें।

• अपने शरीर की तिल के तेल से मालिश करें। इसी तरह तेल की कुछ बूंदें लेकर अपने सिर की भी मालिश करें।

• मालिश के बाद और स्नान से पहले 30 मिनट इंतज़ार कीजिए। इस तरह तेल आपकी त्वचा में अच्छी तरह समा जाएगा।

• नहाते समय अपने शरीर पर उबटन लगाएं, मलें और अच्छी तरह से पूरे शरीर को साफ करें।

• उबटन सूखने के बाद पानी की मदद से रगड़कर छुड़ाएं। ताकि यह अच्छी तरह साफ हो जाए।

• वैसे बहुत से लोग उबटन के बाद साबुन से नहीं नहाते। लेकिन आप चाहें तो अपने साधारण साबुन से नहाएं।

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अनुवादक -Sadhna Tiwari

चित्र स्रोत- Shutterstock