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एपीड्यूरल एनेस्थीसिया (epidural anaesthesia) से जुड़े 5 मिथक

एपीड्यूरल एनेस्थीसिया (epidural anaesthesia) से जुड़े 5 मिथक

क्या epidural anaesthesia एक दर्दनाक प्रक्रिया है? जानिये ऐसे ही 5 मिथकों का सच

Written by Editorial Team |Updated : January 5, 2017 8:42 AM IST

लेबर पेन के बारे में सोचने से ही शरीर में हलचल पैदा हो जाती है। हर वो महिला, जो लेबर पेन से गुजरती है, वो यही मानती है कि यह स्थिति बहुत ज्यादा दर्दनाक होती है। बेशक एड दर्द असहनीय होता है लेकिन इसके बाद आपको एक नई जिंदगी भी मिलती है। यही कारण है कि लेबर पेन से बचने के लिए अब अधिकतर महिलाएं एपीड्यूरल एनेस्थीसिया (epidural anaesthesia) थेरेपी का इस्तेमाल करने लगी हैं। इस थेरेपी में रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले जोड़ के पास नसों में इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके बाद नीडल के जरिए एपीड्यूरल स्पेस में एक कैथेटर या छोटी ट्यूब डाली जाती है। इसके बाद डॉक्टर आराम से नीडल निकाल लेते हैं। एपीड्यूरल अलग-अलग तरह के होते हैं, जो दर्द दे 4 से 8 घंटों तक राहत दे सकते हैं। कई महिलाएं ऐसा मानती हैं कि एपीड्यूरल से उनके और बच्चे के शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली स्थित मैक्स हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट गाइनोकोलोजिस्ट डॉक्टर उमा वैद्यनाथन आपको एपीड्यूरल से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथक और उनका सच बता रही हैं।

1) एपीड्यूरल के इस्तेमाल से ब्रेस्टफीडिंग पर असर पड़ता है

कई अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि एपीड्यूरल से ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि कई शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बात पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इससे ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस तरह के दावों को सच नहीं माना जा सकता है। डॉक्टर वैद्यनाथन के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग के मामले में ये थेरेपी सुरक्षित है।

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2) एपीड्यूरल के बाद महिला को सीजेरियन से गुजरना पड़ता है

ये आधा सच है। अगर आपने एपीड्यूरल लिया है, तो यह जरूरी नहीं है कि आपको सीजेरियन से गुजरना पड़े। हालांकि गाइनोकोलोजिस्ट का कहना है कि कुछ मामलों में एपीड्यूरल से डिस्फंक्शनल लेबर (dysfunctional labour) हो सकता है, जिससे नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि एपीड्यूरल को लेबर की गति धीमी करने के लिए जाना जाता है। डॉक्टर के अनुसार, एपीड्यूरल के कारण लेबर के दौरान कई महिलाओं को दबाव महसूस नहीं हो पाता है। इसे लेबर में देरी का कारण माना जाता है और महिलाएं बहुत ज्यादा थकने की शिकायत करने लगती हैं। इसलिए नैचुरल डिलीवरी की बजाय सीजेरियन का चुनाव करना पड़ता है।

3) एपीड्यूरल बहुत दर्दनाक होता है

एपीड्यूरल बारे में पढ़ते समय आपको यह प्रक्रिया दर्दनाक और असुविधाजनक लग सकती है लेकिन गाइनोकोलोजिस्ट का मानना है कि यह उतनी दर्दनाक नहीं है। इसके विपरीत एपीड्यूरल प्रसव के दर्द को कम करने की प्रक्रिया है।

4) इससे बच्चे को नुकसान हो सकता है

गाइनोकोलोजिस्ट के अनुसार, ये एक सुरक्षित प्रक्रिया है, जिससे बच्चे को किसी भी तरह नुकसान नहीं होता है। एपीड्यूरल से पहले और बाद में महिला को डॉक्टर और नर्स की निगरानी में रखा जाता है। बच्चे को एपीड्यूरल से कोई नुकसान नहीं होता है।

5) इसके कई साइड इफेक्ट्स हैं

एपीड्यूरल की वजह आपके शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है और आपका दर्द कम होता है। सबसे बड़ी बात गर्भवती महिलाएं आसानी से सांस ले सकती है। इसका केवल एक साइड इफ्फेक्ट है डिलीवरी के बाद पीठ में दर्द होना। हालांकि हॉस्पिटल से छुट्टी के बाद नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से पीठ दर्द को कम किया जा सकता है।

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अनुवादक – Usman Khan

चित्र स्रोत - Shutterstock