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भारत में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का अधिक खतरा होता है। कई मामलों में इसके इलाज के लिए मैमोग्राफी की जरूरत पड़ सकती है। क्या आपको पता है ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और बचाव क्या हैं? जेपी हॉस्पिटल में कैंसर सर्जन, एडिशनल डायरेक्टर डॉक्टर पवन गुप्ता के अनुसार, अगर आपका डॉक्टर या गाइनोकोलोजिस्ट आपको मैमोग्राफी के लिए कहता है, तो उससे पहले आपके लिए कुछ जरूरी बातों को समझ लेना बहुत जरूरी है।
1) 40 साल से कम उम्र की महिलाओं को मैमोग्राफी की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि युवा महिलाओं के ब्रेस्ट टिश्यू बड़ी उम्र की महिलाओं की तुलना में अधिक ठोस होते हैं और मैमोग्राम में ठोस हिस्सा अधिक सफेद दिखता है। ब्रेस्ट कैंसर भी सफेद दिखाई देता है इसलिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से स्तन कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
2) अगर आप युवा हैं और आपके परिवार में यह समस्या शुरू से रही है, तो डॉक्टर आपको मैमोग्राफी की सलाह दे सकता है। अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर का कोई लक्षण जैसे ब्रेस्ट में गांठ, ब्रेस्ट साइज़ व शेप में बदलाव होता है, तो आप मैमोग्राफी करा सकती हैं। बेशक आप 25 साल की ही क्यों ना हों।
3) मैमोग्राफी दो तरह की होती है। स्क्रीनिंग मैमोग्राफी में ब्रेस्ट कैंसर का कोई भी संकेत दिखे बिना ही रूटीन एक्स-रे किया जाता है। 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को इसकी सलाह दी जाती है। दूसरा डायग्नोस्टिक मैमोग्राफी में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखने के बाद ही एक्स-रे किया जाता है।
4) डॉक्टर की सलाह बिना मैमोग्राफी नहीं करानी चाहिए। अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं, तो पहले आपको डॉक्टर को परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर जांच और टेस्ट के बाद ही मैमोग्राफी की सलाह दे सकता है।
5) मैमोग्राफी के दौरान क्लियर पिक्चर लेने के लिए एक्सपर्ट आपके ब्रेस्ट को मैमोग्राफी मशीन में रखते हैं। मशीन से दबाव के कारण ब्रेस्ट पतले हो जाते हैं और टिश्यू फैल जाते हैं। दबाव पड़ने के कारण कई महिलाओं को बेचैनी या दर्द हो सकता है। अधिक दर्द होने पर डॉक्टर को बताएं इसके बाद वो एंगल चेंज कर सकता है ताकि ब्रेस्ट पर कम दबाव पड़े। इस प्रक्रिया में लगभग आधा घंटा लगता है और आप टेस्ट के बाद सामान्य रूप से काम का सकती हैं।
6) पीरियड्स के एक हफ्ते बाद मैमोग्राफी कराने का समय सबसे सही माना जाता है। क्योंकि मासिक धर्म के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होने के कारण ब्रेस्ट अधिक कोमल हो जाते हैं जिस वजह से टेस्ट के दौरान दर्द का अनुभव ज्यादा होने की संभावना होती है। इसलिए पीरियड्स के तीन या चार दिन बाद मैमोग्राफी कराना सबसे सही समय होता है।
7) स्क्रीनिंग वाले दिन आपको पाउडर या डिओडोरेंट्स लगाने से बचना चाहिए, इससे मैमोग्राम पर कैल्शियम के धब्बे लग सकते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को मैमोग्राफी से बचना चाहिए।
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अनुवादक – Usman Khan
चित्र स्रोत - Shutterstock