शरीर में कॉपर की मात्रा काफी बढ़ जाने और उसके एक जगह इकठ्ठा हो जाने के कारण ही लोग विल्सन डिसीज (Wilson’s disease) नामक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। जबकि जब आप इस बीमारी का इलाज कराते हैं तो इस बात की संभावना काफी बढ़ जाती है कि आपके शरीर में कॉपर की मात्रा कम हो जाये। मुंबई स्थित जसलोक एंड अपोलो हॉस्पिटल की लीवर स्पेशलिस्ट डॉ. आभा नागराल बता रही हैं कि अगर आप विल्सन डिसीज का ट्रीटमेंट करा रहे हैं तो इन लक्षणों से कॉपर की कमी को पहचानें।
एनीमिया: डॉ आभा बताती हैं कि आमतौर पर बहुत कम लोगों को कॉपर की कमी वाली समस्या होती है। जब तक आप विल्सन डिसीज का इलाज न कराएं तब तक पता ही नहीं चलता कि आपके शरीर में कॉपर की कमी है। विल्सन डिसीज के इलाज़ में जो दवाइयां दी जाती हैं वे शरीर में बढ़े हुए कॉपर को तो कम करती हैं लेकिन कई बार ये दवाइयां आवश्यकता से ज्यादा कॉपर को कम कर देती हैं जिससे शरीर में कॉपर की भारी कमी हो जाती है।
जोड़ों में दर्द: कई लोगों को शायद यह नहीं पता कि अगर आप विल्सन डिसीज के शिकार हैं तो आपको अर्थराइटिस होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। शरीर में कॉपर की मात्रा बढ़ जाने से और कॉपर की मात्रा कम हो जाने दोनों से ही अर्थराइटिस होने का खतरा रहता है। इसीलिए जो लोग विल्सन डिज़ीज का इलाज करा रहे होते हैं उनके जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
चूंकि यह पता करना बहुत मुश्किल है कि आपके शरीर में कॉपर की कमी है भी या नहीं, इसीलिए जो लोग विल्सन डिज़ीज से पीड़ित रहते हैं और उनका इलाज चल रहा होता है तो उनके यूरिन का नियमित चेकअप होता रहता है। जिससे इसका सही पता लगाया जा सकता है कि मूत्र से कितना कॉपर बाहर निकल रहा है। यह शरीर में कॉपर की मात्रा चेक करने का सबसे आसान और ज़रूरी टेस्ट है। इस बीमारी के इलाज में चल रही दवाइयों के कारण ही मूत्र के रूप में कॉपर और प्रोटीन शरीर से बाहर निकल जाता है। यूरिन कॉपर और यूरिन प्रोटीन टेस्ट के आधार पर ही डॉक्टर इस बात को निर्धारित करते हैं कि मरीज को दवा की कितनी मात्रा देनी है जिससे कॉपर की मात्रा शरीर में नियंत्रित रहे।
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अनुवादक: Anoop Singh
चित्र स्रोत: Shutterstock
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