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बाउल ऑब्सट्रक्शन या इन्टेस्टनल ऑब्सट्रक्शन (intestinal obstruction) से शरीर के विषैले और वेस्ट पदार्थों के निकास की प्रक्रिया में रूकावट आता है। जिसमें हमारी आंतों में अड़चन आ जाती है। खाना, कचरा, तरल पदार्थ, गैस्ट्रिक एसिड इस रुकावट के आसपास जमा हो जाते हैं। इन पदार्थों के जमा होने से अगर आंत पर बहुत अधिक दबाव बनता है, तो आंत कट-फट सकती है और यह समस्या और गम्भीर बन सकती है। इन्टेस्टनल वॉल्स के मोटे होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे कोलोन कैंसर (Colon cancer), क्रॉन रोग (Crohn’s disease), पेट या पेल्विक की कोई सर्जरी आदि। ट्यूमर, आंतों का सिकुड़ना, संसक्ति या ऐड्हीश़न (adhesions) भी इन्टेस्टनल ऑब्सट्रक्शन का कारण हो सकते हैं। जब बाउल जकड़न या रुकावट वाली जगह पर जमा पदार्थों को निकालने की कोशिश करता है तो आपको पेट में मरोड़ें महसूस हो सकती हैं। डॉ. देबाशीश दत्ता, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएन्टरालजी, फोर्टिस हॉस्पिटल आनंदपुर, कोलकाता बता रहे हैं बाउल ऑब्सट्रक्शन से जुड़ी कुछ समस्याओं और इसके लक्षणों के बारे में जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
डॉक्टरी जांच की ज़रूरत कब पड़ती है?
अगर यह समस्याएं सप्ताहभर से भी अधिक समय तक बनी रहती हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। अगर पेट का दर्द गम्भीर और लगातार बना रहता है, साथ में उल्टी भी होती है तो डॉक्टर से बात करें। मरीज़ को अपने खून की जांच, पेट की एक्स-रे जांच, सीटी स्कैन और कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) करानी पड़ती है। एक्स- रे की मदद से डॉक्टर को आंत में ब्लॉकेज और सीटी स्कैन से ब्लॉकेज के आकार और गम्भीरता के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी। कुछ मामलों में सर्ज़री की भी ज़रूरत पड़ सकती है लेकिन पुराने तरीकों से भी आराम मिल जाता है। आंतों में रूकावट से जुड़े इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना नुकसानदायक हो सकता है। इससे पेट की गुहा या ऐब्डामनल कैविटी (abdominal cavity ) में इंफेक्शन हो सकता है, जिसके इलाज के लिए सर्ज़री भी करानी पड़ सकती है।
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अनुवादक-Sadhna Tiwari
चित्रस्रोत- Shutterstock