यूटरस एक बहुत ही अनोखी रचना है। प्रेगनेंसी में यह अपने प्राकृतिक आकार से कई गुना फैलकर एक बच्चे को इसमें पलने और विकसित होने का मौका देता है। साथ ही ब्लैडर और पेल्विक एरिया की हड्डियों को सपोर्ट भी देता है। लेकिन फाइब्रॉइड (fibroids), एन्डोमीट्रीओसिस (endometriosis) और यूटरिन कैंसर (uterine cancer) जैसे समस्याओं के कारण बहुत-सी महिलाओं को गर्भाशयोच्छेदन या हिस्टरेक्टमी (hysterectomy), करानी पड़ती है। इसमें यूटरस का कुछ हिस्सा या पूरे यूटरस को ही निकाल दिया जाता है। जिसके चलते महिलाओं के शरीर में विभिन्न प्रकार के अंतर आ जाते हैं। नानावटी सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल, मुंबई में कंसल्टेंट आब्स्टिट्रिशन और गाइनकलॉजिस्ट, डॉ. माया लुल्ला बता रही हैं कि किस तरह हिस्टरेक्टमी के बाद आपकी ज़िंदगी बदल सकती है।
वज़न नहीं बढ़ेगा- ऐसा माना जाता है कि हिस्टरेक्टमी के बाद बहुत सी महिलाओं का वज़न बेतहाशा बढ़ने लगता है। लेकिन अगर डॉ. लुल्ला की माने तो इसका सही कारण हिस्टरेक्टमी या यूटरस की गैरमौज़ूदगी नही बल्कि महिला द्वारा शीरीरिक गतिविधियां नहीं करना है। “बहुत सी महिलाएं हिस्टरेक्टमी के बाद एक्सरसाइज़ और शारीरिक कार्य पूरी तरह बंद कर देती हैं। जिसकी वजह से उनका वज़न बेतहाशा बढ़ता है। इससे बचने के लिए उन्हें शारीरिक रुप से अधिक सक्रिय बनना पड़ेगा।,” डॉ. लुल्ला ने बताया।
ओवरी कार्य करना बंद कर देती है- डॉ. लुल्ला बताती हैं कि, ऐसे मामलें जहां ओवरी के साथ कुछ नहीं किया गया हो वहां भी कुछ समय तक ओवरी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। यूटरस और ओवरी में ब्लड सप्लाई में मदद करते हैं, इसलिए हो सकता है कि हिस्टरेक्टमी में जब यूटरस को किसी महिला के शरीर से निकाल दिया जाता है तो वह ओवरी भी पूरी तरह से कार्य करना बंद कर दें।
बार-बार मूड बदलता है- हिस्टरेक्टमी से गुज़रनेवाली महिला हिस्टरेक्टमी के बाद हार्मोन्स से जुड़े बदलावों के कारण चिड़िचिड़ी और मूडी बन जाती है। इसकी वजह बताती हैं डॉ. लुल्ला,“ शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है और इसका असर मानसिक तौर पर भी दिखायी पड़ता है।”
शरीर का तापमान बढ जाता है- हार्मोन्स के स्तर मे बदलाव के कारण एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है। जिससे आपकी त्वचा के पास की रक्त वाहिनियां फैलने लगती हैं और आपकी त्वचा पर अधिक लालिमा दिखने लगती है। इसकी वजह से दिन में किसी भी वक़्त त्वचा में सनसनी और पसीना दिखायी देने लगता है।
दिल अधिक कमज़ोर हो जाता है- डॉ. लुल्ला ने बताया “ आमतौर पर, पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा दिल की बीमारियों की संभावना अधिक देखी जाती है। दरअसल एस्ट्रोजन हार्ट अटैक से महिलाओं की रक्षा करता है।”, हिस्टरेक्टमी में शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से महिलाओं की दिल से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा अधिक होता है। हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। डॉ. लुल्ला के अनुसार भोजन में कैल्शियम से भरपूर चीज़ें शामिल करने से इस समस्या से राहत पायी जा सकती है।
लम्बाई नहीं बढ़ती- यह जानकार आप चौंक सकते हैं लेकिन हिस्टरेक्टमी के बाद हो सकता है कि आपकी लम्बाई कम हो जाए। जी हां, डॉ. लुल्ला ने समझाया कि, “ कम एस्ट्रोजन की वजह से होनेवाली हड्डियों से जुड़ी परेशानियों के चलते दो हड्डियों के बीच अंतर आ जाता है और इसकी वजह से कई बार हड्डियों के बीच नसें जम जाती हैं और कंधा अकड़ने या फ्रोज़ेन शोल्डर की समस्या हो जाती है।”
ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं होती हैं- चूंकि यूटरस ब्लैडर और बाउल्स को कार्य करने में सहायता करता है, इसलिए हिस्टरेक्टमी करानेवाली महिलाओं में हिस्टरेक्टमी के बाद पेशाब से जुड़ी परेशानी हो सकती हैं। छींकने और हंसने जैसे छोटी-मोटी गतिविधियों से भी ब्लैडर पर नियंत्रण नहीं रह पाता और पेशाब की कुछ बूंदें बाहर आ जाती हैं।
सेक्स में दिक्कत- वैसे तो हिस्टरेक्टमी की वजह से आपकी सेक्स लाइफ खत्म तो नहीं हो जाती, लेकिन वह पहले जैसी नहीं रह पाती। यूटरस के निकाले जाने से वैजाइनल कनाल बंद या सिकुड़ जाता ही। इस प्रक्रिया की वजह से वैजाइनल टिश्यूज़ का लचीलापन भी कम हो जाता है और इसीलिए सेक्स करने में परेशानी होती है। इन समस्याओं के अलावा, वैजाइना में सूखापन या वैजाइनल ड्राईनेस भी महसूस होता है इस तरह इंटरकोर्स के दौरान दर्द और तकलीफ होती है।
Read this in English.
अनुवादक-Sadhna Tiwari
चित्रस्रोत- Shutterstock
Follow us on