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वर्ल्ड हेल्थ डे: क्या आपका बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तिलचट्टों के कारण आपके बच्चे ज़्यादा बीमार पड़ते हैं।

By: Mousumi Dutta   | | Updated: April 19, 2017 6:39 pm
Tags: World Health Day  World Health Day in hindi  
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इस साल अप्रैल 7 वर्ल्ड हेल्थ डे हैं और इसका थीम हैं – खाद्द सुरक्षा। Also Read - Coronavirus New Strain: भारत सहित 86 देशों तक फैल चुका है कोरोना का नया स्ट्रेन, WHO ने किया सावधान

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साधारणतः बच्चे बड़ों की तुलना में ज्यादा बीमार पड़ते हैं क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immune systems) कमजोर होती है लेकिन इस कारण के अलावा भी एक कारण और भी है साफ-सुथरा विहीन परिवेश। उनको हेल्दी फूड खिलाना जितना ज़रूरी होता है उतना ही सही तरह से पकाया हुआ खाना खिलाना भी समान तरह से ज़रूरी होता है। इसके साथ-साथ किचन और घर के दूसरे कमरों को रोजाना साफ करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। Also Read - World Health Day 2020: स्वस्थ रहने के लिए इंप्रूव करें मेंटल हेल्थ, फॉलो करें ये टिप्स

घर को ताजा हवा और प्रकाश के आवागमन के साथ-साथ साफ-सुथरा रखें ताकि किसी भी प्रकार से तिलचट्टा का उद्भव न हो- क्योंकि यह कई प्रकार के बीमरियों की जड़ होती है- दस्त, पेचिश, टाइफाइड बुखार और हैजा आदि। विश्वास नहीं हो रहा है, यहाँ ऐसे दस प्रकार के बीमारियों के बारे में चर्चा की जायेगी जो बच्चों के बीमारियों के प्रमुख कारण होते हैं। पढ़े- वर्ल्ड हेल्थ डे: भोजन संदूषण (food contamination) होने के पाँच कारणों के बारे में जानें

क्यों और कैसे तिलचट्टा बीमारी फैलाते हैं?

गंदे दिखने वाले तिलचट्टे बीमारियों के कारण नहीं होते हैं बल्कि इनके वाहक (carriers) होते हैं। ये कहीं भी कुछ भी तरह का खाना खा लेते हैं, जैसे- मानव और जानवरों के त्याग किए हुए मल, सड़े-गले खाद्द पदार्थ आदि। वे जब घर में बर्तन, पानी, खाना आदि पर घुमते हैं तो उनके मुँह से जो लार निकलता है उससे भोजन, पानी आदि संक्रमित हो जाते हैं। और इन जीवाणुओं के शरीर में प्रवेश के कारण बच्चे बीमार पड़ जाते हैं।

कौन-कौन-सी बीमारियाँ होती हैं?

दस्त- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तिलचट्टे (cockroach) उन जीव के वाहक होते हैं जो दस्त के कारण होते हैं। जीवाणु जैसे- इ.कोली (E.coli), सैलमोनेला(Salmonella),शिगेला (Shigella ), ऐरोमोनास (Aeromonas)जाति के जीवाणु वे अपने पैर और शरीर में लेकर चलते हैं जो भोजन को विषाक्त के देते हैं। यही सब कारण बच्चों में दस्त के बीमारी के कारण होते हैं।

पेट में जलन या पेट की बीमारी- यह पेट संबंधी ऐसी बीमारी हैं जिसमें दस्त, उल्टी, पेट में दर्द के साथ ज्वर होने के लक्षण नजर आते हैं। तिलचट्टे ऐलकेलीजेनीसफेकैलिस (Alcaligenesfaecalis), प्रोटेअसमिराबीलिस (Alcaligenesfaecalis) या सैलमोनेला (Salmonella) जैसे जीवाणुओं को फैलाकर इस बीमारी के प्रमुख स्रोत बन जाते हैं। तिलचट्टे गंदे चीजों पर घुमते हैं, जैसे- कचरा, मल, अंडे के छिलके आदि और फिर बिना ढके हुए भोजन पर बैठकर उन्हें विषाक्त बना देते हैं।

भोजन को विषाक्त करना- भोजन के विषाक्त होने से खाना अच्छी तरह से हजम नहीं हो पाता है क्योंकि तिलचट्टे के शरीर से सेराटिआ (Serratia), क्लोसट्रिडियम परफ्रीजेन्स (Clostridium perfringens), और सैलमोनेला (Salmonella) जैसे जीवाणु तिलचट्टे अपने शरीर के साथ लाते हैं और खुले हुए खाना को विषाक्त बना देते हैं।

तपेदिक (typhoid)– सैमोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक जीवाणु के कारण तपेदिक (typhoid) होता है। और इसके वाहक का काम तिलचट्टे करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तपेदिक फैलाने के मूल कारणों में तिलचट्टे होते हैं क्योंकि वे मानव के मल के ऊपर चल-फिरकर जीवाणुओं को ग्रहण करते हैं और कच्चे खाद्द पदार्थ, खाना, या खाना बनाने के जगह पर घुमकर बीमारी को फैलाने में सहायता करते हैं।

दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया (drug resistant bacteria) से संक्रमण- एन्टीमाइक्रोबाइल रिजिस्टन्स एण्ड इफेक्शन कंट्रोल के अध्ययन के अनुसार तिलचट्टा का पेट और शरीर भयानक जीवों का घर बन जाता है, जैसे- क्लेबसिएलाऑक्सिटोका(Klebsiellaoxytoca),क्लेबसिएलानिमोनिये(Klebsiellapneumoniae),सिट्रोबैक्टर स्पेसीस(Citrobacter species), एन्ट्रोबैक्टर क्लोएसिए (Enterobacter cloacae), स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus)और स्टैफाइलोकोकस (Staphylococcus) बैक्टेरिअम दवा विरोधी है। सबसे खतरनाक बात यह है कि बच्चे इन जीवाणुओं के संक्रमण के कारण बहुत संवेदनशील स्थिति में पहुँच जाते हैं।

पेट के कीड़े- ये तिलचट्टे परजीवी कीड़ों (parasitic worms) के लार्वा और अंडों को वाहक के रूप में लेकर आते हैं जो बच्चों के पेट के कीड़ों के स्रोत बन जाते हैं। ये परजीवी अपना घर बना लेते हैं जैसे- हुकवर्म, राउन्डवर्म, पीन वर्म, टेप वर्म आदि के कारण पेट में गड़बड़ी, हजम शक्ति का कमजोर हो जाना, अनीमीआ का कारण बन जाता है।

घाव में संक्रमण- घर में जो आम कटना या छिलना होता है वह साधारण नहीं रह जाता है जब ऐसे घाव तिलचट्टों के द्वारा लाये गए जीवाणुओं के संपर्क में आते हैं तब सेप्टिक, गैगरीन की अवस्था तक पहुँच जाते हैं।

दस्त- यह अवस्था तब उत्पन्न होती है जब पेट में बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण हो जाता है। इस अवस्था में मल की अवस्था तरल हो जाती है। यह बीमारी सिग्लेडिसेन्ट्रोआई (Shigelladysenteriae) नामक जीव के कारण होता है जो तिलचट्टों के कारण फैलता है। पढ़े-  वर्ल्ड हेल्थ डे- खाद्द सुरक्षा के मामले में सरकार की पहल

एलर्जी की प्रतिक्रिया- सुनने में यह अजीब लगेगा लेकिन सच बात यह है कि तिलट्टों के कारण एलर्जी भी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तिलचट्टों के लार, त्वचा, और शरीर में बहुत तरह के एलर्जी पैदा करने वाले तत्व होते हैं जिसके कारण डर्मटाइटिस, खुजली, आँखों के पलक के ऊपर सूजन और दूसरे श्वास संबंधी रोग हो जाते हैं।

दमा- आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन तिलचट्टों के कारण साँस संबंधी रोग बढ़ जाते हैं जिससे दमा के रोगी की हालत भयानक हो जाती है। यहाँ तक कि इस हानिकारक जीव के कारण बच्चों को एटोपी नामक दमा का रोग हो जाता है।

हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य (global public health) के किसी न किसी विशेष क्षेत्र का चुनाव करते हैं। इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खाद्द सुरक्षा को अपना थीम बनाया है ताकि लोग इस क्षेत्र में जागरूक हो और जाने कि किस प्रकार खाद्द की सुरक्षा की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खाद्द सुरक्षा में क्षेत्र में काम करते हुए पाया कि तिलचट्टा एक ऐसा जीव है जो दस्त, पेचिश और पेट की बीमारी जैसे अनेक रोगों के मूल कारणों में एक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इन जीवों से खाद्द की सुरक्षा करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के तरीकों को अपनाना ज़रूरी होता है, जैसे-

1. खाद्द पदार्थों को हमेशा ढक कर रखें।

2. कचरे के डब्बे को हमेशा ढक कर रखें और रोज साफ करें।

3. खाना बनाने की जगह अच्छे हालत में होनी चाहिए (यानि छेद या दरार पड़ा हुआ नहीं होना चाहिए)।

4. इन जीवों को मारने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करें।

5. खाना बनाने के जगह पर पालतू जानवरों को न आने दें।

तिलचट्टे जैसे जीवोँ को खोजना मुश्किल होता है और वे रात को ज़्यादा देर तक घुमते रहते हैं। सीक और कील जैसे एप्लीकेटर कीटनाशक इनको नष्ट करने में बहुत मदद करते हैं। इनके होने वाले संभावित जगह पर इनको छिड़कने से यह प्रभावकारी रूप से काम करना शुरू कर देते हैं।

बाजार में एन्टी रोच नामक जेल पाया जाता है जो इन जीवों को मारने में बहुत प्रभावकारी रूप से काम करते हैं। ये तिलचट्टों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं जिसके कारण वे आकर उनको खाते हैं और अपने छेद रूपी घर में जाकर दूसरे तिलचट्टों को भी संदूषित करके नष्ट करने में सहायता करते हैं।

हमारे तरफ से आप सब को विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शुभकामना ताकि आप अपने बच्चों के स्वा्स्थ्य की सुरक्षा कर सके और अपने घर को तिलचट्टा मुक्त कर सके।

संदर्भ-

[1] Tilahun et al. (2012) High load of multi-drug resistant nosocomial neonatal pathogens carried by cockroaches in a neonatal intensive care unit at TikurAnbessa specialized hospital, Addis Ababa, Ethiopia. Antimicrobial Resistance and Infection Control. 1: 12

[2]WHO.int, Cockroaches Unhygienic scavengers in human settlements, pg 288-301

[3]Burgess NR &Chetwyn KN. (1981) Association of cockroaches with an outbreak of dysentery. Trans R Soc Trop Med Hyg. 75(2): 332-3

[4]Hsiu-Hua P et al. (2005) Isolation of bacteria with antibiotic resistance from household cockroaches (Periplanetaamericana and Blattellagermanica) ActaTropica 93: 259–265 T

[5]Chaichanawongsaroj et al. (2004) Isolation of gram-negative bacteria from cockroaches trapped from urban environment. Southeast Asian J Trop Med Public Health. 35(3): 681-4

यह लेख गोदरेज हिट के सहयोग से ही आपके लिए बनाया गया है।

चित्र स्रोत:  Getty images

Published : April 7, 2015 7:28 pm | Updated:April 19, 2017 6:39 pm
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