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Diabetes during pandemic may be temporary: कोरोना वायरस महामारी के साथ ही दुनियाभर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखा गया । वहीं, भारत जिसे डायबिटीज की वैश्विक राजधानी भी कहा जाता है वहां भी मधुमेह के रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गयी। लेकिन, हाल ही में एक स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 संक्रमण के बाद होने वाली डायबिटीज आजीवन रहने वाली समस्या नहीं है और यह कुछ समय बाद ठीक भी हो सकती है। अमेरिका के मैसेच्युसेट्ल जनरल हॉस्पिटल (Massachusetts General Hospital) द्वारा किए गए एक नये अध्ययन में यह देखा गया कि, कोरोना संक्रमण का डर और इससे जुड़े अत्यधिक तनाव की वजह से लोगों का ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हुआ हो और इसी के कारण उनके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा नॉर्मल से अधिक दिखायी दे रही है। वैज्ञानिकों का मत है कि यह स्थिति कुछ दिनों या महीनों में कम गम्भीर होते हुए पहले जैसी हो सकती है। (diabetes post Covid-19 infection may be temporary)
इस स्टडी की मुख्य लेखिका सारा क्रोमर जो मैसेच्युसेट्ल जनरल हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन-एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म( Department of Medicine-Endocrinology, Diabetes and Metabolism at MGH) की एमडी भी हैं उनके अनुसार, स्टडी के परिणामों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अक्यूट स्ट्रेस या बहुत अधिक तनाव के कारण लोगों को डायबिटीज की बीमारी हो रही है। स्टडी के परिणाम जर्नल ऑफ डायबिटीज एंड इट्स कॉम्प्लिकेशन्स (Journal of Diabetes and its Complications) में प्रकाशित किए गए।
स्टडी के परिणामों के अनुसार लम्बे समय तक इंसुलिन रेजिस्टेंट (insulin resistance) ही अधिकांश डायबिटीज के मामलों का कारण माना जा रहा है। इंसुलिन से जुड़ा यह असंतुलन कुछ समय में ठीक हो सकता है और इसीलिए, ऐसा माना जा रहा है कि डायबिटीज के मरीजों को कुछ समय बाद उनकी समस्या से निजात मिल सकती है। डॉक्टरों का मत है कि डायबिटीज के नये मरीजों को कुछ समय के लिए इंसुलिन और दवाइओं की आवश्यकता पड़ सकती है। डॉक्टरों को इन मरीजों की स्थिति पर विशेष ध्यान देना होगा।
वहीं, एक्सपर्ट्स का एक मत यह भी है कि कोविड-19 संक्रमण के इलाज (Covid-19 treatment) के दौरान मरीजों को दी जाने वाली स्टेरॉयड (steroids) के कारण भी उनके ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी देखी गयी और यही उनमें डायबिटीज का कारण बना होगा।
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