Diabetes and Potassium: हम जो भी खाते हैं उसे हमारे शरीर शुगर बनाता है, जिसे ग्लूकोज भी कहते हैं। हमारा शरीर ग्लूकोज का इस्तेमाल एनर्जी के लिए करते हैं। इंसुलित एक हॉर्मोन होता है जिसका निर्माण पेनक्रियाज करता है। हमारी बॉडी इंसुलिन का इस्तेमाल पूरी बॉडी की कोशिकाओं में ग्लूकोज को भेजने के लिए करती है। लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो आपकी बॉडी इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को कंट्रोल किया जा सकता है। आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज 35 साल की उम्र से अधिक के लोगों को होती है। पोटेशियम एक इलेक्ट्रोलाइट और खनिज है जो आपकी बॉडी में तरल पदार्थों को उचित स्तर पर बनाए रखने में मदद करता है। यदि शरीर में तरल पदार्थ सही मात्रा में हैं तो शरीर निम्न कार्यों को आसानी से कर लेता है:
यदि शरीर में पोटेशियम का स्तर बढ़ जाए तो कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। मसल्स क्रैम्प, बॉडी पेन, सिर में लगातार दर्द होना और थकान आदि लक्षण शरीर में पोटेशियम की कमी का संकेत हो सकते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज और लो पोटेशियम में गहरा संबंध हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) होने पर शरीर में पोटेशियम की मात्रा (Diabetes and Potassium) को सीमति रखना चाहिए। यदि आप पोटेशियम का ज्यादा सेवन कर रहे हैं तो आपका ब्लड शुगर लेवल भी बढ़ सकता है।
एक्सपर्ट कहते हैं कि शरीर में पोटेशियम की मात्रा को सामान्य रखने के लिए यह जरूरी है कि आप यह तय करें कि आपको 1 दिन में कितना पोटेशियम लेना है। 14 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को रोजाना 4.7 ग्राम पोटेशियम का सेवन करना चाहिए। अगर आप इससे ज्यादा पोटेशियम का सेवन करते हैं तो आपका डायबिटीज अचानक से बढ़ सकता है। पका हुआ आलू, सादी दही, किडनी बींस, सालमन, फिश और टमाटर आदि पोटेशियम रिच फूड्स होते हैं।
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