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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना संक्रमण हमारे अंदरुनी अंगों को किस हद तक प्रभावित करता है और इसकी वजह से रोगी को हल्के से लेकर काफी लंबे समय तक लक्षणों से परेशान रहना पड़ सकता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती है और स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है वो मात्र 15 दिनों में ही इस संक्रामक रोग से उबर जाते हैं जबकि बहुत से लोगों को काफी लंबे समय तक इसके लक्षणों से जूझना पड़ता है।
सुस्ती से लेकर बालों के झड़ने तक ऐसे बहुत सारे लक्षण हैं, जिन्हें आपको शुरुआत में संक्रमण से रिकवर होने के बाद हफ्तों या फिर महीनों तक झेलना पड़ सकता है। इन सबके अलावा कोविड का एक ऐसा लक्षण भी है, जो आपकी स्किन पर दिखाई देता है और आपकी आंखों के सामने होते हुए भी आप इसे नहीं पहचान पाते हैं। आइए जानते हैं कौन सा है ये लक्षण।
कोरोना से संक्रमित होने के बाद रोगी में 7 से 10 दिन तक लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण संक्रमण के 15 दिन बाद हल्के पड़ने शुरू हो जाते हैं और रोगी रिकवर होना शुरू हो जाता है। लेकिन अगर वायरल लोड बहुत ज्यादा रहता है तो ये लक्षण ज्यादा दिनों तक बने रहते हैं और रोगी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। बहुत से मामलों में जब रोगी गंभीर संक्रमण का शिकार होता है तो बहुत से लक्षण संक्रमित होने के महीनों बाद तक बने रहते हैं। बात करें क्लीनिकल रिफ्रेंस की तो 90 दिनों बाद अगर कोरोनावायरस संक्रमण का कोई भी संकेत दिखाई देता है तो इसे लॉन्ग कोविड भी कह सकते हैं। ये लक्षण या तो अपने आप चले जाते हैं या फिर रोगी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
लॉन्ग कोविड का एक आम संकेत है आपकी स्किन पर झनझनाहट जैसा महसूस होना। आपकी स्किन पर पिन या फिर सुई के चुभने, सुन्नपन या फिर झनझनाहट जैसा महसूस होना भी होता है। इस स्थिति को पैरास्थिजिया भी कहते हैं। ये चीजें ज्यादातर हाथों की स्किन, बाजू, पैरों और पंजों पर महसूस होती हैं। इसके अलावा आपको ऐसा कुछ शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी महसूस होता है। ऐसा कुछ आपको ज्यादातर देर बैठे रहने के बाद भी महसूस होता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि ज्यादा देर बैठे रहने से नसों में खून की सप्लाई रुक जाती है और इसलिए हिलना-डुलना बहुत जरूरी हो जाता है।
अगर आपको बार-बार या फिर बहुत दिनों से ऐसा कुछ महसूस हो रहा है तो इसके पीछे ढेर सारे चीजें छिपी हो सकती हैं। इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। पैरास्थिजिया के अन्य कारणों में शामिल हैंः
1-स्ट्रोक
2-मल्टीपल स्क्लेरोसिस
3-स्पाइनल कोर्ड या फिर दिमाग में ट्यूमर
4-विटानमिन डी और दूसरे विटामिन का उच्च स्तर
5-डायबिटीज
6-फिब्रोमालगिया
7-हाई ब्लड प्रेशर
8-इंफेक्शन
9-तंत्रिका क्षति