Corona Effects on Body Organs : कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों को मुख्य तौर पर सांस लेने में तकलीफ होती है। इस वायरस की वजह से फेफड़े बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा नए शोधों से पता चला है कि कोरोनावायरस फेफड़ों पर बुरा असर डालने के साथ-साथ हमारे दिल, दिमाग, किडनी, त्वचा, तंत्रिका (Corona Effects on Body Organs) इत्यादि को भी प्रभावित करता है।
अमेरिका, इटली और चीन में ऐसे कई शोध हो चुके हैं, जिसमें इस बात के सबूत मिले हैं कि कोरोना के कारण शरीर के बहुत से अंग प्रभावित होते हैं। कई शोधों में खुलासा हुआ है कि कोरोनावायरस के कारण दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा कोरोना से संक्रमित मरीजों के हृदय कोशिका क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, इसके कई प्रमाण भी मिल चुके हैं। कोरोनावायरस के कारण शरीर में मायोकार्डिटिस यानी हृदय की मांसपेशियों में सूजन भी देखने को मिली है।
कोरोनावायरस की वजह से शरीर की नसों में सूजन देखने को भी मिला है। इस बारे में ज्यूरिख यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टर्स को सबसे पहले पता चला है। कोरोनावायरस से मरने वाले मरीजों के शरीर की ऑटोप्सी के दौरान उन्होंने देखा कि इनके शरीर के नसों में आंतरिक सूजन हो गई है। मालूम हो कि शरीर में नसों के जरिए ही खून विभिन्न अंगों तक पहुंचता है। नसों में सूजन की वजह से ही ब्लड दिमाग समेत शरीर के अन्य अंगों में नहीं पहुंच पाता, जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।
कोरोनावायरस से सबसे अधिक फेफड़े प्रभावित होते हैं। चीन के रिसर्च में पता चला है कि कोरोनावायरस से ठीक हुए मरीजों के फेफड़ों के कुछ हिस्से काम नहीं कर पा रहे हैं। इस शोध में बताया गया है कि कोरोना बीमारी के कारण मरीजों के फेफड़ों का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होता है। शरीर में फेफड़ों की साइज छोटी होने से सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति काफी तेजी से सांस लेने लगते हैं, जिससे उनके कार्य क्षमता पर असर पड़ता है।
कोरोना से पहले सार्स और मर्स वायरस फैल चुके हैं। ये वायरस भी तंत्रिका कोशिकाओं के जरिए दिमाग को प्रभावित करते हैं। जापान में कोरोना के एक मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ने लगा था, जिसके इलाज करने पर डॉक्टर्स ने देखा कि उसके दिमाग में सूजन आ गई है। डॉक्टर्स ने देखा कि कोरोनावायरस मरीज के दिमाग तक पहुंच चुका है। चीन और जापान के शोधकर्ताओं ने देखा कि कोरोनावायरस अगर मरीज के दिमाग तक पहुंच जाए, तो इससे दिमाग की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना संक्रमित मरीज को अगर निमोनिया हो गया है, तो उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। निमोनिया में मरीज की किडनी को ज्यादा नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। निमोनिया के कारण फेफड़ों में द्रव जमा होने लगता है, जिसे हटाने के लिए मरीजों को दवाई दी जाती है। इन दवाइयों से किडनी में होने वाली ब्लड सप्लाई काफी प्रभावित होते हैं। कोरोनावायरस की वजह से खून जमने की स्थिति में ब्लड किडनी तक नहीं पहुंच पाता, जिससे किडनी की समस्या होने लगती है।
हाल ही में कोरोना के ऐसे लक्षण भी सामने आए हैं, जिसमें कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों की स्किन पर रैशेज और चकत्ते नजर आए हैं। मरीजों के इन लक्षणों को कोविड-19 के लक्षणों में शामिल किया गया है। वहीं, चीन में भी कुछ ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनके स्किन के रंग में बदलाव देखे गए हैं। वहीं, बेल्जियम में हुए रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोनावायरस का असर तंत्रिका कोशिकाओं पर भी पड़ता है।
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