आपने सुना होगा कि कुछ लोगों की मौत नींद में ही हो जाती है। इनमें से अधिकतर का कारण क्रॉनिक हार्ट फेलियर से उत्पन्न अनियमित धड़कन (अरिधिमिया) होता है। ऐसा बहुत ही कम होता है कि एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय अचानक काम करना बंद कर दे। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग (नई दिल्ली) के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख डॉ.दिनेश कुमार मित्तल बताते हैं कि लगभग 99 प्रतिशत लोगों में उनका शरीर दिल के क्षतिग्रस्त होने के संकेत देता है लेकिन वे इसकी अनदेखी करते हैं। नींद में क्रॉनिक हार्ट फेलियर के मामले उन लोगों में भी देखे जाते हैं जिन्हें हृदय रोग के साथ फेफड़ों के रोग, पलमोनरी हाइपरटेंशन या स्लीप एप्निया होता है। क्रॉनिक हार्ट फेलियर में हृदय का आकार बढ़ जाता है, जिससे दिल की धड़कन असामान्य होने की संभावना बढ़ जाती है।
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दिल की जांच नियमित कराना है जरूरी
हृदय के कई रोग हैं जो लगातार हृदय को क्षतिग्रस्त करते रहते हैं। अगर इनका समय रहते उपचार कराया जाए तो क्रॉनिक हार्ट फेलियर (सीएचएफ) की स्टेज तक पहुंचने से बचा जा सकता है। अक्सर देखा जाता है कि लोग शुरुआत में बीमारी की अनदेखी करते हैं और मामूली उपचार कराकर छोड़ देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली कम होती जाती है और ऐसी स्थिति आ जाती है जब हृदय पूरी तरह खराब हो जाता है। अगर 40 साल की उम्र पार करने के बाद नियमित रूप से हृदय का चेकअप कराया जाए तो क्रॉनिक हार्ट फेलियर को रोका जा सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि उपचार उन्हीं का होता है, जिनका हृदय 65 प्रतिशत से अधिक खराब नहीं हुआ हो।
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दिल से संबंधित परेशानियां
डॉ.दिनेश कुमार मित्तल बताते हैं कि हृदय से संबंधित रोग में हार्ट अटैक, हृदय में छेद, वॉल्व खराब हो जाना, हृदय की नसों में रुकावट, हृदय की मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त हो जाना, मासंपेशियों में सूजन आ जाना, धड़कनें आसामान्य हो जाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, डायबिटीज, खराब जीवनशैली, अनुवांशिक कारण, अत्याधिक तनावग्रस्त जीवन व उच्च रक्तचाप के कारण भी ये बीमारी हो सकती है। कई लोगों में प्रारंभ में इस रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन जैसे-जैसे हृदय की स्थिति खराब होती जाती है स्वास्थ्य खराब होने लगता है। इसके कुछ प्रारंभिक लक्षणों में थकान महसूस करना, पंजों, टखनों और पैरों में सूजन आ जाना, सांस में तकलीफ होना, हृदय की घड़कन महसूस होना आदि हैं। इसके अलावा हृदय की अनियमित धड़कनें, तेज खांसी, सांस में अधिक तकलीफ, बलगम के साथ सांस लेते समय घरघर की आवाज आना। ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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[caption id="attachment_602137" align="alignnone" width="655"]मिथ को भी जान लें
यह एक मिथ से अधिक नहीं है कि पुरुषों में क्रॉनिक हार्ट फेलियर की समस्यां महिलाओं से अधिक होती है। वैसे 45 वर्ष की उम्र से पहले पुरुषों में इसकी आशंका अधिक होती है। इस उम्र तक पुरुषों और महिलाओं में हार्ट फेलियर का अनुपात 7:3 होता है लेकिन 45 वर्ष के बाद यह अनुपात बढ़कर 6:4 हो जाता है और 50 वर्ष तक आते-आते यह अनुपात समान हो जाता है।
क्षतिग्रस्त हृदय का उपचार
अगर हृदय 50 प्रतिशत तक क्षतिग्रस्त हो चुका होता है तब भी सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन जब हृदय 65 प्रतिशत या उससे अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो सामान्य जीवन जीने में समस्या आती है। जब हृदय 85-90 प्रतिशत तक खराब हो जाता है तो इसका उपचार संभव नहीं है तब हृदय प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचता है।
लाएं जीवनशैली में बदलाव
- जीवनशैली में परिवर्तन लाकर और कारणों का उपचार कर रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है बल्कि हृदय को क्षतिग्रस्त होने से भी बचाया जा सकता है।
- अपना रक्तचाप नियंत्रित रखें। अगर रक्तदाब अधिक होगा तो हृदय को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। नियमित रूप से अपने रक्तदाब की जांच कराएं।
- एक दिन में दो लीटर से अधिक तरल पदार्थों का सेवन न करें। आपके रक्त में तरल पदार्थों की मात्रा जितनी अधिक होगी, उतना ही रक्त नलिकाओं और हृदय पर दबाव बढ़ेगा।
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य बनाए रखें। इसके उच्च स्तर के कारण धमनियां संकरी हो जाती हैं, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है।
- नमक का सेवन कम करें। नमक रक्त दाब बढ़ा देता है, जिससे हार्ट फेलियर की आशंका बढ़ जाती है।
- नियमित रूप से हृदय का चेकअप कराएं। अपना भार कम करें, संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। तनाव न लें। प्रर्याप्त रूप से नींद लें।
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