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Heart Diseases : क्या है कार्डियेक अरेस्ट, कब होता है कार्डियेक अरेस्ट, इससे बचने के एक्सपर्ट के सुझाव

Heart Diseases : क्या है कार्डियेक अरेस्ट, कब होता है कार्डियेक अरेस्ट, इससे बचने के एक्सपर्ट के सुझाव
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर थेरेपी से अचानक होने वाले कार्डियेक अरेस्ट में मरीजों की जान बचाने में मदद मिल सकती है। © Shutterstock

इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर थेरेपी से अचानक होने वाले कार्डियेक अरेस्ट (cardiac arrest) में मरीजों की जान बचाने में मदद मिल सकती है। जानें, यह थेरेपी कैसे करती है काम...

Written by Anshumala |Published : October 18, 2019 1:34 PM IST

अचानक कार्डियेक अरेस्ट (cardiac arrest) की आशंका वाले रोगियों में किए गए एक अध्ययन से यह पता चला है कि इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर थेरेपी या आईसीडी (Implantable Cardioverter Defibrillator Therapy)  के उपयोग से मृत्यु जोखिम में दर में 49 प्रतिशत तक की कमी आई है, उनकी तुलना में जिन्होंने आईसीडी इम्प्लांट नहीं लिया है। भारत में कार्डियेक अरेस्ट के मरीजों में आईसीडी थेरेपी का उपयोग कम हुआ है। आज इस बात की आवश्यकता है कि जीवन बचाने में इस थेरेपी के प्रभाव को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए और इस तथ्य की भी कि वेन्ट्रीक्युलर अराहायथेमिस के उपचार में यह 99 प्रतिशत तक प्रभावशाली रहा है, जो कि अचानक आने वाले कार्डियेक अरेस्ट का प्रमुख जोखिम कारक (causes of cardiac arrest) है।

कब होता है कार्डियेक अरेस्ट

कार्डियेक अरेस्ट (cardiac arrest) तब होता है, जब अचानक से दिल को किसी तीव्र गतिविधि के कारण नुकसान होता है। इसे वेंट्रीक्युलर टायकार्डिया या वेेंट्रीक्युलर फिब्रिलेशन कहते हैं। इस स्थिति के पारिवारिक इतिहास वाले या दिल की किसी अन्य समस्या वाले मरीज कार्डियेक अरेस्ट के जोखिम में रहते हैं। इस बारे में बात करते हुए कार्डियेक कैथ लेब, मेक्स सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल (नई दिल्ली) के डायरेक्टर एवं हेड डाॅ. मनोज कुमार ने बताया कि अचानक होने वाला कार्डियेक अरेस्ट वेेंट्रीक्युलर फिब्रिलेशन और वीटी के रूप में रहने वाले अराहायथेमिस की वजह से दिल में होने वाले इलेक्ट्रिकल मालफंक्शन के कारण होता है।

हार्ट फंक्शन में व्यवधान से ब्लड सप्लाई होता है बाधित

डाॅ. मनोज कुमार आगे बताते हैं कि हार्ट फंक्शन में व्यवधान होने से शरीर के अन्य हिस्सों की ब्लड सप्लाई भी प्रभावित होती है। तत्काल उपचार नहीं मिलने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। डिफिब्रिलेशन कार्डियेक अरेस्ट के उपचार (treatment of cardiac arrest) के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैं। यह एक तकनीक है, जिसमें हार्ट को इलेक्ट्रिक शाॅक दिया जाता है। आईसीडी का आमतौर पर उपयोग डिफिब्रिलेट और हार्ट को सामान्य रिदम में लाने के लिए किया जाता है। यह डिवाइस सूचनाएं एकत्र करने में भी मदद करता है, जिसका उपयोग डायग्नोस करने और मरीज की सटीक आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

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क्या है आईसीडी  (what is ICD)

आईसीडी (ICD) एक छोटा पेसमेकर के समान डिवाइस होता है, जो स्किन के अंदर प्लेस किया जाता है। यह हार्टरेट और रिदम को रिसेट कर सकता है। यह 24 घंटे हार्ट को माॅनिटर करता है और यदि रिदम में समस्या होती है, तो उसे पहचानकर इसे सुधारने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स भेजता है। डाॅ. कुमार ने बताया कि कार्डियेक अरेस्ट होने पर मरीज को बचाने के लिए समय पर उपचार और डिफिब्रिलेशन आवश्यक है। यदि अरेस्ट के तीन से पांच मिनिट के भीतर डिफिब्रिलेशन किया जाए, तो मरीज के बचने की संभावना 50 से 70 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इसके बाद मरीज को अस्पताल ले जाने पर आगे के उपचार किए जा सकते हैं।

अचानक होने वाले कार्डियेक अरेस्ट से बचने के कुछ सुझाव

  • पारिवारिक इतिहास एवं ईसीजी में बेसलाइन इलेक्ट्रिकल एब्नॉर्मिलिटीज वाले मरीजों को संकेत (Tips to avoid sudden cardiac arrest) मिलने पर कार्डियोलाॅजिस्ट को दिखाने एवं एआईसीडी इम्प्लांट की आवश्यकता होती है। अचानक कार्डियेक अरेस्ट से होने वाली मृत्यु से बचने के लिए एआईसीडी इम्प्लांट आवश्यक है।
  •  कार्डियोमायोपैथी वाले मरीजों को अचानक कार्डियेक अरेस्ट से होने वाली मृत्यु से बचने के लिए हार्ट रिदम की असामान्यता की निगरानी के लिए आईसीडी इम्प्लांटेशन की आवश्यकता होती है।
  •  स्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियां और अंकुरित अनाज हार्ट को डैमेज होने से बचाते हैं। किसी को भी वसायुक्त और भारी भोजन का उपयोग कम करना चाहिए। कुकिंग में नमक और शक्कर का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
  •  योग और ध्यान ने तनाव को कम करना चाहिए। अधिक तनाव लंबे समय में दबाव बढ़ाने और हार्ट की समस्या को बढ़ाने वाला हो सकता है।
  •  सुनिश्चित करें कि आप प्रतिदिनि शारीरिक गतिविधि में हिस्सा लें। इससे हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद मिलेगी और वजन भी नियंत्रित रहेगा।
  •  अपने ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और काॅलेस्ट्राॅल पर नजर रखें।