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Breast Cancer Myth: क्या गर्भनिरोधक गोलियां स्तन कैंसर का कारण बनती हैं? जानिए सच्चाई

Breast Cancer Myth: क्या गर्भनिरोधक गोलियां स्तन कैंसर का कारण बनती हैं? जानिए सच्चाई

Breast Cancer Awareness Month 2021: ब्रेस्ट कैंसर को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह की भ्रांतियां होती हैं. इस लेख में जानिए ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े मिथ और फैक्ट्स क्या हैं।

Written by Atul Modi |Published : October 12, 2021 10:00 PM IST

स्तन या ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है। हालांकि, यह पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकता है, लेकिन महिलाएं में इसका अधिक जोखिम होता है। महिलाओं में लगभग 14% कैंसर स्तन कैंसर के कारण होता है और यह प्रतिशत ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी शहरों में अधिक है। यह कैंसर का एक बेहद गंभीर प्रकार है। वहीं, लोगों के बीच ब्रेस्ट कैंसर को लेकर कई तरह के मिथ्स मौजूद हैं। ब्रेस्ट कैंसर की समस्या जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी समस्या है इस बीमारी से जुड़ी हुई झूठी बातें और मिथ्स, जिन्हें लोग कई बार सच मान लेते हैं। इन मिथकों पर विश्वास करने से कई बार स्थिति बहुत अधिक गम्भीर हो जाती है और महिलाओं के स्वास्थ्य को बहुत अधिक नुकसान भी हो जाता है। इस लेख में हम ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े ऐसे ही 6 मिथ्स के बारे में बता रहे हैं।

ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े मिथ और फैक्ट्स - Breast Cancer Myth And Facts:

मिथ 1: ब्रेस्ट कैंसर अनुवांशिक होता है

तथ्य: अक्सर लोग स्तन कैंसर को अनुवांशिक मानते हैं यानी ये परिवारों में चलता है, हालांकि, जिन लोगों में इस रोग की पुष्टि होती है उन अधिकांश लोगों में स्तन कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो "सामान्य आबादी में लगभग 13 प्रतिशत महिलाओं में अपने जीवन के दौरान शायद ही कभी ब्रेस्ट कैंसर का विकास होगा। सभी मामलों में से, सिर्फ 5-10 प्रतिशत मामलों को वंशानुगत माना जाता है। ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित अधिकांश लोगों का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं है, जो बताता है कि ब्रेस्ट कैंसर में पर्यावरण और जीवनशैली जैसे अन्य कारकों की भी बड़ी भूमिका हो सकती है।

मिथ 2: स्वस्थ जीवन शैली और शराब के नियंत्रित सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर को दूर रख सकते हैं

तथ्य: नियमित व्यायाम के साथ एक स्वस्थ जीवनशैली ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है, लेकिन ये कारक इस बात की गारंटी नहीं देते हैं कि यह बीमारी दूर हो जाएगी। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोग सब कुछ फॉलो कर रहे हैं और अभी भी उनमें स्तन कैंसर का निदान किया जा रहा है। विशेषज्ञों बताते हैं ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम से बचने के लिए कैंसर की नियमित जांच सुनिश्चित करना, स्तनों को सेल्फ-टेस्ट करना और अपने स्तनों में किसी भी असामान्य बदलाव पर ध्यान देना अनिवार्य है।

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मिथ 3: ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को होता है

तथ्य: अधिकांश स्तन कैंसर के मामले 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाए गए हैं, हालांकि, यह किसी भी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, भारत में स्तन कैंसर का निदान बहुत कम उम्र के लोगों में हो रहा है विशेषतौर पर 40 से 60 वर्ष की आयु के बीच। यह सच है कि महिला होना और बढ़ती उम्र स्तन कैंसर के विकास के प्रमुख कारक हैं। 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में लगभग 4 प्रतिशत आक्रामक स्तन कैंसर का निदान किया गया था, जिसका अर्थ है कि हर 25 आक्रामक स्तन कैंसर के मामलों में से एक 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में होता है।

मिथ 4: स्तनपान ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है

तथ्य: स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो स्तनपान कराने से इस बीमारी का खतरा तो कम हो जाता है, लेकिन यह इसे पूरी तरह से नहीं रोकता है। इसलिए, किसी को भी स्तनपान के दौरान स्वयं की देखभाल की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और अपने स्तन स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

मिथ 5: गर्भनिरोधक गोलियां स्तन कैंसर का कारण बनती हैं

तथ्य: आधुनिक गर्भनिरोधक गोलियां स्तन कैंसर होने के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हुई नहीं हैं क्योंकि उनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की कम मात्रा होती है। हालांकि, हालिया शोध के मुताबिक एक लाख से अधिक महिलाओं के एक अध्ययन से पता चलता है कि गर्भ निरोधक गोलियों से जुड़े स्तन कैंसर का खतरा वृद्ध महिलाओं में सबसे अधिक है।

मिथ 6: ब्रा पहनने से ब्रेस्ट कैंसर होता है, खासतौर पर अंडरवायर ब्रा

तथ्य: अध्ययनों में किसी भी प्रकार की ब्रा (Bra) पहनने और स्तन कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है। स्तन कैंसर के किसी विशिष्ट ब्रा से जुड़े होने के मिथ का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है।