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विज्ञान के क्षेत्र में अक्टूबर का महीना स्तन कैंसर जागरूकता माह (Breast Cancer Awareness Month) के रूप मे जाना जाता है। इस पूरे महीन के दौरान महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुक किया जाता है। आज के समय में ब्रेस्ट कैंसर इतना कॉमन हो गया है कि हर हर 28 में से एक महिला स्तन कैंसर की शिकार है। पूरे भारत में करीब 32 प्रतिशत सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि स्किन कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कैंसर है। WHO के अनुसार, हर साल स्तन कैंसर से लगभग 1.38 मिलियन नए मामले और 458 000 मौतें होती हैं। आंकडे बताते हैं कि भारत में हर 4 मिनट में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराती है, जबकि हर 13 मिनट में 1 महिला की मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती है। स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में अब तक का सबसे आम कैंसर है। जब किसी शरीर में ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत होती है तो इसके लक्षण भी जरूर दिखते हैं। यदि समय रहते उन पर ध्यान दिया जाए और जांच कर इलाज किया जाए तो कैंसर को हराया जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर वो स्थिति होती है जब ब्रेस्ट के सेल्स नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। ये कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाने लगती हैं तो एक गांठ का रूप ले लेता है। रिसर्च बताती है कि हॉर्मोन्स, लाइफस्टाइल और वातावरण के कुछ फैक्टर्स होते हैं जिनसे ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि जेनेटिक केस भी इसके होने का खतरा बढ़ाते हैं। वैसे तो स्तन कैंसर लगभग महिलाओं को ही होता है, लेकिन पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं।
अत्यधिक शराब का सेवन करने वाली महिलाएं
जल्दी माहवारी या देर से मेनोपॉज होने वाली महिलाओं को
अधिक उम्र में शिशु को जन्म देना
जिन महिलाओं ने हार्मोन थेरेपी का चयन किया हो
जेनेटिक ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट के किनारों या बगल के आसपास दर्द और गांठ जैसा महसूस होना
निप्पल्स का अंदर की तरह धंसना
निप्पल का मोटा होना
ब्रेस्ट के साइज का बदलना
निप्पल से लिक्विड डिसचार्ज होना
निप्पल में लालपन आना
हड्डी मे दर्द होना
निप्पल्स से खून आना
ऐसा नहीं है कि ब्रेस्ट कैंसर का खतरा या रिस्क सिर्फ महिलाओं को होता है। बल्कि पुरुष भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। हालांकि पुरुषों में इसका खतरा काफी कम होता है। प्रारंभिक निदान रोगी को समय पर चिकित्सा उपचार लेने में मदद कर सकता है और प्रारंभिक अवस्था में ट्यूमर को हटाने में भी मदद मिलती है। इसलिए ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान होते ही बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और जांच शुरू करानी चाहिए।
आमतौपर ब्रेस्ट कैंसर की जांच मैमोग्राफी के द्वारा की जाती है। मैमोग्राफी एक एक्स-रे है जो स्तनों में किसी भी प्रकार असामान्यता या उथल पुथल का पता लगाने में मदद करता है। अक्सर यह सलाह दी जाती है कि जिन महिलाओं को स्तन कैंसर का अधिक खतरा है, उन्हें वर्ष में एक बार मैमोग्राफी करवानी चाहिए। जबकि जिन लोगों को अपने शरीर मे ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण महससू हों उन्हें भी मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है। ताकि जांच को आगे बढ़ाया जा सके।