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इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन और इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज, अपोलो हाॅस्पिटल्स ने लोगों को ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) की पहचान, प्रबंधन एवं रोकथाम के बारे में शिक्षित करने के लिए एक ‘सार्वजनिक जागरूकता प्रोग्राम’ का आयोजन किया। इस प्रोग्राम का आयोजन डाॅ. विनीत सूरी, सीनियर कन्सलटेन्ट, न्यूरोलोजी एवं कोऑर्डिनेटर, न्यूरोलोजी विभाग, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हाॅस्पिटल्स और प्रेजीडेंट, इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन द्वारा किया गया। इस बैठक में कई प्रख्यात दिग्गजों के साथ ही आमंत्रित लोगों में 200 से अधिक ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) से उबर चुके मरीज और उनके परिवारजन भी शामिल थे, जिन्हें स्ट्रोक (Brain Stroke) के प्रबंधन और रोकथाम के तरीकों पर जानकारी दी गई। इस अवसर पर एक सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया, जिसमें लोगों को सम्मानित किया गया।
डाॅ. सुरी ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke causes) दुनिया भर में मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण है। हर दो सेकेंड में एक स्ट्रोक होता है और हर 6 सेकेंड में स्ट्रोक के कारण एक जान चली जाती है। दुनिया में 4 में से एक व्यक्ति को अपने जीवन में स्ट्रोक होता है। इतने भयावह आंकड़ों के बावजूद इसके बारे में जागरूकता की कमी है।
ब्रेन स्ट्रोक को अचानक शरीर का संतुलन खोना, एक या दोनों आंखों से अचानक देखने में परेशानी, चेहरे में बदलाव, बाजु का सुन्न होना और बोलने में परेशानी होने के जिरए पहचाना जा सकता है। ये लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से बिना देर किए मिलें।
स्ट्रोक हो सकता है जानलेवा, लक्षणों को पहचानकर इलाज करवाने से बच सकती है जान
अगर मरीज को पहले कुछ घंटों के अंदर सही इलाज मिल जाए, तो ब्रेन स्ट्रोकका इलाज संभव है या इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इन घंटों को गोल्डन आवर्स कहा जाता है। इलाज के लिए मरीज को इन्ट्रावीनस इन्जेक्शन दिया जाता है, जिससे 4.5 घंटे के अंदर क्लाॅट घुल जाता है। इसी तरह दिमाग में मौजूद क्लाॅट को निकालने के लिए 6 घंटे (कुछ मरीजों में 24 घंटे) के अंदर एंजियोग्राफी द्वारा मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की जाती है।
स्ट्रोक सिर्फ बुजुर्गों को होने वाली बीमारी नहीं है। 10-15 फीसदी स्ट्रोक के मामले युवाओं में भी होते हैं। जीवनशैली से जुड़ी आदतें जैसे धूम्रपान, नशीली दवाओं का सेवन युवाओं में इसका मुख्य कारण हैं।
स्ट्रोक के 80 फीसदी मामलों को सरल उपायों द्वारा रोका जा सकता है, जैसे ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण, उच्च रक्तचाप और मोटापे पर नियंत्रण, जीवनशैली में बदलाव जैसे नियमित व्यायाम, वजन कम करना, धूम्रपान न करना, तंबाकू न चबाना और मध्यम मात्रा में शराब का सेवन।
Brain Stroke : बुजुर्गों में मौत का दूसरा बड़ा कारण स्ट्रोक, जानें इसके कारण और बचाव के उपाय
1 तनाव से घिरे हैं, तो इसका इलाज करवाएं। मानसिक रूप से खुद को शांत रखें।
2 स्मोकिंग और एल्कोहाल का सेवन करना बंद कर दें।
3 नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग का अभ्यास करें।
4 वजन को कंट्रोल में रखें।
5 दिल और डायबिटीज के मरीजों को अधिक सतर्क रहना चाहिए।
6 सोडियम का सेवन सीमित मात्रा में करें।
साबुत अनाज अपनी खानपान में जरूर करें शामिल। अनाज में फाइबर अधिक होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। अदरक खाने से खून पतला रहता है। खून का थक्का नहीं बनता है। इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थों जैसे अखरोट, सोयाबीन, ऑयली फिश खूब खाएं। टमाटर, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, जामुन आदि का नियमित रूप से सेवन करें।