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आंत का कैंसर (Bowel Cancer)

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जब बड़ी आंत या गुदा की किसी कोशिका का विभाजन असाधारण रूप से होने लगता है, तो इस स्थिति को आंत का कैंसर कहा जाता है। यह कोशिका विभाजन असाधारण रूप से होता है, जिस कारण से कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने लगता है। आमतौर पर आंत में कैंसर एक छोटी गांठ के रूप में विकसित होता है, जिसे पॉलिप (चर्बी की गांठ) के रूप में जाना जाता है। आंत की अंदरूनी सतह में यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और फिर कुछ समय बाद कैंसरयुक्त बन जाती है। हालांकि, अगर इसका समय पर इलाज शुरु कर दिया जाए तो इसे कैंसरयुक्त होने से रोका जा सकता है। अन्य सभी प्रकार के कैंसर प्रकारों की तरह बाउल कैंसर की भी चार स्टेज होती हैं। अनुवांशिक कारकों समेत कई वातावरणीय व जीवनशैली से जुड़े कारक हैं, जो आंत का कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसमें आमतौर पर मल में खून आना, दर्द और कब्ज जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। इस स्थिति के इलाज में दवाएं (कीमो), सर्जरी और थेरेपी आदि शामिल हैं। अगर आंत के कैंसर का समय पर इलाज न किया जाए तो इसस कई गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

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आंत के कैंसर के चरण

अन्य प्रकार के कैंसरों की तरह आंत के कैंसर की भी चार स्टेज होती हैं, जिन्हें रोग की गंभीरता और फैलने की क्षमता के अनुसार निर्धारित किया गया है। आंत के कैंसर की स्टेज कुछ इस प्रकार हैं -


  • स्टेज 1 - यह आंत के कैंसर की शुरुआती स्टेज है, जिसमें कैंसरयुक्त कोशिकाओं का विभाजन शुरू ही हुआ होता है।

  • स्टेज 2 - इस स्टेज में कैंसर की कोशिकाएं आंत की अंदरूनी परत तक पहुंच जाती हैं और यहां तक कि गुदा पर भी दिखाई दे सकती हैं।

  • स्टेज 3 - जब आंत के कैंसर ने दो से तीन लसीका ग्रंथियों को प्रभावित कर दिया होता है, तो इसे आंत के कैंसर की तीसरी स्टेज माना जाता है।

  • स्टेज 4 - यह आंत के कैंसर की सबसे अंतिम स्टेज है, जिसका मतलब है कि कैंसर आंत से शुरू होकर उससे दूरी पर स्थित अंगों तक भी फैल गया है जैसे लिवर या फेफड़े आदि।

आंत के कैंसर के लक्षण

यह भी हो सकता है कि आंत के कैंसर की शुरुआती स्टेज में किसी प्रक्रार के लक्षण महसूस न हों। हालांकि, जब कैंसर धीरे-धीरे फैलना शुरू करता है, तो इससे लक्षण भी विकसित होने लग जाते हैं। आंत के कैंसर के दौरान विकसित होने वाले लक्षण प्रमुख रूप से ट्यूमर के आकार और उसकी जगह पर निर्भर करते हैं। हालांकि, आंत के कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं -


  • लगातार दस्त व कब्ज रहना

  • गुदा से खून बहना

  • मल में खून आना

  • पेट में दर्द व गैस बनना

  • पेट में भारीपन महसूस होना

  • थकान रहना

  • शरीर का वजन कम होना

  • लंबे समय से मल के रंग व आकृति में बदलाव महसूस होना

  • शरीर में आयरन की कमी होना


डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है या फिर आपको किसी अन्य प्रकार का दर्द या परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

आंत के कैंसर के कारण

अन्य प्रकार के कैंसरों की तरह यह भी कोशिकाओं में असाधारण रूप से विभाजन के कारण होता है। हालांकि, वैज्ञानिक इस असाधारण बदलाव के पीछे के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं लगा पाए हैं। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं, कि निम्न कारक आंत के कैंसर का कारण बन सकते हैं -


  • पॉलिप्स - आंत की अंदरूनी सतह में असाधारण रूप से कोशिकाएं विकसित होने से एक छोटी गांठ बन जाती है, जिसे पॉलिप कहा जाता है। यदि इस गांठ का समय पर इलाज न कराया जाए तो यह बाद में कैंसर ग्रस्त हो सकती है।

  • जेनेटिक म्यूटेशन - जीन में किसी प्रकार की गड़बड़ी के कारण भी कोशिकाओं में कुछ बदलाव हो सकता है, जिसे जीन म्यूटेशन कहते हैं। हालांकि, जीन म्यूटेशन का सिर्फ यही मतलब नहीं है कि आपको कैंसर विकसित हो जाएगा लेकिन ऐसे में खतरा बढ़ सकता है।


आंत के कैंसर के जोखि कारक


कुछ अन्य कारक भी हैं, जो आंत में कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं -

  • उम्र बढ़ना

  • आंत में सूजन आना

  • रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आना

  • जीवनशैली में बुरी आदतें (धूम्रपान करना आदि)

  • मोटापा

  • डायबिटीज व अन्य रोग

आंत के कैंसर का निदान

आंत के कैंसर का समय पर निदान करने से स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है और साथ ही इलाज सफल होने की संभावना भी बढ़ जाती है। जिन लोगों को आंत का कैंसर होने का खतरा अधिक है, डॉक्टर उन्हें अक्सर 50 साल की उम्र से पहले ही जांच कराने की सलाह देते हैं। वहीं जिन लोगों में खतरा कम है उन्हें 50 साल की उम्र के बाद जांच कराने की सलाह दी जाती है। आंत के कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर मरीज से उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां लेते हैं और साथ ही यह पूछा जाता है कि परिवार में पहले किसी को आंत या अन्य कोई प्रकार का कैंसर तो नहीं है। इसके साथ-साथ शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है, जिसकी मदद से पॉलिप आदि का पता लगाने की कोशिश की जाती है। यदि डॉक्टर को लगता है कि गांठ है या फिर अन्य किसी कारण से लग रहा है कि आंत का कैंसर हो सकता है, तो उसकी पुष्टि के लिए निम्न टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है -


  • ब्लड टेस्ट

  • कोलोनोस्कोपी

  • बेरियम एक्स रे

आंत के कैंसर की रोकथाम

हालांकि, आंत के कैंसर के सभी कारणों की रोकथाम नहीं की जा सकती है, लेकिन जीवनशैली और वातावरण से संबंधित कुछ कारक हैं जिनकी रोकथाम करके आंत के कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इनमें निम्न शामिल हैं -


  • रेड मीट का सेवन कम करें

  • बाहर तैयार मीट न खाएं

  • आहार में ज्यादातर वनस्पति से प्राप्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें

  • वसा युक्त आहारों का सेवन कम करें

  • शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें

  • सिगरेट व शराब का सेवन बंद करें

  • अगर डायबिटीज है, तो ब्लड शुगर कंट्रोल रखें

  • अगर खतरा अधिक है तो समय-समय पर जांच कराते रहें

आंत के कैंसर का इलाज

आंत के कैंसर का इलाज प्रमुख रूप से आंत में कैंसर किस जगह पर है, उसकी स्टेज और व्यक्ति की स्वास्थ्य क्षमता पर निर्भर करता है। आंत के कैंसर के इलाज के लिए आमतौर सर्जरी, कीमो, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड ड्रग थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। निम्न इनके बारे में जानकारी दी गई है -


  • सर्जरी - यदि आंत का कैंसर शुरुआती चरणों में हैं, तो डॉक्टर सर्जरी की मदद से उस पॉलिप (गांठ) को निकाल देते हैं। हालांकि, अगर कैंसरयुक्त कोशिकाएं विकसित व विभाजित होने शुरू हो चुकी हैं, तो ऐसे में सर्जरी की मदद से गुदा या आंत के कुछ हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है और बाकी बचे हुए हिस्से को फिर से जोड़ दिया जाता है।

  • कीमोथेरेपी - इसे आंत के कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी से पहले या बाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें मरीज को विशेष प्रकार की दवाएं दी जाती हैं, जो शरीर में जाकर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती हैं।

  • रेडिएशन थेरेपी - इसमें अधिक ऊर्जा वाले एक्स रे और प्रोटोन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है। रेडिएशन थेरेपी की मदद से एक बड़े ट्यूमर को छोटा बनाया जा सकता है।

  • टार्गेटेड ड्रग थेरेपी - इन दवाओं की मदद से कैंसर कोशिकाओं की कुछ असामान्यताओं को रोक दिया जाता है, जिससे कैंसर पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

  • इम्यूनोथेरेपी - आंत के कैंसर के इस ट्रीटमेंट में मरीज को कुछ खास प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं के विरुद्ध उत्तेजित कर देती हैं।

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