क्यों आम होती जा रही है कैंसर की बीमारी ? क्या कहते हैं दुनिया भर के शोध
हर साल बढ़ती ही जा रही है कैंसर की बीमारी , जानें क्या हैं इसका कारण ।
जब बड़ी आंत या गुदा की किसी कोशिका का विभाजन असाधारण रूप से होने लगता है, तो इस स्थिति को आंत का कैंसर कहा जाता है। यह कोशिका विभाजन असाधारण रूप से होता है, जिस कारण से कैंसरयुक्त ट्यूमर विकसित होने लगता है। आमतौर पर आंत में कैंसर एक छोटी गांठ के रूप में विकसित होता है, जिसे पॉलिप (चर्बी की गांठ) के रूप में जाना जाता है। आंत की अंदरूनी सतह में यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और फिर कुछ समय बाद कैंसरयुक्त बन जाती है। हालांकि, अगर इसका समय पर इलाज शुरु कर दिया जाए तो इसे कैंसरयुक्त होने से रोका जा सकता है। अन्य सभी प्रकार के कैंसर प्रकारों की तरह बाउल कैंसर की भी चार स्टेज होती हैं। अनुवांशिक कारकों समेत कई वातावरणीय व जीवनशैली से जुड़े कारक हैं, जो आंत का कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसमें आमतौर पर मल में खून आना, दर्द और कब्ज जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। इस स्थिति के इलाज में दवाएं (कीमो), सर्जरी और थेरेपी आदि शामिल हैं। अगर आंत के कैंसर का समय पर इलाज न किया जाए तो इसस कई गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
अन्य प्रकार के कैंसरों की तरह आंत के कैंसर की भी चार स्टेज होती हैं, जिन्हें रोग की गंभीरता और फैलने की क्षमता के अनुसार निर्धारित किया गया है। आंत के कैंसर की स्टेज कुछ इस प्रकार हैं -
यह भी हो सकता है कि आंत के कैंसर की शुरुआती स्टेज में किसी प्रक्रार के लक्षण महसूस न हों। हालांकि, जब कैंसर धीरे-धीरे फैलना शुरू करता है, तो इससे लक्षण भी विकसित होने लग जाते हैं। आंत के कैंसर के दौरान विकसित होने वाले लक्षण प्रमुख रूप से ट्यूमर के आकार और उसकी जगह पर निर्भर करते हैं। हालांकि, आंत के कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं -
अन्य प्रकार के कैंसरों की तरह यह भी कोशिकाओं में असाधारण रूप से विभाजन के कारण होता है। हालांकि, वैज्ञानिक इस असाधारण बदलाव के पीछे के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं लगा पाए हैं। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं, कि निम्न कारक आंत के कैंसर का कारण बन सकते हैं -
आंत के कैंसर का समय पर निदान करने से स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है और साथ ही इलाज सफल होने की संभावना भी बढ़ जाती है। जिन लोगों को आंत का कैंसर होने का खतरा अधिक है, डॉक्टर उन्हें अक्सर 50 साल की उम्र से पहले ही जांच कराने की सलाह देते हैं। वहीं जिन लोगों में खतरा कम है उन्हें 50 साल की उम्र के बाद जांच कराने की सलाह दी जाती है। आंत के कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर मरीज से उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां लेते हैं और साथ ही यह पूछा जाता है कि परिवार में पहले किसी को आंत या अन्य कोई प्रकार का कैंसर तो नहीं है। इसके साथ-साथ शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है, जिसकी मदद से पॉलिप आदि का पता लगाने की कोशिश की जाती है। यदि डॉक्टर को लगता है कि गांठ है या फिर अन्य किसी कारण से लग रहा है कि आंत का कैंसर हो सकता है, तो उसकी पुष्टि के लिए निम्न टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है -
हालांकि, आंत के कैंसर के सभी कारणों की रोकथाम नहीं की जा सकती है, लेकिन जीवनशैली और वातावरण से संबंधित कुछ कारक हैं जिनकी रोकथाम करके आंत के कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इनमें निम्न शामिल हैं -
आंत के कैंसर का इलाज प्रमुख रूप से आंत में कैंसर किस जगह पर है, उसकी स्टेज और व्यक्ति की स्वास्थ्य क्षमता पर निर्भर करता है। आंत के कैंसर के इलाज के लिए आमतौर सर्जरी, कीमो, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड ड्रग थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। निम्न इनके बारे में जानकारी दी गई है -
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