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मानसून में अस्थमा रोगियों को हो सकती हैं ये 7 बड़ी समस्याएं, एक्सपर्ट्स से जानें बचाव का सटीक तरीका

मानसून में अस्थमा रोगियों को हो सकती हैं ये 7 बड़ी समस्याएं, एक्सपर्ट्स से जानें बचाव का सटीक तरीका

Asthma in Rainy season: बारिश के दिनों में अस्थमा के कुछ मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योकि उनके लक्षण अचानक से बढ़ जाते हैं। इस लेख में हम एक्सपर्ट्स की सलाह से उन समस्याओं व उनसे बचाव के बारे में जानेंगे।

Written by Mukesh Sharma |Published : July 26, 2022 5:00 PM IST

तपती गर्मियों के बाद बारिश का मौसम आना किसी तोहफे से कम नहीं होता है। लोग मानसून का इंतजार करते हैं, ताकि गर्मी से कुछ समय के लिए राहत मिल सके। लेकिन आपने भी देखा होगा कि गर्मियों के बाद आने वाला बारिश का मौसम ठंडक के साथ-साथ कई प्रकार की बीमारियां लेकर आता है। लोगों को फंगस व अन्य कई प्रकार के संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है और वहीं मच्छरों के कारण मलेरिया व डेंगू जैसे रोगों के मामले भी फिर से बढ़ जाते हैं। अस्थमा के मरीजों को भी बारिश बारिश के दिनों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बारिश के दिनों में पूरी तरह से देखभाल करने के बावजूद भी कुछ अस्थमा के मरीजों के लक्षण बढ़ने लग जाते हैं। अस्थमा के कुछ मरीजों को तो इतनी परेशानियों हो जाती हैं, कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और इस कारण से डॉक्टर चेकअप कराना पड़ता है। यह आर्टिकल अस्थमा के मरीजों के लिए ही है, विशेष रूप से उनके लिए जिन्हें बारिश के मौसम में गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ता है। हमने इस बारे में हमने गुरुग्राम के एसजीटी हॉस्पिटल में जनरल मेडिसिन और रेस्पिरेटरी डिजीज के स्पेशलिस्ट डॉक्टर आयुष पांडे से बात की, उन्होंने बारिश के मौसम अस्थमा के मरीजों को क्या समस्याएं होती हैं और उनसे बचाव कैसे किया जाए आदि के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी। चलिए जानते हैं उनके द्वारा दिए गए कुछ सवालों के जवाब।

बारिश के समय में अस्थमा के मरीजों को कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं

डॉक्टर आयुष पांडे ने बताया कि बारिश के समय में अस्थमा के मरीजों के ज्यादातर सर्दी, खांसी, जुकाम, आंखों में खुजली, गले में खिच-खिच, गले में दर्द और शरीर में खुजली जैसी समस्याएं होती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बारिश के मौसम में अस्थमा अग्रेवेट हो जाता है या नी बढ़ जाता है। डॉक्टर आगे बताते हैं कि अस्थमा एक प्रकार की एलर्जी की बीमारी है और बारिश के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाने के कारण पोलन व फंगस आदि काफी बढ़ जाते हैं। जहां पर नमी ज्यादा होगी वहां पर पोलन व फंगस भी ज्यादा होंगे और जब अस्थमा के मरीज इनके स्पोर्स को सूंघता है, तो उसे अस्थमा के लक्षण होने लगते हैं। इसलिए पोलन व फंगस जैसी चीजों को अस्थमा का ट्रिगरिंग फैक्टर (लक्षण शुरू करने वाला) भी कहा जाता है। साथ ही साथ बारिश के मौसम में वायरल व बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

अस्थमा के मरीज मानसून में अपना बचाव कैसे करें?

डॉक्टर आयुष पांडे के अनुसार अस्थमा के मरीजों को जितना हो सके बारिश से बचना चाहिए और अगर किसी जरूरी काम से बारिश में निकलना भी पड़ रहा है, तो रेनकोट और छाते का इस्तेमाल करें। डॉक्टर पांडे बताते हैं कि जितना हो सके ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां पर धूल-मिट्टी, एलर्जी और प्रदूषण है। साथ ही किसी अत्यधिक गर्म या नम वातावरण (जैसे चिपचिपा मौसम) से भी दूर रहने की कोशिश करें। अगर आपके घर की दीवारों पर सीलन है या फफूंदी बन रही है, तो नियमित रूप से इनकी साफ-सफाई अवश्य कराते रहें। घर रखे कूलर, गमले और एसी आदि में पानी न जमा होने दें। इन दिनों में रोजाना स्टीमर से भाप अवश्य लें। डॉक्टर आयुष बताते हैं कि इस मौसम में अस्थमा के मरीज के लिए गरारे करना भी काफी लाभदायक है। वे आगे बताते है कि हम सभी ने कोविड महामारी के समय उसी तरह से काढ़ा भी अपने आप में एक खास प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है, इसलिए काढ़ा भी अस्थमा के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

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डॉक्टर ने आगे बताया कि योग और व्यायाम भी अस्थमा के लक्षणों को कम करने में काफी फायदेमंद होते हैं, इसलिए खुली हवा में योग या व्यायाम करना चाहिए। अस्थमा के मरीजों को खासतौर पर हल्का खाना लेना चाहिए। विशेष रूप से ठंडा, खट्टा, अधिक तला हुआ और चिपचिपे पदार्थों से बना हुआ खाना नहीं लेना चाहिए। डॉक्टर से नियमित रूप से फॉलो-अप लेते रहें और उनके द्वारा दी गई सभी दवाओं को निर्देशानुसार समय पर ही लें। उन्होंने बताया कि अस्थमा में इम्यूनाइजेशन (टीकाकरण) की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। खासतौर पर इन्फ्लूएंजा वैक्सीन जो साल में एक बार लेनी होती है और न्यूमोकोकल वैक्सीन जिसका प्रभाव 5 साल तक रहता है, इन दोनों वैक्सीन को जरूर लें।

अगर अस्थमा के मरीज को ये समस्याएं हो जाती हैं तो उसका इलाज क्या है

डॉक्टर आयुष पांडे ने Thehealthsite को बताया कि अगर अस्थमा के मरीज की सांस अचानक से फूलने लगती है या फिर उसकी हालत अचानक से खराब हो गई है, तो शायद उसे अस्थमा का अटैक पड़ा है। अस्थमा के अटैक को हम मेडिकल टर्म्स में स्टेटस अस्थमेटिकस भी कहते हैं। इस स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है। अस्पताल में मरीज को एंटीबायोटिक, नेबुलाइजेशन और इंजेक्टेबल मेडिसिन के द्वारा उसके लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है।

डॉक्टर आगे बताते हैं कि आपको अस्थमा के अटैक आए या न आए और आपको अस्थमा को कोई लक्षण दिख रहा है या नहीं डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं लेना आपके लिए बेहद अनिवार्य है। इस बात ध्यान अवश्य रखें कि अगर अस्थमा के मरीज को बारिश से जुड़ी कोई समस्या हो जाती है, तो उनके लिए एंटी एलर्जिक टेबलेट व नेजल स्प्रे आधि उपलब्ध हैं। इनका उपयोग आप अपने डॉक्टर से सलाह लेकर कर सकते हैं। वहीं कुछ लोग जो पंप व इनहेलर का इस्तेमाल ढंग से नहीं कर पाते हैं, उनके लिए नेबुलाइजेशन व भाप लेने की तकनीक सबसे उचित है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाप व नेबुलाइजर की मदद से दवाओं को फेफड़ों तक पहुंचाया जा सकता है। वहीं अगर अस्थमा के लक्षण किसी प्रकार के इंफेक्शन के कारण हुआ है, तो ऐसी स्थिति का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की भूमिका प्रमुख होती है और इन दवाओं को भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लिया जाना चाहिए।