दुनिया की 90 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां हवा की गुणवत्ता का स्तर अच्छा नहीं है। आमतौर पर लोगों को भ्रम होता है कि घर की भीतरी हवा बाहरी हवा से अधिक साफ होती है। उन्हें लगता है घर उन्हें बाहरी हवा के प्रदूषण से बचाता है लेकिन ऐसा नहीं है। हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व सांस के जरिए हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। यहां से ये खून के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक पहुंच जाते हैं। दोपहर के बाद के समय वाष्पशील (volatile) ऑर्गेनिक कंपाउन्ड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड सूरज की यूवी