• हिंदी

ब्लैक, व्हाइट फंगस के बाद देश में आया ग्रीन फंगस का पहला मामला, जानें कितना खतरनाक है ग्रीन फंगस

ब्लैक, व्हाइट फंगस के बाद देश में आया ग्रीन फंगस का पहला मामला, जानें कितना खतरनाक है ग्रीन फंगस
इंदौर में मिला ग्रीन फंगस का पहला मामला।

ब्लैक फंगस के बाद अब मध्य प्रदेश के इंदौर में एक व्यक्ति के ग्रीन फंगस से संक्रमित होने का पहला मामला सामने आया है, जिसे एक्सपर्ट्स अधिक खतरनाक बता रहे हैं।

Written by Anshumala |Updated : June 16, 2021 5:13 PM IST

Green Fungus latest news in Hindi: देश में अभी ब्लैक फंगस (Black fungus) और व्हाइट फंगस (White Fungus) का कहर थमा नहीं कि ग्रीन फंगस (Green Fungus) फैलने की खबरें सामने आने लगी हैं। जी हां, ग्रीन फंगस का पहला मामला मध्य प्रदेश (Green Fungus in MP) के इंदौर में सामने आया है। यहां एक व्यक्ति के फेफड़ों में ग्रीन फंगस (Green Fungus News) होने की पुष्टि की गई है। यह तब सामने आया जब व्यक्ति के फेफड़ों की जांच की जा रही थी। अभी यह मरीज मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती है।

जांच में मिला फेफड़े में हरे रंग का फंगस

जब व्यक्ति के फेफड़े की जांच की जा रही थी, तभी फेफड़े में हरे रंग के फंगस (Green Fungus symptoms in Hindi) के होने की पुष्टि की गई, जिसके बाद इसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया। अब तक इससे पहले देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों में ब्लैक फंगस, व्हाइट, यलो फंगस के अब तक कई मरीज मिलें है, जिन्होंने अपनी जान भी गंवाई है। यह बेहद ही खतरनाक होता है, जिसका समय पर इलाज ना शुरू किया जाए, तो मरीज की मौत भी हो जाती है। फिलहाल, देश में ग्रीन फंगस का यह पहला मामला (Green Fungus latest news in Hindi) सामने आया है।

कोरोना से पीड़ित था मरीज

ग्रीन फंगस (Green Fungus in Hindi) से संक्रमित यह इंदौरा का रहने वाला व्यक्ति कोरोना से ठीक हो चुका था, लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद भी कुछ लक्षण नजर आने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था। कोरोना होने पर उसका 100 प्रतिशत फेफड़ा प्रभावित हो चुका था, तब आईसीयू में लगभग एक महीने इलाज चला। कोरोना से ठीक होने के बाद अन्य लक्षण जैसे तेज बुखार, नाक से खून आने की समस्या देखी गई। कमजोर होने से उसका वजन भी काफी कम हो गया था। जब टेस्ट किया गया तो फेफड़ों में हरे रंग का फंगस (Green Fungus) पाया गया। फिलहाल, इस मरीज के फेफड़े ग्रीन फंगस के कारण 90 प्रतिशत तक संक्रमित हो चुके हैं। फेफड़े में पस भरने के कारण व्यक्ति की स्थिति नाजुक बनी हुई है। उसके फेफड़े और साइनस में एस्परगिलस फंगस (Aspergillus fungus) होने के कारण ग्रीन फंगस होने की समस्या बढ़ गई है।

Also Read

More News

क्या ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है ग्रीन फंगस?

एक्सपर्ट के अनुसार, ब्लैक फंगस से कहीं अधिक घातक ग्रीन फंगस (Green Fungus) हो सकता है। ऐसे में इसका समय पर इलाज ना शुरू किया जाए तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इसमें व्यक्ति की सेहत  बहुत तेजी से खराब होती है। फेफड़ों (Lungs infection) में मवाद भरना, मल से खून आना, 100 से अधिक बुखार होना इसके कुछ लक्षण (Green Fungus symptoms in Hindi) होते हैं। ग्रीन फंगस का यह पहला मामला है, लेकिन इसे रोकना बहुत जरूरी है, नहीं तो संभालना मुश्किल हो सकता है। एक बार ग्रीन फंगस फैल गया, तो मौतों का आंकड़ा ब्लैक फंगस से भी अधिक तेजी से फैल सकता है।