बीते 2 साल में कोरोना के बाद अब 40 से 50 आयुवर्ग के वयस्कों में स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ा है, जिसका दावा कई हेल्थ एक्सपर्ट भी कर चुके हैं। कहीं न कहीं डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदयरोग, धूम्रपान औऱ शराब के कारण स्ट्रोक के मामले बढ रहे हैं। लेकिन कई बार लोगों को स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। इसलिए अगर आपका चेहरा झुका हुआ और हाथ में कमजोरी महसूस हो रही हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह दे। समय रहते इलाज हुआ तो स्ट्रोक का झटका आने से रोका जा सकता है।
जेन मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल वेंकटचलम का कहना है कि स्ट्रोक का झटका तब आता है जब हाई ब्लड प्रेशर, मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को तोड़ देता है या फिर तब-जब रक्तवाहिओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होकर रक्त प्रवाह में बाधा होने लगती है। स्ट्रोक को इस्केमिक स्ट्रोक के रूप में भी जाना जाता है, जो धमनी के रुकावट और रक्तस्राव के कारण होने वाले रक्तस्रावी स्ट्रोक के कारण होता है। मौजूदा स्थिति में 40 से 50 आयुवर्ग में स्ट्रोक के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
मिरारोड वॉक्हार्ट अस्पताल के सलाहकार इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक विशेषज्ञ डॉ. पवन पै का मानना है कि स्ट्रोक के पीछे आपका लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार हैं जिसमें
1-स्लीप एपनिया
2- वसायुक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन
3- व्यायाम की कमी
4- तनाव
इन सभी कारकों की वजह से 35 से 45 आयु वर्ग के लोगों स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाथ की कमजोरी, धुंधली दृष्टि, चेहरे का गिरना यह स्ट्रोक के लक्षणं हैं। कई लोगों कोविड से उबरने के बाद भी स्ट्रोक का शिकार हुए हैं। स्ट्रोक गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है जैसे पक्षाघात या मांसपेशियों की गति में कमी, बोलने या निगलने में कठिनाई, स्मृति हानि और अवसाद। विशेष रूप से स्ट्रोक का झटका आने के बाद छह घंटे के भीतर इलाज मरीज को इलाज मिलना काफी जरूरी हैं। हालांकि स्ट्रोक के मरीजों को अच्छी फिजियोथेरेपी के साथ ठीक होने में कुछ समय लगता है, स्ट्रोक को रोकने के लिए इस्केमिक स्ट्रोक में जितनी जल्दी हो सके एंटीप्लेटलेट एजेंटों को शुरू किया जाना चाहिए।
डॉ. पवन कहते हैं कि मरीजों को स्ट्रोक से उभरने के लिए विभिन्न थेरपी दी जाती हैं। इसके अलावा ये चीजें करने से भी स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
1- ब्लड प्रेशर की नियमित जांच
2- कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच
3-ब्लड शुगर की नियमित जांच
4-समय पर दवा लेना
5- रोजाना व्यायाम करना
6-संतुलित वजन बनाए रखना
7- धूम्रपान और शराब छोड़ना
8- संतुलित आहार खाना
9- नमक का सेवन कम करना
अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई के न्यूरोसर्जन डॉ चंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि मौजूदा स्थिती मे जीवनशैली के कारण 40-55 आयु वर्ग में स्ट्रोक का चलन बढ़ रहा है। रोजाना व्यायाम न करने के वजह से कई लोग ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, स्ट्रोक, हृदयविकार और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढने के कारण होने वाली समस्या का शिकार बनते जा रहे हैं। महामारी के दौरान उचित देखभाल न करना भी स्ट्रोक को आमंत्रित कर सकता है। एक स्ट्रोक से स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो सकती है। हाथ की कमजोरी, वाणी का अकड़ना, अंगों में कमजोरी, चक्कर आना, सिर चकराना, चलने में कठिनाई, चेहरे की कमजोरी और शरीर के एक तरफ का लकवा। समय पर पता लगाने और शीघ्र उपचार से स्ट्रोक से संबंधित जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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