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ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) अलग-अलग प्रकार के होते हैं। ब्रेस्ट कैंसर का प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी ब्रेस्ट सेल्स खतरनाक हो सकती हैं। ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेस्ट में कहीं से भी शुरू हो सकता है। ब्रेस्ट में लोब्यूल, नलिकाएं और कनेक्टिव टिश्यू होते हैं। लोब्यूल्स दूध को पैदा करने वाली ग्लैंड्स हैं। नलिकाएं वे नली होती हैं जो दूध को ब्रेस्ट ग्लैंड में ले जाती हैं। कनेक्टिव टिश्यू रेशेदार और फैट रहित टिश्यू होते हैं जो सबको एक साथ जोड़ते या बांधते हैं। ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर नलिकाओं या लोब्यूल्स में शुरू होती हैं।
ब्लड वेसल्स में ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेस्ट के बाहर की तरफ फैल सकता है। जिस में ब्रेस्ट कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है उसे मेटास्टेसिस के नाम से जाना जाता है।
स्तन कैंसर के कुछ लक्षण ब्रेस्ट में या आसपास में नई गांठ हो जाना, ब्रेस्ट का एक हिस्सा का मोटा हो जाना, ब्रेस्ट की स्किन में जलन या उसके ऊपर दाग बनना, हमारी ब्रेस्ट या गर्दन की स्किन लाल होना या परत दार त्वचा बनना, ब्रेस्ट के निप्पल के आसपास दर्द होना, ब्रेस्ट से दूध के अलावा ब्लड का आना, ब्रेस्ट के साइज में बदलाव आना, ब्रेस्ट वाले किसी भी हिस्से में ज्यादा दर्द होना आदि इसके लक्षण हैं। हालांकि, ये सभी लक्षण कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकते हैं।
कुछ स्टेप्स जो ब्रेस्ट कैंसर का पता करने में मदद कर सकते हैं।
जब आप अपने शीशे के सामने खड़ी होती हैं तो अपनी ब्रेस्ट को देखती हुए इस बात पर ध्यान दें कि आपके कंधे सीधे हैं और आपके हाथ आपके हिप्स पर हैं। इसके बाद यह चेक करें कि आपके ब्रेस्ट का साइज और रंग सामान्य है या नहीं। आपके स्तन का आकार एक जैसा हैं या नहीं इस बात पर भी ध्यान दें। अगर आपकी त्वचा रूखी-सूखी हो या फिर आपके ब्रेस्ट के निप्पल के साइज में बदलाव आ रहा हो और ब्रेस्ट की स्किन पर सूजन या लाल दाने हों तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
इस स्थिति में अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएं और देखें कि स्टेप 1 में हमने जो बदलाव देखा उनमें से कोई बदलाव दिख रहा है या नहीं।
अपने शीशे के सामने खड़े होकर अपनी ब्रेस्ट के किसी भी निप्पल से कोई भी तरल पदार्थ जैसे खून या फ्लूइड आदि को देखें तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
इस स्थिति में आप सोफे पर लेट जाएं और अपने हाथ की 4 अंगुलियों की मदद से अपने दाहिने ब्रेस्ट का टेस्ट करने के लिए ब्रेस्ट के ऊपर नीचे या आस पास में कोई भी गांठ तो महसूस नही हो रही जांच करें। इसी तरह दाएं ओर से बाएं ब्रेस्ट के लिए ऐसा ही करें।
इस समय अपनी ब्रेस्ट को खड़ी हो कर या बैठ कर इनकी स्थिति की जांच करें। स्टेप-4 के समान हाथों की गतिविधियों का उपयोग करके अपने ब्रेस्ट में गांठ को महसूस कर सकती हैं।
इन स्टेप्स को महीने में एक बार जरुर करना चाहिए। पीरियड्स के बंद होने के कुछ दिनों बाद भी करना चाहिए।
(Inputs By: Dr. Anil Thakwani, Head & Sr. Consultant, Sharda Hospital)