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How to cure Thyroid : थायराइड सबसे अधिक अंतः स्त्रावी समस्याओं में से एक बीमारी है, जिसका इलाज भारत में संभव है लेकिन इसमें मरीज को बहुत सावधानी बरतनी होती है और उचित देखभाल व प्रबंधन के माध्यम से थायराइड पर जल्द नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। बेंगलुरु के एनएच हेल्थ सिटी में कंसलटेंट- डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी डॉ. सुब्रमण्यन कन्नन का कहना है कि हर साल 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है, जिससे लोगों में थायराइड पर नियंत्रण के लिए जागरूकता पैदा हो सके और वह थायराइड से बचने के लिए उसके लक्षण और रोकथाम के बारे में भी जागरूक हो सकें।
तितली के आकार की ग्रंथि थायराइड, गर्दन के सामने की ओर स्थित होती है यह शरीर में हर कोशिका, ऊतक और अंग को प्रभावित करने वाले हार्मोन का उत्पादन करती है। थायराइड तब तक समस्या नहीं है जब तक इसमें से होने वाला हार्मोनल रिलीज सामान्य रहता है। यह समस्या तब पैदा करती है जब हार्मोन्स का स्राव बहुत कम या ज्यादा हो जाता है। इसलिए थायराइड हार्मोन की कमी या अधिकता स्वास्थ्य जटिलताओं को ट्रिगर कर सकती है। कई कारणों से लोगों में थायराइड विकार बढ़ते जा रहे हैं। जिन पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए आपको बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है।
थायराइड विकार मुख्य तौर पर दो प्रकारों होते हैं-
1-हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड)
2- हाइपरथायरायडिज्म (ओवरएक्टिव थायराइड)
इसमें, थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है, जिसके लक्षण हैंः
1-थकान
2-वजन बढ़ना
3-बालों का झड़ना
4-अवसाद
हाइपरथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड ग्रंथि अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है, जिसके लक्षण हैं
1-वजन कम होना
2- घबराहट
3-हृदय गति में वृद्धि
हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्मके मामलों में शुरुआती स्तर पर ही पहचान व उपचार इसके नियंत्रण का सबसे प्रभावी तरीका है और विश्व थायराइड दिवस के अवसर पर इन्हीं महत्व के माध्यम से जागरूकता द्वारा थायराइड की समस्या से जल्द निदान मिल सकता है।
भारत में थायराइड पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होने की संभावना बनी रहती है। महिला 60 वर्ष की आयु से पहले थायराइड का शिकार हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म में महिलाओं में मासिक धर्म, थकान, मांसपेशियों में दिक्कतें, जोड़ों में दर्द हृदय और फेफड़ों के आसपास तरल पदार्थ जमा होने से होने वाली समस्याएं व इसके साथ कोमा में जाने की भी संभावना बनी रहती है। वहीं हाइपरथायरायड की स्थिति में हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। इसके इलाज के लिए शुरुआती स्तर पर ही जांच व दवा के माध्यम से कुछ नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है वह सर्जरी के द्वारा भी इस स्थिति से निपटा जा सकता है।
लोगों में यह जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया जाता है कि थायराइड की स्थिति में उन्हें अपने लक्षणों को पहचानना व उसके बाद सही समय पर जांच और उपचार के माध्यम से इन पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए जैसे ही आपको इसके लक्षणों का पता चले तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही जांच करवाना चाहिए व दवा लेनी चाहिए।
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