Don’t Miss Out on the Latest Updates.
Subscribe to Our Newsletter Today!
35 के बाद ही कुछ महिलाओं में विभिन्न कारणों से पीरियड मिस होने शुरू हो जाते हैं। एक-दो पीरियड मिस होने के बाद ही वे इस चिंता में डूब जाती कि कहीं उनकी मेनोपॉज की अवधि तो नहीं शुरू हो गई। और वे तरह-तरह की चिंताओं में घिर जाती हैं।
अधिकांश महिलाओं को असल में यह पता ही नहीं होता कि पीरियड में कितने गैप के बाद मेनोपॉज की आशंका को मानना चाहिए। स्त्री रोग विशेषज्ञों की मानें तो अक्सर रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज का पता पिछले मासिक धर्म या पीरियड के 12 महीने के गैप के बाद चलता है। रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज़ से मतलब उस स्थिति से है जब महिलाओं में मासिक धर्म बंद हो जाता है। मेनोपॉज आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र में होता है।
यह भी पढ़ें - गठिया के मरीज हैं तो सर्दियों में रखें अपना खास ख्याल
ये हो सकती हैं समस्याएं
इस दौरान बुखार, योनि में सूखापन, नींद से जुड़ी परेशानी, डिप्रेशन भी हो सकते हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को हृदयाघात यानी हार्ट अटैक के खतरे बढ़ जाते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक एवं अन्य समस्याओं से बचने के लिए व्यायाम जरूर करना चाहिए और कम कैलोरी वाले आहार का सेवन करना चाहिए।
यह भी पढ़ें – सर्दियों में डैंड्रफ से हैं परेशान, तो ये साधारण घरेलू नुस्खें आएंगे आपके काम
एक्टिव रहें फिट रहें
हालिया एक शोध में बताया गया है कि व्यायाम और कम कैलोरी वाले आहार का सेवन करने से महिलाओं को रजोनिवृत्ति के बाद हृदयाघात और मधुमेह (टाइप-2) का खतरा कम हो सकता है। शोध में पाया गया कि शारीरिक रूप से सक्रिय महिलाओं में सुस्त महिलाओं की तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम कम होता है।
यह भी पढ़ें – क्या आप भी शरीर के लोअर बैक एरिया में दर्द से हैं परेशान? ये हो सकता है कारण
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से उन शारीरिक कारकों का समूह है जिनसे हृदय-रोग, आघात और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। मरीज में अत्यधिक चर्बी बढ़ने, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटने और रक्त में चर्बी की मात्रा बढ़ने, उच्च रक्तचाप होने और उच्च रक्त शर्करा होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम की पहचान की जाती है।