जब भी बात प्रोटीन सोर्स के शाकाहारी विकल्पों की होती है तो दाल इस सूची में पहले नंबर पर होती है और यही कारण है कि दालें भारतीय डाइट का सबसे अहम हिस्सा है। दाल-रोटी भारतीय पांरपरिक डाइट का अहम और पुराना हिस्सा रही है। हालांकि कुछ दालें स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी (Best way to eat Dal) होती हैं तो कुछ दालें सेहत को बिगाड़ने का काम करती हैं। दरअसल कोई भी दाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती है लेकिन अगर आप उन्हें गलत तरीके से खाते हैं तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। सही तरीके से दाल का सेवन करने पर न तो आपको कब्ज होती है और न ही गैस व पेट फूलने की समस्या। सीलेब्रिटी न्यूट्रिशिनिस्ट रुजुता दिवेकर आपको दाल को सही तरीके (Best way to eat Dal)से अपनी डाइट में शामिल करने के बारे में बता रही हैं। अगर आप चाहते हैं कि दाल खाने के बाद आपको किसी प्रकार की समस्या न हो तो आप ये तरीके अपना सकते हैं। आइए जानते हैं कौन सा है ये तरीका।
रुजुता कहती हैं कि हमें दाल के पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए उन्हें बनाने से पहले भिगो लेना चाहिए। इससे दाल में मौजूद पोषक रोधी तत्व निकल जाते हैं और आपके एंजाइम को उन्हें अवशोषित करने में मदद मिलती है। जैसा कि ज्यादातर लोग जानते हैं कि दालें विटामिन, प्रोटीन, मिनरल्स और अमीनो एसिड का एक उत्कृष्ट स्त्रोत होती हैं लेकिन इनसे अमिनो एसिड ले पाना बहुत मुश्किल होता है। दालों में मौजूद कुछ तत्व इन पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पैदा करते हैं, जिस कारण आपको गैस, कब्ज और अपच की समस्या होती है। इसलिए दाल को भिगोने से आपको प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों को बढ़ाने में मदद मिलती है।
अगर आप दाल को मिलाकर बनाना पसंद करते हैं तो हमेशा सही अनुपात में दाल को अनाज और बाजरा के साथ मिलाना चाहिए। अगर आप चावल के साथ दाल खा रहे हैं तो अनुपात 1:3 होना चाहिए और जब आप इसमें बाजरा व अनाज मिल रहे हैं तो इसका अनुपात होना चाहिए। दाल को अन्य चीजों के साथ मिलाने के पीछे कारण है कि दालों में अमीनो एसिड की कमी, जिनका नाम है मेथिओनिन और लाइसिन। लाइसिन दालों में बहुत ही कम पाया जाता है इसलिए अनाज के साथ दाल को मिलाकर खाने से शरीर में इसकी आपूर्ति होती है और ये एंटी-एजिंग, बोन मास और इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
अगर आप दाल के संपूर्ण लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको अलग-अलग दालों का सेवन करना चाहिए ताकि आप सभी प्रकार के पोषक तत्वों को प्राप्त कर सकें। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में 65 हजार किस्म की दालें हैं। इसलिए जरूरी है कि आप सप्ताह में 5 अलग-अलग तरीके की दाल का सेवन करें और आप इन्हें किसी भी तरीके से खा सकते हैं जैसे पापड़, लड्डू, हल्वा, डोसा, इडली, आचार के रूप में। ये आपको आंतों के हेल्दी बैक्टीरिया की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
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