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नवरात्र (Navratri 2021) हिंदू धर्म का एक बहुत ही प्रसिद्ध और प्रमुख पर्व है। 13 फरवरी से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) शुरू होने वाली है। नवरात्र के दौरान लोग मां दुर्गा के लिए व्रत रखते हैं और मां के पूरे 9 रूपों की पूजा होती है। उपवास रखने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तो है ही, यह सेहत से जुड़ा मसला भी है। अगर आप स्वस्थ हैं तो यह बॉडी की डिटॉक्सिफिकेशन का अवसर है। कहते हैं कि हफ्ते में एक दिन व्रत जरूर रखना चाहिए क्योंकि इससे बॉडी डिटॉक्स होती है। लेकिन अगर आपको ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी कोई बीमारी है तो आपको व्रत के दौरान कुछ खस बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं वे खास बातें जिन्हें व्रत के दौरान नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
जरूरी है डॉक्टर से परामर्श
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त व्यक्तियों को नवरात्र के उपवास से पूर्व अपने डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है ताकि डॉक्टर आपकी दवाओं की खुराक में परिवर्तन कर सके और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जानकारी प्रदान कर सके । यह जरूरी है कि आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवा लें।
कम हो जाता है ब्लड शुगर
अचानक पसीना आना, शरीर में कमजोरी या कंपन होना, दिल की धड़कनें तेज होना … ये संकेत बताते हैं कि आपका ब्लड शुगर लेवल कम हो रहा है। जब डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति नवरात्र में उपवास करते हैं, तो उन्हें आम दिनों की तुलना में कई घंटों तक खाली पेट रहना पड़ता है। इस वजह से उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है। रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) कम होने के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। आमतौर पर 70 या इससे कम ब्लड शुगर आने पर कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं।
ऐसे करें नियंत्रित
हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति में शहद, चीनी, ग्लूकोज लेकर ब्लड शुगर में आई कमी को दूर किया जा सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति से बचने के लिए नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर के स्तर को नापते रहना अनिवार्य है।
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वसायुक्त खाद्य पदार्थों से भी है खतरा
नवरात्र के उपवास के दौरान कुछ लोगों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। हाइपरग्लाइसीमिया का मुख्य कारण कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त खाद्य पदार्थों जैसे तली हुई पकौड़ियों का सेवन, आलू और साबूदाना आदि का सेवन अधिक मात्रा में करना या फिर दवाओं को सही मात्रा या समय पर न लेना है। इसलिए इस दौरान नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करना और उसे नियंत्रण में रखने का यथासंभव प्रयास करना अनिवार्य है।
अगर रखें नवरात्र में उपवास
डायबिटीज से ग्रस्त ऐसे लोग जो केवल संतुलित आहार और व्यायाम से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं या ऐसे व्यक्ति जिन्हें डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवाओं की आवश्यकता पड़ती है। ये लोग नवरात्र के उपवास तभी रखें, जब उनकी ब्लड शुगर नियंत्रण में हो।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
नवरात्र के उपवास के दौरान फाइबर युक्त, धीरे धीरे अवशोषित होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। जैसे सब्जियां, सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता आदि), छाछ, मखाना, भरवां कुट्टू रोटी, कुट्टू चीला, खीरे का रायता, ताजा पनीर और फल आदि। इससे पेट भरा हुआ रहता है और खून में ग्लूकोज की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।
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ऐसे व्यक्ति जो डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए मेटफोर्मिन या ग्लिप्टिन ग्रुप की दवाएं लेते हैं, वे नवरात्र के उपवास रख सकते हैं क्योंकि इन दवाओं से हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा कम होता है। सल्फोनिलयूरिया ग्रुप की दवाएं लेने वाले व्यक्तियों में ब्लड शुगर सामान्य से नीचे जा सकती है। इसलिए इस दवा की खुराक और समय के लिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
उपवास तोड़ने के बाद आवश्यकता से अधिक न खाएं। कुछ लोग उपवास तोड़ते समय बहुत अधिक कैलोरी युक्त आहार लेते हैं, परंतु डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे उपवास तोड़ते समय ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें वसा और चीनी जैसे कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में हों। बेक किए हुए पदार्थ सबसे अच्छे होते हैं। उपवास में तले हुए आलू, मूंगफली, चिप्स, पापड़ और पूड़ी-कचौड़ी आदि खाने से सख्त परहेज करना चाहिए।