ड्राईफ्रूट्स नाश्ते के हेल्दी विकल्प माने जाते हैं। हालांकि, काजू को उससे मिलनेवाली ज़्यादा कैलोरी की वजह से एक अनहेल्दी विकल्प भी माना जाता है और इसलिए, इसे रोजानाखाने की सलाह नहीं दी जाती है। खासतौर पर वे लोग जो हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल और डायबिटीज़ से परेशान हैं उन्हें काजू खाना छोड़ने की सलाह दी जाती है। हमारे देश में आमतौर पर न्यूट्रिशनिस्ट और डॉक्टरों काजू खाने की सलाह नहीं देते हैं। लेकिन बहुत-से लोग यह नहीं जानते हैं कि काजू में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड या मूफा (monounsaturated fatty acids) जैसे हेल्दी फैट भी होते हैं। वे एंटीऑक्सिडेंट, प्लांट स्टीरोल(plant sterols) और आयरन, मैग्नीशियम और ज़िंक जैसे अन्य माइक्रोन्यूट्रेंट्स का भी एक अच्छा स्रोत हैं।
क्या काजू कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल और वेट लॉस में मदद कर सकते हैं?
जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक हालिया स्टडी के मुताबिक रोज़ाना काजू खाना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है, यहां तक कि टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए भी। यह स्टडी डॉ. वी. मोहन और मद्रास डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) चेन्नई में उनके सहयोगियों द्वारा की गयी थी। इसमें पता चला है कि सिस्टॉलिक ब्लड प्रेशर (systolic blood pressure) में काफी कमी और गुड कोलेस्ट्रॉल या एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है। साथ ही यह भी कहा गया कि शरीर के वजन, ब्लड शुगर, ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (glycated haemoglobin) या एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (ख़राब कोलेस्ट्रॉल) पर काजू खाने से नुकसानदायक प्रभाव नहीं पड़ा।
कितना काजू खाया जा सकता है?
"हमने 12 हफ्तों तक इसका परीक्षण किया, जहां हमने स्टडी में हिस्सा ले रहे कुछ लोगों को हर दिन 30 ग्राम कच्चे काजू दिए थे। जबकि दूसरे समूह को अपना सामान्य भोजन जारी रखने की सलाह दी गई। अध्ययन के प्रमुख रिसर्चर डॉ. मोहन कहते हैं, 12 सप्ताह के बाद, काजू का सेवन करने वाले समूह में सिस्टॉलिक ब्लड प्रेशर में काफी कमी आई।" उन्होंने आगे कहा कि काजू में मौजूद लगभग 20% फैट सैचुरेटेड फैट होता है और यह मुख्य रूप से स्टेयरिक एसिड होता है। यह ब्लड लिपिड पर अपेक्षाकृत न्यूट्रल असर डालता है, जिसका मतलब है कि काजू बाकी नट्स की तरह ही ब्लड लिपिड पर फायदेमंद तरीके से असर कर सकता है।
सुधा वासुदेवन (प्रमुख, फूड एंड न्यूट्रिशन, एमडीआरएफ) कहती हैं, " यह फायदेमंद बदलाव भोजन में कार्बोहाइड्रेट कैलोरी की जगह काजू से मिलने वाले ज़्यादा एमयूएफए के कारण हो सकता है। पारंपरिक भारतीय आहार में एमयूएफए की कमी होती है जो कि एक अच्छा और फायदेमंद फैट है। काजू भारतीय आहार में एमयूएफए के पूरक के तौर पर मदद कर सकता है।"
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अनुवादक-Sadhana Tiwari
चित्रस्रोत- Shutterstock
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